भारतीय निर्वाचन आयोग ने अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर आगामी 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे नीत दोनों गुटों द्वारा पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाते हुए दोनों से उनके दलों के लिए तीन नए नाम और चुनाव चिह्न सुझाने को कहा है.
नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग ने अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे नीत दोनों गुटों द्वारा पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न का उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी है.
पार्टी के दोनों गुटों द्वारा नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किए जाने की पृष्ठभूमि में एक अंतरिम आदेश जारी करके निर्वाचन आयोग ने दोनों से कहा है कि वे सोमवार (10 अक्टूबर) तक अपनी-अपनी पार्टी के लिए तीन-तीन नए नाम और चुनाव चिह्न सुझाएं.
बता दें कि 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए 7 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो 14 अक्टूबर तक चलेगी.
आयोग दोनों गुटों द्वारा सुझाए गए नामों और चुनाव चिह्नों में से उन्हें किसी एक का उपयोग करने की अनुमति देगा.
अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव नजदीक आने की स्थिति में शिंदे गुट द्वारा अनुरोध किए जाने पर आयोग ने अंतरिम आदेश जारी किया है.
अंतरिम आदेश के अनुसार, ‘आयोग का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि उपचुनाव की पूरी चुनावी प्रक्रिया किसी भी भ्रम से मुक्त हो, इसलिए अगला कदम यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि चुनाव में हिस्सा ले रहे किसी भी गुट को अनुचित लाभ/हानि न हो.’
शिवसेना में जून में दो फाड़ होने के बाद दोनों गुटों ने स्वयं के ‘असली शिवसेना’ होने का दावा करते हुए निर्वाचन आयोग में पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उन्हें आवंटित करने का अनुरोध किया था.
इससे पहले आयोग ने दोनों गुटों से कहा था कि वे अपने-अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक सभी दस्तावेज और विधायी तथा संगठन के समर्थन का साक्ष्य जमा कराएं. हालांकि, बाद में ठाकरे गुट के अनुरोध पर इस अवधि को बढ़ाकर सात अक्टूबर कर दिया गया था.
शिंदे गुट ने चार अक्टूबर को निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया कि अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव में उसे ‘शिवसेना के नाम और तीर-कमान के चुनाव चिह्न’ का उपयोग करने की अनुमति दी जाए.
द हिंदू के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में कहा कि शिंदे ने दावा किया है कि उनके पास 18 में से 12 सांसदों, 55 में से 40 विधायकों और विधान परिषद के विभिन्न सदस्यों का समर्थन है.
ठाकरे गुट ने इस दावे पर अपना जवाब शनिवार को सौंपा और विरोधी गुट के दस्तावेजों और दावों का अध्ययन करने के लिए और चार सप्ताह का समय मांगा है.
आयोग ने कहा कि अंतरिम आदेश इसलिए आवश्यक है क्योंकि उपचुनाव तीन अक्टूबर को अधिसूचित किया जा चुका है. आदेश में कहा गया है, ‘दोनों गुटों में से किसी को भी ‘शिवसेना’ के लिए आरक्षित चुनाव चिह्न ‘तीर कमान’ का उपयोग करने की अनुमति नहीं है.’
उसमें कहा गया है, ‘दोनों गुट उन नए नामों से जाने जाएंगे, जिनका वे चुनाव करेंगे.’
वहीं, निर्वाचन आयोग के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे ने शिंदे गुट पर जमकर निशाना साधा और ट्वीट किया कि ‘खोखेवाले गद्दारों ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न फ्रीज कराने की यह शर्मनाक हरकत की है.’
उन्होंने कहा, ‘हम लड़ेंगे और जीतेंगे. हम सच के साथ हैं. सत्यमेव जयते!’
खोकेवाल्या गद्दारांनी आज शिवसेना नाव आणि चिह्न गोठवण्याचा नीच आणि निर्लज्ज प्रकार केला आहे. महाराष्ट्राची जनता हे सहन करणार नाही.
लढणार आणि जिंकणारच!
आम्ही सत्याच्या बाजूने!
सत्यमेव जयते! pic.twitter.com/MSBoLR9UT5
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) October 8, 2022
आदित्य ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर हरिबंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता ‘अग्निपथ’ भी पोस्ट की है.
वहीं, शिवसेना के ठाकरे गुट के प्रति निष्ठा रखने वाले महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि आयोग को उपचुनाव के लिए अंतरिम निर्णय पारित करने के बजाय समग्र तरीके से निर्णय लेना चाहिए था. उन्होंने कहा, ‘यह अन्याय है.’
वहीं, शिंदे गुट के नेता व सांसद प्रतापराव जाधव ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने सही फैसला लिया है.
उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन करके शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की विचारधारा को त्याग दिया है.
एनडीटीवी ने निर्वाचन आयोग के सूत्रों के हवाले से बताया है कि ठाकरे गुट ने तीन नए नामों की अपनी सूची पहले ही सौंप दी है, जिसमें ‘शिवसेना बालासाहेब ठाकरे’ पहली पसंद है और दूसरी पसंद ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ है.
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शनिवार को चुनाव आयोग के आदेश से कुछ घंटे पहले, ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग से ‘यथास्थिति बनाए रखने और कार्यवाही में जल्दबाजी न करने’ का आग्रह किया था.
ठाकरे गुट का तर्क था कि चुनाव में शिंदे गुट कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं कर रहा है, वह केवल भाजपा के लिए प्रॉक्सी के तौर पर काम कर रहा है. इसलिए फैसले में तात्कालिता दिखाने की जरूरत नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)