अख़लाक़ की हत्या के बाद निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए संगीत सोम पर 800 रुपये का जुर्माना

उत्तर प्रदेश के बिसाहड़ा गांव में सितंबर 2015 में भीड़ ने गोमांस रखने के संदेह में 52 वर्षीय मोहम्मद अख़लाक़ की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. अदालत ने भाजपा नेता संगीत सोम को बिसाहड़ा गांव में सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन के लिए आईपीसी की धारा 188 के तहत दोषी ठहराया और 800 रुपये का जुर्माना लगाया है.

भाजपा विधायक संगीत सोम (फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के बिसाहड़ा गांव में सितंबर 2015 में भीड़ ने गोमांस रखने के संदेह में 52 वर्षीय मोहम्मद अख़लाक़ की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. अदालत ने भाजपा नेता संगीत सोम को बिसाहड़ा गांव में सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन के लिए आईपीसी की धारा 188 के तहत दोषी ठहराया और 800 रुपये का जुर्माना लगाया है.

भाजपा के पूर्व विधायक संगीत सोम (फोटो: पीटीआई)

नोएडा: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) जिले की एक अदालत ने भाजपा नेता संगीत सोम को 2015 में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने के बाद जारी सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

पूर्व भाजपा विधायक को अखलाक के बिसाहड़ा गांव में सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन के लिए आईपीसी की धारा 188 (सरकारी अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना) के तहत दोषी ठहराया गया है.

सहायक अभियोजन अधिकारी प्रेमलता यादव ने कहा, ‘सूरजपुर अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (2) प्रदीप कुमार कुशवाहा ने बुधवार (12 अक्टूबर) को उन्हें (सोम) आईपीसी की धारा 188 के तहत निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने का दोषी पाया और उन पर 800 रुपये का जुर्माना लगाया था.’

उन्होंने कहा कि अखलाक की हत्या की घटना के बाद बिसाहड़ा गांव में धारा 144 लागू की गई थी.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी छवि रंजन द्विवेदी ने कहा कि अखलाक की हत्या के बाद उस समय बिसाहड़ा में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू थी.

द्विवेदी ने कहा, ‘सोम 400-500 लोगों के साथ बिसाहड़ा गांव में इकट्ठा हुए थे और नारेबाजी कर रहे थे. उसके खिलाफ जो मामला दर्ज किया गया था वह निषेधाज्ञा के उल्लंघन का था. यह नफरती भाषण का मामला नहीं था. यह केवल गांव में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के आदेशों के उल्लंघन के बारे में था.’

पुलिस ने दिसंबर 2015 में सरधना के पूर्व विधायक सोम के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था. अन्य व्यक्ति जिन्होंने निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया था और जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, उन्हें भी आरोप-पत्र में नामित किया गया था, क्योंकि प्रशासन ने अफवाह फैलाने को रोकने के लिए कदम उठाए थे.

बता दें कि गौतमबुद्ध नगर के दादरी क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव के रहने वाले 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक की 28 सितंबर, 2015 को भीड़ ने कथित तौर पर इस संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी कि उन्होंने अपने घर में गोमांस रखा है.

अखलाक हत्याकांड में पुलिस ने कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें तीन नाबालिग भी थे. साथ ही मामले के 181 पन्नों के दस्तावेज (चार पन्ने चार्जशीट और 177 पन्नों की केस डायरी) के अनुसार नाबालिग आरोपी को सितंबर, 2016 में रिहा कर दिया गया था.

वहीं मामले के एक अन्य आरोपी रवि की अक्टूबर, 2016 में हिरासत में लंबे समय तक बीमार रहने के चलते मौत हो गई थी, जिसके शव को तिरंगे में लपेटे जाने को लेकर विवाद खड़ा हुआ था.

मालूम हो कि संगीत सोम पर पहले भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप लग चुके हैं. उन पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से पहले भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था, लेकिन मुकदमे के बाद एक स्थानीय अदालत ने आरोपों से बरी कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)