बीते वर्ष अक्टूबर में जम्मू कश्मीर और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाए थे कि उन्हें जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहने के दौरान दो फाइलों को मंज़ूरी देने के बदले 300 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. इस संबंध में बीते अप्रैल माह में सीबीआई ने दो मामले दर्ज किए थे.
नई दिल्ली: सीबीआई ने भ्रष्टाचार के दो मामलों के संबंध में मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से पूछताछ की है. एजेंसी ने जम्मू कश्मीर में दो परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं के संबंध में इस साल अप्रैल में मामले दर्ज किए थे. यह अनियमितताएं तब हुई थीं जब मलिक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे.
गौरतलब है कि अक्टूबर 2021 में मलिक ने दावा किया था कि उन्हें दो फाइल को मंजूरी देने के बदले 300 करोड़ रुपये की रिश्वत पेशकश की गई थी, जिनमें से एक फाइल राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) के नेता और दूसरी अंबानी से संबंधित थी.
सीबीआई ने पूर्व राज्यपाल द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर दर्ज भ्रष्टाचार के दो मामलों के संबंध में उनसे पूछताछ की है. यह जानकारी अधिकारियों ने दी.
अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई टीम ने इस सप्ताह की शुरुआत में उनकी टिप्पणियों का विवरण लिया. उन्होंने बताया कि मलिक का राज्यपाल के रूप में पांच साल का कार्यकाल चार अक्टूबर को समाप्त होने के बाद उनसे पूछताछ की गई.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘उनसे दो दिन पहले पूछताछ की गई थी. चूंकि ये उनके आरोप थे, इसलिए उनसे अधिक जानकारी मांगी गई. उनसे मामले में एक गवाह के तौर पर पूछताछ की गई.’
मलिक को 2017 में बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसके बाद उन्हें 2018 में जम्मू कश्मीर भेज दिया गया था. अगस्त 2019 में मलिक के रहते ही जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किए गए थे.
मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान केंद्र की आलोचना करते हुए बयान जारी किए थे. बाद में मलिक को मेघालय भेज दिया गया था, जहां उनका कार्यकाल इस महीने समाप्त हुआ.
मलिक ने दावा किया था कि उन्हें 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 के बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान दो फाइल को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.
उन्होंने कहा था, ‘कश्मीर जाने के बाद, दो फाइल मेरे पास (मंजूरी के लिए) आईं, इसमें से एक अंबानी की थी और दूसरी आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति की, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के बहुत करीब होने का दावा करते थे.’
मलिक ने पिछले साल अक्टूबर में राजस्थान के झुंझुनू में एक सभा में कहा था, ‘मुझे दोनों विभागों के सचिवों द्वारा सूचित किया गया था कि यह एक घोटाला है और मैंने तदनुसार दोनों सौदे रद्द कर दिए. सचिवों ने मुझसे कहा था कि ‘आपको प्रत्येक फाइल को मंजूर करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे’, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामा लेकर आया हूं और उसी के साथ जाऊंगा.’
इस साल अप्रैल में सीबीआई ने मलिक द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की थीं, जो जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना और किरु जलविद्युत परियोजना के काम के लिए अनुबंध देने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित थीं.
केंद्रीय एजेंसी ने जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए लाई गई विवादास्पद स्वास्थ्य बीमा योजना से संबंधित अपनी एफआईआर में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है. योजना को मलिक ने 31 अगस्त 2018 को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में कथित तौर पर मंजूरी दी थी.
एफआईआर में आरोप लगाया है, ‘जम्मू कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के साथ साजिश और मिलीभगत से अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक साजिश और आपराधिक कदाचार के अपराध किए.’
इसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने 2017 और 2018 की अवधि के दौरान ‘खुद को आर्थिक लाभ और राज्य के खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया और इस तरह से जम्मू कश्मीर सरकार को धोखा दिया.’
यह आरोप लगाया गया था कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को अनुबंध प्रदान करने में सरकारी मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन किया गया, जैसे ऑनलाइन निविदा की अनुपस्थिति, इस मूल शर्त को हटाना कि विक्रेता को राज्य में काम करने का अनुभव होना चाहिए.
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी ने कहा था, ‘जम्मू कश्मीर सरकार के अनुरोध पर जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना के अनुबंध को निजी कंपनी को देने और वर्ष 2017-18 में 60 करोड़ रुपये (लगभग) जारी करने में कदाचार के आरोपों पर मामला दर्ज किया गया था.’
अधिकारियों ने कहा कि अनियमितताओं के आरोप सामने आने के बाद 30 सितंबर 2018 को शुरू की गई योजना को रद्द कर दिया गया था.
सीबीआई ने किरू जलविद्युत परियोजना के सिविल कार्य पैकेज के लिए ठेका देने में कथित कदाचार से संबंधित अपनी दूसरी एफआईआर में कहा कि ई-निविदा से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया.
सीबीआई ने चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (प्राइवेट) लिमिटेड (सीवीपीपीपीएल) पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार, पूर्व प्रबंध निदेशक एमएस बाबू, पूर्व निदेशक एमके मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को नामजद किया है.
एफआईआर में आरोप लगाया गया, ‘चल रही टेंडर की प्रक्रिया को रद्द करते हुए सीवीपीपीपीएल की 47वीं बोर्ड बैठक में ई-टेंडरिंग के जरिये दोबारा टेंडर निकालने का फैसला किया गया, लेकिन 48वीं बैठक में लिए गए फैसले के अनुरूप इसे लागू नहीं किया गया और अंतत: ठेका पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)