‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ कथित भड़काऊ बयानों को लेकर पंजाब की रूपनगर पुलिस ने कुमार विश्वास पर मामला दर्ज किया था. वहीं, अप्रैल में मोहाली में भड़काऊ बयान और आपराधिक धमकी देने के आरोपों के तहत भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता कुमार विश्वास और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा अलग-अलग मामलों में दर्ज एफआईआर को बुधवार को खारिज कर दिया.
विश्वास के खिलाफ एक शिकायत के बाद पंजाब की रूपनगर पुलिस ने मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने समाचार चैनलों और सोशल मीडिया मंच पर ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ‘भड़काऊ बयान’ दिए, जिनमें केजरीवाल के अलगाववादी तत्वों के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया था.
वहीं, अप्रैल में मोहाली में भड़काऊ बयान और आपराधिक धमकी देने के आरोपों के तहत बग्गा के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. एक अप्रैल को दर्ज एफआईआर में 30 मार्च की बग्गा की टिप्पणी का उल्लेख था, जो उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर भाजपा युवा मोर्चे के विरोध प्रदर्शन के दौरान की थी.
तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता की धारा 153ए, 505 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था. बग्गा को पंजाब पुलिस ने बीते छह मई को राष्ट्रीय राजधानी के जनकपुरी स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था.
गिरफ्तारी के बाद पुलिस उन्हें अपने राज्य पंजाब ले जाना चाहती थी, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सकी. बीच रास्ते यानी हरियाणा के कुरुक्षेत्र में उन्हें हरियाणा पुलिस ने रोक लिया था.
पंजाब पुलिस ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में इसके खिलाफ अपील की थी, लेकिन उन्हें बग्गा को वापस हिरासत में लेने का मौका नहीं मिल सका. पूरे दिन चले इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद दिल्ली पुलिस बग्गा को वापस राष्ट्रीय राजधानी लेकर आ गई है. बग्गा छह मई को देर रात बग्गा जनकपुरी स्थित अपने घर पहुंच गए थे.
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने बग्गा के पिता प्रीतपाल सिंह की शिकायत पर पंजाब पुलिस के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज किया था.
बहरहाल अदालत ने दोनों नेताओं को क्लीनचिट देते हुए कहा कि कोई भी लोकतंत्र अपनी पसंद की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना नहीं सफल नहीं हो सकता.
जस्टिस अनूप चितकारा ने अपने निर्णय में कहा कि विश्वास के मामले में अगर अदालत हस्तक्षेप नहीं करती है तो न्याय संभव नहीं होगा, साथ ही बग्गा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा जारी रखने से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.
न्यायाधीश ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल किया, जिसमें हाईकोर्ट को किसी भी अधीनस्थ अदालत में कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने या न्याय सुनिश्चित करने का अधिकार प्राप्त है, साथ ही उन्होंने अप्रैल में दर्ज दोनों एफआईआर को रद्द करने के आदेश जारी किए.
फैसला आने के बाद कुमार विश्वास ने न्यायपालिका और अपने प्रशंसकों का धन्यवाद किया.
वहीं, भाजपा नेता बग्गा ने आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह अरविंद केजरीवाल के लिए ‘बड़ा तमाचा’ है.
बग्गा ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को लेकर केजरीवाल के खिलाफ ट्वीट करने के बाद आम आदमी पार्टी के निशाने पर आ गए थे, जिसकी दिल्ली और पंजाब दोनों जगह सरकार है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘सत्यमेव जयते. अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर बड़ा तमाचा. पंजाब हाईकोर्ट ने मेरे और डॉ. कुमार विश्वास के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया.’
Satyamev Jayate
Big slap on @ArvindKejriwal Face. Punjab High court Quashed FIR against Me & @DrKumarVishwas ji— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) October 12, 2022
जस्टिस चितकारा ने विश्वास के मामले में अपने आदेश में कहा, ‘इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यदि अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं करती है तो यह अन्याय होगा और इस प्रकार अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत प्राप्त अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए एफआईआर एवं संबंधित सभी कार्यवाहियों को रद्द करती है.’
बग्गा के मामले में भी न्यायाधीश ने कहा, ‘इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह ऐसा मामला है, जहां यदि आपराधिक मुकदमा जारी रहता है तो यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और इस प्रकार अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत प्राप्त अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए एफआईआर एवं संबंधित सभी कार्यवाहियों को निरस्त करती है.’
विश्वास पर राज्य विधानसभा चुनावों से पहले एक साक्षात्कार में कुछ नापाक और असामाजिक तत्वों के साथ केजरीवाल की संलिप्तता के बारे में आरोप लगाने का आरोप लगाया गया था.
उसके खिलाफ 12 अप्रैल को रूपनगर के सदर थाने में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (धर्म, नस्ल, स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 505 (जो कोई भी बयान देता है, अफवाह या रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित करता है) और 120बी (आपराधिक साजिश) और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 शामिल हैं.
पंजाब पुलिस ने 20 अप्रैल को विश्वास के गाजियाबाद स्थित घर का दौरा किया था और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था.
विश्वास ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद अपने वकील रणदीप राय और चेतन मित्तल के माध्यम से दलील दी थी कि रूपनगर पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामला बिल्कुल ‘अवैध, मनमाना और अन्यायपूर्ण था और यह राजनीति से प्रेरित प्रतिशोध के अलावा और कुछ नहीं है’.
उन्होंने कहा था कि यह एफआईआर राजनीतिक लाभ के परोक्ष उद्देश्य के लिए राज्य मशीनरी का इस्तेमाल करके राजनीतिक प्रतिशोध के लिए दायर की गई है.
अदालत ने पाया कि जिन प्रावधानों के तहत याचिका दायर की गई थी, उनमें से कोई भी प्रथमदृष्टया उनके खिलाफ नहीं है.
विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप पर अदालत ने कहा कि भले ही एफआईआर के हर शब्द और साक्षात्कार में बयान को सच मान भी लिया जाता है, तो भी यह आईपीसी की धारा 153ए के तहत कोई अपराध नहीं होगा, क्योंकि सदोष और इरादे का तत्व गायब है.
न्यायाधीश ने अपने आदेश में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अमेरिका के संस्थापकों में से एक बेंजामिन फ्रैंकलिन को भी उद्धृत किया, जिसमें कहा गया था कि पसंद की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना कोई लोकतंत्र संभव नहीं हो सकता.
आदेश में कहा गया है, ‘लोकतंत्र में चुनाव-पूर्व का समय लोगों की जानकारी की दृष्टि से सबसे अधिक मायने रखती है. याचिकाकर्ता एक सामाजिक शिक्षाविद हैं और उनके पूर्व सहयोगी के साथ हुए कथित बातचीत को साझा करने को लेकर यह नहीं कहा कहा जा सकता है कि उन्होंने (याचिकाकर्ता ने) जहर उगला था.’
आदेश के अनुसार, वर्गों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने के किसी भी इरादे का अनुमान लगाने का कोई मतलब नहीं है.
भाजपा नेता बग्गा के मामले में न्यायाधीश ने कहा कि आईपीसी की धारा 153ए तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देता है और सौहार्द खत्म करने के लिए प्रतिकूल कार्य करता है.
अदालत का फैसला आने के बाद कुमार विश्वास ने भी केजरीवाल पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को संकीर्ण सोच वाले लोगों से राज्य के स्वाभिमान की रक्षा करने की सलाह भी दी.
विश्वास ने ट्वीट किया, ‘सरकार बनते ही मुझ पर एफआईआर करके असुरक्षित आत्ममुग्घ बौने ने जो पंजाब पुलिस मेरे घर भेजी थी, उस बेबुनियाद एफआईआर को आज हाईकोर्ट पंजाब ने ख़ारिज कर दिया.’
उन्होंने लिखा, ‘प्यारे अनुज भगवंत मान को पुन: सलाह कि पंजाब के स्वाभिमान को बौनी-नज़रों से बचाए.’
सरकार बनते ही,मुझ पर FIR करके असुरक्षित आत्ममुग्घ बौने ने जो पंजाब-पुलिस मेरे घर भेजी थी उस बेबुनियाद FIR को आज उच्च न्यायालय पंजाब ने ख़ारिज कर दिया।न्यायपालिका व मुझे प्यार करने वालों का आभार। प्यारे अनुज @BhagwantMann को पुनः सलाह कि पंजाब के स्वाभिमान को बौनी-नज़रों से बचाए❤️ https://t.co/yMVQnyT6Jx
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) October 12, 2022
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)