लद्दाख सीमा विवाद: हालिया चरण की बातचीत के बाद भी भारत-चीन कुछ मुद्दों पर बंटे हुए हैं

भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 25वीं बैठक के बाद भारत और चीन ने अपनी-अपनी प्रेस विज्ञप्ति जारी की हैं, जिनमें वास्तविक सीमा नियंत्रण के साथ-साथ शेष मुद्दों के समाधान पर दोनों ही देशों के कथनों में अंतर देखा जा सकता है.

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An Indian Army convoy moves along a highway leading to Ladakh, at Gagangeer in Kashmir's Ganderbal district June 18, 2020. Reuters/Danish Ismail

भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 25वीं बैठक के बाद भारत और चीन ने अपनी-अपनी प्रेस विज्ञप्ति जारी की हैं, जिनमें वास्तविक सीमा नियंत्रण के साथ-साथ शेष मुद्दों के समाधान पर दोनों ही देशों के कथनों में अंतर देखा जा सकता है.

लद्दाख में भारतीय सेना का एक काफिला. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: गोगरा-हॉट स्प्रिंग से हाल ही में सैनिकों की तैनाती हटाने के बाद हुई पहली बैठक में भारत और चीन ने गुरुवार को विदेश कार्यालय के नेतृत्व वाली वार्ता का एक और दौर आयोजित किया.

रिपोर्ट के अनुसार, यहां उन्होंने सीमा पर शांति रखने की प्रतिबद्धता फिर से जताई, लेकिन वे निरंतर जारी गतिरोध का पूरी तरह से समाधान करने के लिए अगला कदम उठाने में हमेशा की तरह विभाजित दिखाई दिए.

भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 25वीं बैठक गुरुवार को वर्चुअली आयोजित की गई थी. भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय (एमईए) के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) शिल्पक अंबुले ने किया, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागर मामलों के विभाग के महानिदेशक होंग लियांग ने किया.

जबसे दोनों देशों की सेनाएं मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध बनाए हुए हैं, यह तंत्र दोनों देशों के लिए बातचीत जारी रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रहा है. गतिरोध के पहले वर्ष में चार दशकों में पहली बार कोई मौत हुई, जब सैनिकों में आमने-सामने का टकराव हो गया.

तब से, दोनों पक्षों ने टकराव वाले चार बिंदुओं से अपने सैनिक वापस बुलाए हैं, आखिरी बार ऐसा सितंबर में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (जिसे गोगरा-हॉट स्प्रिंग के नाम से जाना जाता है) पर किया गया था.

हालांकि दो टकराव बिंदु देपसांग और डेमचोक पर अभी भी गतिरोध है, लेकिन भारत और चीन के इस पर विचार अलग-अलग हैं कि इनका समाधान कब किया जाएगा.

गुरुवार की वार्ता पर दोनों विदेश मंत्रालयों द्वारा जारी अलग-अलग प्रेस विज्ञप्ति ने उनकी प्राथमिकताओं को दिखाती हैं.

भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शेष मुद्दों के जल्द से जल्द समाधान के लिए कूटनीतिक और सैन्य माध्यम से चर्चा जारी रखने पर सहमत हुए हैं, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली के हालात पैदा हो सकें.

भारतीय विज्ञप्ति में उल्लेख है कि दोनों प्रतिनिधिमंडल ‘पश्चिम सेक्टर में एलएसी के साथ-साथ शेष मुद्दों के समाधान के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए’ जल्द से जल्द 17वें दौर की वरिष्ठ कमांडरों की बैठक आयोजित करने पर सहमत हुए हैं.

वहीं, चीनी प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेख किया गया है कि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि वे दोनों देशों के जिस महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे हैं, उसे ईमानदारी से लागू किया जाएगा, दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित समझौतों को सख्ती से पालन करेंगे और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करेंगे.

चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी उल्लेख किया कि वे ‘जल्द से जल्द’ अगले दौर की सैन्य वार्ता आयोजित करने पर सहमत हुए हैं. हालांकि, भारतीय प्रेश विज्ञप्ति में ‘एलएसी के साथ-साथ शेष मुद्दों’ के दो संदर्भ थे, लेकिन चीनी प्रेस नोट में समान बात नहीं थी.

इसके बजाय, चीनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों पक्ष ‘सीमा की स्थिति को सामान्य बनाने और सीमा के हालात को आपातकालीन नियंत्रण से सामान्य नियंत्रण की सीमा तक लाने के लिए तैयार हैं.’

‘आपातकालीन नियंत्रण से सामान्य नियंत्रण’ के परिवर्तन के संदर्भ में पिछले महीने चीनी राजदूत सन वेइदॉन्ग के पुराने बयान को दोहराया गया था. 28 सितंबर को चीनी राजदूत ने कहा था, ‘गलवान घाटी की घटना के बाद से आपातकालीन प्रतिक्रिया का दौर मूल रूप से समाप्त हो गया है, और अब सीमा के हालात सामान्य प्रबंधन और नियंत्रण में तब्दील हो रहे हैं.’

इसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संकेत दिया था कि भारतीय पक्ष अब भी संबंधों को सामान्य करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि कई कदम अभी भी बाकी हैं.

संयोगवश, भारतीय विज्ञप्ति में सितंबर में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर सैनिकों को हटाने पर भी प्रकाश डाला गया है, जो नई दिल्ली के लिए इसके महत्व को दर्शाता है. इसमें विशेष रूप से यह भी उल्लेख किया गया है कि यह विदेश मंत्री और चीनी स्टेट काउंसलर व विदेश मंत्री के बीच की समझ का परिणाम था, जिसमें जुलाई 2022 में बाली में हुई बैठक भी शामिल है.’

चीनी बयान में सीमा पर हालिया घटनाक्रम का हवाला नहीं दिया गया है.