खालिस्तानी अलगाववादी पन्नू के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस का भारत का अनुरोध इंटरपोल ने नकारा

खालिस्तान के अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारतीय अनुरोध को ख़ारिज करते हुए इंटरपोल ने कहा कि जिस यूएपीए के तहत नोटिस जारी करने के लिए कहा गया, उस क़ानून की आलोचना अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ दुरुपयोग किए जाने को लेकर होती रही है.

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गुरपतवंत सिंह पन्नू. (फोटो साभार: फेसबुक)

खालिस्तान के अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारतीय अनुरोध को ख़ारिज करते हुए इंटरपोल ने कहा कि जिस यूएपीए के तहत नोटिस जारी करने के लिए कहा गया, उस क़ानून की आलोचना अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ दुरुपयोग किए जाने को लेकर होती रही है.

गुरपतवंत सिंह पन्नू. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: खालिस्तान के अलगाववादी गुरपतवंतसिंह पन्नू के खिलाफ मामले में केंद्र सरकार को झटका लगा है. इंटरपोल ने खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के कनाडाई फाउंडर और कानूनी सलाहकार पन्नू के खिलाफ आतंक के आरोपों में रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारत के दूसरे आग्रह को भी ठुकरा दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि इंटरपोल ने यह भी कहा कि जिस यूएपीए के तहत रेड कॉर्नर नोटिस के लिए कहा गया था, उस कानून की आलोचना अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए दुरुपयोग करने पर की गई है.

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि इंटरपोल ने स्वीकार किया कि पन्नू एक ‘हाई-प्रोफाइल सिख अलगाववादी’ है और एसएफजे एक ऐसा समूह है, जो स्वतंत्र खालिस्तान की मांग करता है. इस संगठन पर भारत ने प्रतिबंध लगा दिया है.

उन्होंने कहा, फिर भी यह निष्कर्ष निकलता है कि पन्नू की गतिविधियों का एक ‘स्पष्ट राजनीतिक आयाम’ है, जो इंटरपोल के संविधान के अनुसार रेड कॉर्नर नोटिस का विषय नहीं हो सकता है.

इंटरपोल की फाइलों का नियंत्रण करने वाले आयोग ने भारत को अगस्त में अपने फैसले से अवगत करा दिया था.

सूत्रों ने कहा कि जून में आयोजित एक सत्र के दौरान आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा अपर्याप्त जानकारी प्रदान की गई है, जो ‘अपराध की आतंकवादी प्रकृति’ और ‘आतंकवादी गतिविधियों में पन्नू की सक्रिय और सार्थक भागीदारी’ नहीं दिखाती.

एनसीबी सीबीआई के अधीन काम करता है, और भारतीय कानून प्रवर्तन एजेसियों के लिए रेड कॉर्नर नोटिस अनुरोधों को संसाधित और समन्वयित करता है. पन्नू के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से एनसीबी द्वारा 21 मई 2021 को रेड कॉर्नर नोटिस के लिए अनुरोध किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि उसने इंटरपोल के कदम के बारे में एनआईए से पूछा, लेकिन एजेंसी के प्रवक्ता की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई.

सूत्रों ने बताया कि इंटरपोल आयोग को अपनी प्रस्तुति में भारत ने फरवरी 2021 को मोहाली में एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा पन्नू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट का हवाला दिया था और पन्नू की आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता की बात कही थी.

भारत ने कहा कि पन्नू का लक्ष्य पंजाब में आतंकवाद को वापस जिंदा करना था और अपने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए मासूमों की हत्या करना था.

सूत्रों ने बताया कि आयोग को दिए अपने आवेदन में पन्नू ने उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया और भारत के निवेदन को एक एक्टिविस्ट की आवाज दबाने का कदम बताया.

उन्होंने इससे भी इनकार किया कि एसएफजे एक आतंकवादी संगठन है.

सूत्रों के मुताबिक, आयोग का फैसला इंटरपोल संविधान के अनुच्छेद 3 पर आधारित है, जो संगठन को राजनीतिक, सैन्य, धार्मिक या नस्लीय चरित्र के किसी भी हस्तक्षेप या गतिविधियों को करने से रोकता है.

इंटरपोल ने इससे पहले जनवरी 2019 में भी पन्नू के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस का पुराना निवेदन खारिज कर दिया था, जो कि नवंबर 2018 में भारत की तरफ से दिया गया था.

आयोग ने इस ओर भी इशारा किया कि पन्नू को बिना दोषसिद्धि ही यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किया गया. पन्नू गृह मंत्रालय द्वारा यूएपीए के तहत सूचीबद्ध 38 आतंकवादियों में से एक है.

हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के अलावा पन्नू के खिलाफ अकेले पंजाब में 22 मामले दर्ज हैं, जिनमें से कुछ एनआईए द्वारा अपने पास स्थानांतरित कर लिए गए हैं.

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