बलात्कारियों को सम्मानित किया जाता है, जबकि राजनीतिक क़ैदियों को ज़मानत नहीं मिलती: महबूबा

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि हमारे हज़ारों युवा जेलों में हैं, धार्मिक विद्वानों के यहां छापा डाला जाता है. सरकार दावा करती रहती है कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सुधर गई है. अगर स्थिति सुधर गई होती तो इतने अधिक मानवाधिकार उल्लंघन नहीं होते.

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महबूबा मुफ़्ती. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि हमारे हज़ारों युवा जेलों में हैं, धार्मिक विद्वानों के यहां छापा डाला जाता है. सरकार दावा करती रहती है कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सुधर गई है. अगर स्थिति सुधर गई होती तो इतने अधिक मानवाधिकार उल्लंघन नहीं होते.

महबूबा मुफ़्ती. (फाइल फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि एक तरफ अपराधियों एवं बलात्कारियों को रिहा कर उनका अभिनंदन किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक कैदियों तथा ऐसे व्यक्तियों, जिनके खिलाफ ठोस मामले नहीं हैं, उन्हें स्वास्थ्य के आधार पर भी जमानत पर नहीं छोड़ा जाता है.

हुर्रियत नेता दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी के दामाद व अलगाववादी नेता अल्ताफ अहमद शाह की मंगलवार तड़के एम्स में कैंसर से मौत हो गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर शाह को तिहाड़ जेल से अस्पताल ले जाया गया था. शाह के निधन के बाद महबूबा का यह बयान आया है.

महबूबा ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘यह केवल अल्ताफ शाह की बात नहीं है. शाह का परिवार एम्स में सुबह से पार्थिव शरीर के लिए बाट जोह रहा है. 80 वर्षीय स्टेन स्वामी को भी जमानत नहीं मिली थी और जेल में ही स्वामी की मौत हो गई थी. सिद्दिकी कप्पन जैसे लोग, सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजनीतिक कैदी खासकर जम्मू कश्मीर के लोग एवं अलगाववादी सलाखों के पीछे हैं और उनकी तबियत ठीक नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘इस सरकार में अपराधी एवं बलात्कारी न केवल रिहा किए जाते हैं, बल्कि उनका स्वागत एवं अभिनंदन भी किया जाता है, लेकिन राजनीतिक कैदियों तथा ऐसे लोगों, जिनके खिलाफ ठोस मामले नहीं हैं, को स्वास्थ्य आधार पर भी जमानत नहीं दी जाती है. गंभीर हालत में अल्ताफ शाह जैसे लोग आखिरी क्षण अपने परिवार के साथ बिता सकें.’

महबूबा ने कहा कि सरकार दावा करती रहती है कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सुधर गई है. उन्होंने कहा, ‘यदि स्थिति सुधर गई होती तो इतने अधिक मानवाधिकार उल्लंघन नहीं होते.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे हजारों युवा जेलों में हैं, धार्मिक विद्वानों के यहां छापा डाला जाता है, उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जाता है. आज (मंगलवार) (बांदीपुरा में धार्मिक विद्वान) रहमतुल्लाह साहिब के यहां (एनआईए का) छापा पड़ा, क्योंकि कुछ दिन पहले उन्होंने उसकी (सरकार द्वारा) धार्मिक दखलअंदाजी पर बयान दिया था.’

शहरी क्षेत्रों में बीयर और तत्काल उपभोग के लिए तैयार (रेडी-टू-ड्रिंक) पेय बेचने के लिए विभिन्न डिपार्टमेंटल स्टोर को अधिकृत करने के जम्मू कश्मीर प्रशासन के फैसले का जिक्र करते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर में मुसलमानों की भावनाएं आहत करने के लिए किया गया है.

महबूबा ने कहा, ‘कल (सोमवार) उसने (प्रशासन ने) आदेश जारी किया कि हमारे स्टोर अब खुलेआम अल्कोहल बेच सकते हैं, जबकि बिहार एवं गुजरात में मद्यनिषेध है और वे उन्हें आदर्श राज्य कहते हैं. यह बस यहां मुसलमानों की भानाएं आहत करने के लिए किया गया है. उनके दमन का परिणाम सही नहीं होगा.’

बता दें कि बीते 15 अगस्त को गुजरात की भाजपा सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के 11 दोषियों की उम्र कैद की सजा को माफ कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 16 अगस्त को गोधरा के उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था.

सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर स्वागत किया जा रहा था. वहीं, रिहाई की सिफारिश करने वाले पैनल के एक सदस्य भाजपा विधायक सीके राउलजी ने बलात्कारियों को ‘अच्छे संस्कारों’ वाला ‘ब्राह्मण’ बताया था.

गौरतलब है कि गोधरा में 2002 में ट्रेन में आगजनी के बाद गुजरात में भड़की हिंसा के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार किया गया था. उस समय वह पांच महीने की गर्भवती थीं. इस दौरान जिन लोगों की हत्या की गई थी, उनमें उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थीं.

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने जनवरी 2008 में सभी 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बाद में इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)