केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण पर एक महिला ने सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है. गृह मंत्रालय ने अधिकारी के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है. पुलिस ने भी इस संबंध में एफ़आईआर दर्ज की है.
नई दिल्ली: सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में एक महिला से बलात्कार के आरोपी इस केंद्रशासित राज्य के पूर्व मुख्य सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण को सोमवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, सरकार अपने अधिकारियों द्वारा, विशेष रूप से महिलाओं की गरिमा से जुड़ी घटनाओं के संबंध में, उनकी रैंक और पद की परवाह किये बिना अनुशासनहीनता के कृत्यों को कतई सहन नहीं करेगी.
बयान के अनुसार, मंत्रालय को रविवार (16 अक्टूबर) को अंडमान एवं निकोबार पुलिस से नारायण द्वारा 21 वर्षीय एक महिला के कथित यौन उत्पीड़न के संबंध में एक रिपोर्ट मिली थी, जब वह द्वीपसमूह के मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत थे.
बयान के अनुसार, रिपोर्ट में 1990 बैच के एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के आईएएस अधिकारी नारायण द्वारा गंभीर कदाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग का संकेत दिया गया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानून के अनुसार तत्काल सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे.
बयान में कहा गया है कि नारायण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया गया है.
अंडमान एवं निकोबार पुलिस के विशेष जांच दल द्वारा आपराधिक मामले में एफआईआर दर्ज कर अलग से कार्रवाई की जा रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नारायण वर्तमान में दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में तैनात थे.
महिला के आरोप के अनुसार, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पूर्व मुख्य सचिव (जितेंद्र नारायण) सहित दो अधिकारियों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था. महिला के आरोप के अनुसार उसके साथ बलात्कार पूर्व मुख्य सचिव के सरकारी आवास पर किया गया था.
आरोप के बाद जांच के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया और एबरडीन पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया.
महिला ने आरोप लगाया था कि बलात्कार में शामिल अन्य अधिकारी श्रम आयुक्त आरएल ऋषि थे और वे दो मौकों पर कथित अपराध में शामिल थे.
संपर्क किए जाने पर नारायण ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि मामला विचाराधीन है.
महिला ने 21 अगस्त को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने दो बार अप्रैल और मई में अपने साथ हुए कथित यौन हमले का विस्तृत विवरण दिया था और सबूत के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव के आवास के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखे जाने का अनुरोध किया था.
उन्होंने अधिकारी के आवास पर मौजूद कर्मचारियों की शिनाख्त परेड (टीआईपी) कराने का भी अनुरोध किया था.
शिकायतकर्ता ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोप का विवरण देते हुए अपना बयान भी दर्ज कराया है.
सीआरपीसी के इस खंड के तहत बयान देने वाला कोई भी व्यक्ति झूठा साबित होने पर झूठी गवाही के आरोपों का सामना करेगा.
महिला ने दावा किया कि वह नौकरी की तलाश में थीं. एक होटल मालिक के माध्यम से उन्हें आरएल ऋषि (श्रम आयुक्त) से मिलवाया गया, जो कथित तौर पर उन्हें नारायण के घर ले गया.
महिला ने दावा किया कि नारायण के आवास पर उन्हें शराब दी गई, लेकिन उन्होंने पीने से मना कर दिया. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने (नारायण) उन्हें (महिला) सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में दो पुरुषों द्वारा उनका यौन शोषण किया गया.
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि दो हफ्ते बाद उन्हें फिर से तत्कालीन मुख्य सचिव के आवास पर बुलाया गया और यही कृत्य दोहराया गया.
उन्होंने कहा कि वादा की गई सरकारी नौकरी देने के बजाय उन्हें धमकी दी गई कि अगर उन्होंने इस मामले को किसी को बताया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
अधिकारियों ने कहा कि उसने एक स्थानीय पत्रकार के खिलाफ पुलिस में एक अलग शिकायत भी दर्ज की है, जिसने कथित तौर पर महिला की पहचान के बारे में संकेत दिया था. एक पुलिस अधिकारी ने मामले के बारे में जानकारी लीक करने के लिए एक अलग शिकायत दर्ज की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)