घटना चिक्कमगलुरु ज़िले की है जहां एक कॉफी बागान के मालिक पर दलित समुदाय से आने वाले सोलह श्रमिकों से मारपीट और उन्हें बंधक बनाकर रखने का आरोप है. एक कामगार महिला का कहना है कि मारपीट के चलते उनका गर्भपात हो गया. पुलिस के अनुसार, केस दर्ज कर लिया गया है और आरोपी फ़रार हैं.
नई दिल्ली: कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले में एक कॉफी बागान के मालिक जगदीश गौड़ा पर दलित समुदाय के 16 कामगारों के साथ मारपीट करने और उन्हें कई दिनों तक बंद रखने का आरोप लगाया गया है.
एनडीटीवी के मुताबिक, गौड़ा और उनके बेटे तिलक के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 2015 और भारतीय दंड संहिता की कुछ धाराओं के तहत 11 अक्टूबर को मामला दर्ज किया गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गौड़ा और तिलक दोनों फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है.
गौड़ा द्वारा कथित तौर पर मारपीट करने के बाद बंधक बनाए गए कामगारों में से एक अर्पिता (20) गर्भवती थीं, जिन्होंने इस घटना में अपना बच्चा खो दिया.
द हिंदू के अनुसार, उनकी शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है. अख़बार ने बताया कि 8 अक्टूबर को आरोपी ने पैसे नहीं लौटाने को लेकर मजदूरों को डांटा था. उन्होंने कथित तौर पर कामगारों के फोन भी छीन लिए थे.
गौड़ा ने कथित तौर पर अर्पिता के साथ मारपीट की क्योंकि उन्होंने अपना फोन सौंपने से इनकार कर दिया. उनके पति विजय और दो अन्य कामगार- रूपा और कविता ने भी दावा किया है कि उनके साथ मारपीट की गई थी.
बाद में महिला श्रमिकों को श्रमिक कॉलोनी के एक घर में बंद कर दिया गया. अर्पिता ने एनडीटीवी को बताया, ‘मुझे एक दिन के लिए नजरबंद रखा गया था. मेरे साथ मारपीट और गाली-गलौज की गई. मेरा फोन भी जब्त कर लिया था.’
उनकी मां ने इस चैनल को बताया कि गौड़ा ने उनकी बेटी और दामाद को पीटा था. उन्होंने कहा, ‘वह दो महीने की गर्भवती थी. मारपीट के चलते उसने अपना बच्चा खो दिया.’
द हिंदू के अनुसार, पिछले तीन महीने से छह दलित परिवार इस कॉफी एस्टेट में काम कर रहे थे. वे यहां की श्रमिक कॉलोनी में रह रहे थे. इस घटना से दो हफ्ते पहले गौड़ा ने कथित तौर पर एक श्रमिक को पीटा था, जिसके बाद कुछ लोगों ने यह जगह छोड़कर जाने का मन बना लिया था.
चिक्कमगलुरु जिले के पुलिस अधीक्षक उमा प्रशांत ने एनडीटीवी को बताया, ‘पीड़ितों के परिवारों की शिकायत के अनुसार, जिन लोगों ने पैसे उधार लिए थे, उनमें से कुछ घर छोड़ गए थे, इसलिए गौड़ा ने बाकी सभी लोगों को बंद कर दिया.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि कुछ लोग 8 अक्टूबर को यह आरोप लगाते हुए बालेहोन्नूर थाने आए थे कि उनके रिश्तेदारों को गौड़ा द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. हालांकि, उसी दिन शिकायत वापस ले ली गई.
अधिकारी ने आगे बताया, ‘इसके अगले दिन अर्पिता को एक जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और चिक्कमगलुरु में पुलिस प्रमुख के पास एक नई शिकायत दर्ज करवाई गई.’
उन्होंने संवाददाताओं से पुष्टि की कि उन्होंने कम से कम आठ से दस लोगों को एक कमरे में बंद देखा था. पुलिस के गौड़ा से पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ा गया.
अधिकारी ने कहा, ‘चार परिवार हैं, जिनके 16 सदस्य हैं- ये सभी अनुसूचित जाति से हैं. शिकायतकर्ता के अनुसार, इन सभी 16 लोगों को पंद्रह दिनों से नजरबंद रखा गया था.’
इस दौरान, गौड़ा के भाजपा से जुड़ाव को लेकर आ रही ख़बरों के बीच पार्टी के जिला प्रवक्ता वरसिद्धि वेणुगोपाल ने एनडीटीवी को बताया कि गौड़ा न तो पार्टी कार्यकर्ता हैं और न ही सदस्य. उन्होंने कहा, ‘किसी अन्य मतदाता की तरह वह सिर्फ एक भाजपा समर्थक हैं.’