केरल के कुछ वाम नेताओं और मंत्रियों ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल भाजपा आरएसएस के इशारे पर राज्य में संवैधानिक संकट पैदा कर रहे हैं और केरल में आरएसएस की नीतियों को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं.
तिरूवनंतपुरम: केरल में विभिन्न मुद्दों पर राजभवन और सत्तारूढ़ गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के बीच चल रही खींचतान के बीच राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि वामपंथी मंत्रियों के ऐसे किसी भी बयान पर कार्रवाई की जाएगी, जो उनके पद की गरिमा को कमतर करता हो.
केरल विधानसभा द्वारा पारित लोकायुक्त विधेयक और विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयकों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्ति आदि मुद्दों को लेकर राज्यपाल और सत्तारूढ़ वाम मोर्चा आमने-सामने हैं.
कई वामपंथी मंत्रियों का कहना है कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सिफारिश के अनुसार कदम उठाने के लिए बाध्य हैं और किसी विधेयक पर हस्ताक्षर किए या उसे वापस भेजे बिना अनिश्चितकाल तक उसे लटका कर नहीं रख सकते.
कुछ वाम नेताओं और मंत्रियों ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इशारे पर राज्य में संवैधानिक संकट पैदा कर रहे हैं और केरल में आरएसएस की नीतियों को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं.
इन सभी कठोर आलोचनाओं के मद्देनजर राज्यपाल ने ट्विटर पर कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को उन्हें सलाह देने का पूरा अधिकार है, लेकिन किसी भी मंत्री के ऐसे बयान पर कार्रवाई की जा सकती है, जो राज्यपाल पद की गरिमा को प्रभावित करने वाले हैं.
Hon’ble Governor Shri Arif Mohammed Khan said:“The CM and Council of Ministers have every right to advise Governor.But statements of individual ministers that lower the dignity of the office of the Governor,can invite action including withdrawal of pleasure”:PRO,KeralaRajBhavan
— Kerala Governor (@KeralaGovernor) October 17, 2022
उनके कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘माननीय राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को राज्यपाल को सलाह देने का पूरा अधिकार है, लेकिन मंत्रियों के ऐसे निजी बयान जिनसे राज्यपाल पद की प्रतिष्ठा कम होती है, पर उन्हें हटाए जाने सहित कार्रवाई की जा सकती है.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्यपाल की इस चेतावनी के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो ने सोमवार को पलटवार करते हुए कहा कि ऐसी ‘तानाशाह’ शक्तियां संविधान द्वारा राज्यपाल को प्रदान नहीं की गई हैं.
सीपीआई (एम) के केंद्रीय नेतृत्व ने कहा कि राज्यपाल के बयान ने एलडीएफ सरकार के प्रति खान के राजनीतिक पूर्वाग्रह और शत्रुता को उजागर कर दिया है. पार्टी ने मामले में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की है.
पार्टी ने कहा कि राज्यपाल इस तरह से काम कर रहे हैं जो उनके संवैधानिक पद के अनुरूप नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)