शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने सिख उग्रवादी का चित्र स्वर्ण मंदिर संग्रहालय में लगाया

सिख उग्रवादी बलविंदर सिंह जटाना के नेतृत्व में उग्रवादियों ने मुख्य अभियंता एमएल सेखरी और अधीक्षण अभियंता अवतार सिंह औलख की हत्या कर दी थी, जो 23 जुलाई, 1990 को सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण की देखरेख कर रहे थे, जिसके बाद पंजाब सरकार ने इस पर काम रोक दिया था.

अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

सिख उग्रवादी बलविंदर सिंह जटाना के नेतृत्व में उग्रवादियों ने मुख्य अभियंता एमएल सेखरी और अधीक्षण अभियंता अवतार सिंह औलख की हत्या कर दी थी, जो 23 जुलाई, 1990 को सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण की देखरेख कर रहे थे, जिसके बाद पंजाब सरकार ने इस पर काम रोक दिया था.

अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में बने केंद्रीय सिख संग्रहालय में शनिवार को सिख उग्रवादी बलविंदर सिंह जटाना का चित्र लगाया है.

जटाना के नेतृत्व में उग्रवादियों ने मुख्य अभियंता एमएल सेखरी और अधीक्षण अभियंता अवतार सिंह औलख की हत्या कर दी थी, जो 23 जुलाई, 1990 को सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के निर्माण की देखरेख कर रहे थे, जिसके बाद पंजाब सरकार ने इस पर काम रोक दिया था.

पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के एक महीने बाद जून में उनके गाए ‘एसवाईएल’ नामक गीत के बाद जटाना का नाम सुर्खियों में आया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तब से एसवाईएल नहर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय बनी हुई है. बाद में मांग की गई कि इसका निर्माण किया जाए ताकि हरियाणा को पानी का उचित हिस्सा मिल सके. हालांकि पंजाब ऐसा करने से इनकार करते हुए कहा कि साझा करने के लिए एक अतिरिक्त बूंद भी नहीं है.

जटाना के चित्र के अलावा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने गुरु नानक देव के अनुयायी नवाब राय बुलर अहमद भट्टी और एसजीपीसी के पूर्व सदस्यों जत्थेदार जोगिंदर सिंह पंजरथ और हरिंदर सिंह रानिया का भी चित्र लगाया.

एसजीपीसी ने एक बयान में कहा कि एसजीपीसी के प्रमुख हरजिंदर सिंह और स्वर्ण मंदिर के ग्रंथी ज्ञानी राजदीप सिंह ने एक कार्यक्रम में तीनों चित्रों का अनावरण किया.

एसजीपीसी के प्रमुख ने कहा कि संग्रहालय सिख इतिहास का महत्वपूर्ण स्रोत है और जिन लोगों ने समुदाय (सिख) के लिए बलिदान किया है, उनके चित्र यहां लगाए गए हैं.

जटाना के संबंध में उन्होंने कहा, ‘जल संरक्षा वालों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर सतलुज यमुना संपर्क नहर का घोर विरोध किया था.’

एसजीपीसी के प्रमुख ने कहा कि नवाब राय बुलर भट्टी गुरु नानक देव के सच्चे अनुयायी थे. अपनी श्रद्धा प्रदर्शित करते हुए उन्होंने पाकिस्तान के लाहौर में स्थित गुरुद्वारा ननकाना साहिब को अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान कर दिया.

राय बुलर के वंशज वीजा नहीं मिलने के कारण इस कार्यक्रम के लिए स्वर्ण मंदिर नहीं आ सके.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)