गुजरात चुनाव राउंडअप: अहमद पटेल के संदिग्ध आतंकी से संबंधों को लेकर भाजपा ने हमले तेज़ किए, कांग्रेस ने कहा- हार देख भाजपा अपना रही ओछे हथकंडे. भाजपा बोली, जातिगत गठजोड़ का प्रयास कांग्रेस को उल्टा पड़ेगा.
नई दिल्ली: गुजरात चुनाव के पहले राजनीतिक बढ़त लेने के लिए भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. दोनों पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर ताबड़तोड़ जारी है. कांग्रेस नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को आर्थिक मुद्दे पर घेरने की कोशिश में है तो भाजपा के पास कांग्रेस पर पुराने आरोपों के अलावा एक नया मुद्दा मिल गया है.
भाजपा ने अहमद पटेल के गुजरात के उस अस्पताल के साथ गहरे संबंध होने का आरोप लगाया जहां गिरफ्तार होने के पहले कथित आईएसआईएस सदस्य काम करता था. दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता का बचाव करते हुए राज्यसभा से उनके इस्तीफे की मांग को बेतुका बताया है.
नोटबंदी के परिणाम उल्टे लेकिन सरकार जश्न मना रही
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने नोटबंदी एवं जीएसटी लागू होने के कारण सभी वर्गों विशेषकर छोटे व्यापारियों को होने वाली दिक्कतों की सरकार द्वारा अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी के फैसले का एक वर्ष पूरा होने पर जश्न मनाना सरकार के लिए उल्टा पड़ेगा.
गहलोत ने देश के आर्थिक हालात की चर्चा करते हुए कहा, नोटबंदी के परिणाम उल्टे निकल रहे हैं. पर से सरकार नोटबंदी के फैसले का एक साल पूरा होने पर जश्न मना रही है. सरकार को यह जश्न मनाना उल्टा पड़ेगा. लोगों के काम-धंधे नोटबंदी के कारण चौपट हो गए. उनकी नौकरियां जा रही हैं. सरकार को इस मामले में जवाब देना चाहिए. उसे अभी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है.
गत वर्ष आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 एवं 1000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की थी. कांग्रेस के नेतृत्व में 18 विपक्षी दलों ने इस घोषणा का एक वर्ष पूरा होने पर जहां काला दिवस मनाने की घोषण की है, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने इस दिन कालाधन विरोधी दिवस मनाने की घोषणा की है.
जिग्नेश और हार्दिक ने कांग्रेस में आने की बात कभी नहीं की
हार्दिक की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कथित मुलाकात के बारे में पूछने पर गुजरात मामलों के प्रभारी महासचिव अशोक गहलोत ने बताया, वैसे तो होटल में हार्दिक और राहुल गांधी की मुलाकात नहीं हुई. पर यदि यह हुई भी होती तो क्या फर्क पड़ता है. वह कोई अपराधी नहीं हैं.
गहलोत पूर्व में ही यह स्वीकार कर चुके हैं कि हार्दिक से खुद उनकी मुलाकात हुई थी. यह पूछे जाने पर कि क्या इस मुलाकात में हार्दिक ने कांग्रेस में शामिल होने की मंशा जताई थी, उन्होंने कहा, उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं की. जिग्नेश मेवानी और हार्दिक ने कांग्रेस में शामिल होने की बात कभी नहीं की. हमने उन सबका अवश्य आह्वान किया कि वे कांग्रेस की विजय यात्रा में साथ दें.
उन्होंने यह भी कहा कि इन नेताओं का रुख कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा. मीडिया के एक वर्ग में यह खबर आई थी कि गत 23 अक्टूबर को अहमदाबाद के एक होटल में हार्दिक ने राहुल के साथ गोपनीय भेंट की थी. हालांकि कांग्रेस और हार्दिक की ओर से ऐसी किसी भी मुलाकात से इनकार किया गया.
‘गुजरात में तस्वीर बदल गई है’
गहलोत ने दावा किया कि गुजरात में तस्वीर बदल गई है और लोगों ने मन बना लिया है. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस को असाधारण समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा, पूरे मुल्क में चिंता और भय का माहौल बना हुआ है. उद्यमी, व्यापारी, किसान… हर वर्ग डरा हुआ है. पूरे देश की तरह गुजरात के किसानों की भी हालत खराब है.
गहलोत ने कहा कि देश भर में रोजगार की स्थिति खराब है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं. दुकानें बंद हो रही हैं. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ गुजरात में छोटे उद्यमियों से मिले. इन उद्यमियों ने बताया कि उन्हें अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ रहा है क्योंकि वेतन देने लायक काम उनके पास नहीं है.
कांग्रेस नेता गहलोत ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष हमला बोलते हुए कहा, आप कुछ भी बोल कर एक बार तो कामयाब हो सकते हो किन्तु आपको हर बार कामयाबी नहीं मिलेगी. लोग आपकी सच्चाई जान जाएंगे.
‘चिदंबरम मोदी को समझाने गए थे, पर मोदी नहीं माने’
गहलोत ने कहा कि जीएसटी के मामले में भी सरकार ने किसी की नहीं सुनी. राहुलजी ने बताया कि उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सरकार के पास समझाने के लिए भेजा था. उनसे कहा गया कि यह पांच स्लेब आदि मत करिए. देश हित में जीएसटी को सरल बनाइए. हमारी बात नहीं मानी गई. यदि सरकार हमारी बात मान लेती तो उसकी स्थिति इतनी खराब नहीं होती. पूरे देश में इतना हाहाकार नहीं मचता.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग शासनकाल में भी देश में मंदी का दौर आया था. पर उस समय की सरकार ने मंदी का असर आम लोगों को महसूस नहीं होने दिया. इसका असर अन्य देशों पर पड़ा. हमारे देश पर नहीं पड़ा. इससे पता चलता है कि अर्थव्यस्था की अच्छी नीतियों से देश को कितना फायदा मिलता है. अभी पूरे विश्व में आर्थिक मंदी का दौर नहीं चल रहा, पर हमारे यहां है क्योंकि हमारी आर्थिक नीतियां ठीक नहीं हैं.
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा की केंद्र एवं राज्यों की सरकारें न तो लोगों की बात सुन रही हैं और न ही समझ रही हैं. इसी कारण वह दिनोंदिन अपने ही जाल में घिरती जा रही है.
नोटबंदी के बाद भाजपा को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली भारी विजय की ओर ध्यान दिलाये जाने पर गहलोत ने कहा कि वहां की स्थितियां अलग थीं क्योंकि वहां मुकाबले में चार प्रमुख दल शामिल थे. गुजरात में स्थिति भिन्न है क्योंकि यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा-सीधा मुकाबला है.
वाघेला पर भाजपा ने दबाव डाला
यह पूछे जाने पर कि शंकर सिंह वाघेला का तीसरा मोर्चा क्या गुजरात चुनाव में कोई असर डाल पाएगा, गहलोत ने कहा, उनके कांग्रेस छोड़कर जाने से पार्टी में शांति आई है. गुजरात के दस में से आठ लोग कह रहे हैं कि वाघेला के जाने से कांग्रेस को फायदा मिला है.
उन्होंने कहा कि वाघेला असम के नेता हेमंत विश्व शर्मा नहीं हैं जिनके कांग्रेस छोड़कर जाने से पार्टी पर असर पड़ा था. गहलोत ने कहा कि भाजपा ने वाघेला पर दबाव डाला है.
गुजरात चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें सबसे बड़ा मुद्दा सरकार का कुशासन है. इसके साथ साथ पटेलों का आरक्षण, दलितों के खिलाफ उत्पीड़न के बढ़ते मामले जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे.
कांग्रेस के पास गुजरात में कोई चेहरा नहीं होने के बारे में उन्होंने कहा कि यह भी देखने वाली बात है कि भाजपा के पास गुजरात में कौन चेहरा है, असली चेहरा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
यह पूछने पर कि कांग्रेस के पास कोई स्थानीय नेता न होने के कारण क्या गुजरात में चुनावी मुकाबला मोदी बनाम राहुल हो गया है, गहलोत ने कहा कि ऐसा नहीं है. यह चुनाव स्थानीय चुनाव है और स्थानीय ही रहेगा. हमारी तरफ से सभी प्रमुख नेता गुजरात जा रहे हैं. किंतु शासन तो स्थानीय लोग ही करेंगे. तो वास्तविक लड़ाई स्थानीय लोगों के बीच ही है.
पटेल मुद्दे पर सोनिया, राहुल स्पष्टीकरण दें: नकवी
भाजपा ने अहमद पटेल के गुजरात के उस अस्पताल के साथ गहरे संबंध होने का आरोप लगाया जहां से गिरफ्तारी से पहले कथित आईएसआईएस सदस्य काम करता था. दूसरी ओर कांग्रेस ने आरोपों से इनकार किया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव पटेल आतंकवादी हमले की कथित योजना बनाने के मामले में सूरत से दो संदिग्ध इस्लामिक स्टेट के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद मचे राजनीतिक घमासान के केंद्र में है.
इनमें से एक आरोपी कासिम टिम्बरवाला भरूच जिले के अंकलेर शहर में सरदार पटेल अस्पताल में टेक्नीशियन के तौर पर काम करता था. केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने संवाददाताओं से कहा, पटेल के वर्ष 1979 के बाद से इस अस्पताल से गहरे संबंध रहे हैं. सोनिया गांधी और राहुल गांधी को इस मुद्दे पर लोगों को स्पष्टीकरण देना चाहिए.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने शुक्रवार को पटेल से राज्यसभा से इस्तीफा देने की मांग की थी. गुजरात के राजकोट में मौजूदा वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने रूपानी की मांग को बेतुका बताया.
चिदंबरम ने कहा, मैं इस तरह की बेतुकी मांग से हैरान हूं. अहमद पटेल अस्तपाल के एक ट्रस्टी थे और उन्होंने 2015 में इस्तीफा दे दिया था. गिरफ्तार व्यक्ति पिछले साल टेक्नीशियन के तौर पर अस्पताल से जुड़ा था और उसने अपनी गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने कहा, अब अगर पिछले एक साल में टेक्नीशियन के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति का आईएसआईएस से संपर्क है तो उसके लिए तीन साल पहले ट्रस्टी रहा व्यक्ति जिम्मेदार कैसे हो सकता है.
हालांकि पटेल ने आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद बताकर पहले ही खारिज कर दिया था और भाजपा से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का राजनीतिकरण ना करने और गुजरात के शांति प्रिय लोगों को विभाजित नहीं करने की अपील की थी.
‘दाउद की बेटी मुंबई आती है, सरकार को क्यों नहीं पता चलता’
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी के अहम रणनीतिकारों में से एक और लंबे समय से गांधी परिवार के वफादार रहे पटेल पर इस हमले के लिए भाजपा की आलोचना की और इसे भयावह साजिश बताया.
सुरजेवाला ने कहा कि ना तो पटेल और ना ही उनके परिवार का कोई सदस्य अस्पताल का ट्रस्टी है या उसके प्रशासन में उनकी कोई भूमिका है.
उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भगवा पार्टी को यह बताना चाहिए कि पिछले साल जब अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम की पत्नी मुंबई आती है और वापस पाकिस्तान जाती है तो केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को क्यों पता नहीं चलता.
सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, साढे़ छह करोड़ गुजरातियों द्वारा नकार दिए जाने से व्यथित एवं गुजरात चुनाव में आसन्न हार देख रूपानी ओछे हथकंडों, षड्यंत्रकारी हरकतों व उलूल.जुलूल बयानबाजी पर उतर आए हैं. गुजरात के चुनाव में कामयाबी पाने के लिए भाजपा नेता नित नया स्वांग व प्रपंच रच रहे हैं.
‘मसूद अजहर को राजग ने रिहा किया’
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें और उसके नेता आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कमजोर साबित हुए हैं. सुरजेवाला ने भाजपा पर निशान साधने के लिए 1999 के कंधार विमान अपहरण के प्रकरण का जिक्र करते हुए कहा, क्या पूर्ववर्ती राजग सरकार ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अजहर और अन्यों को अफगानिस्तान में रिहा नहीं किया था?
सुरजेवाला ने कहा, भाजपा नेतृत्व एवं गुजरात के मुख्यमंत्री द्वारा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल के बारे में बौखलाहट भरे षड्यंत्रकारी आक्षेप लगाने का कुत्सित प्रयास किया गया. जो यह दर्शाता है कि निकम्मी व नाकारा भाजपा सरकार का मुखिया हार के डर से राजनीतिक ओछेपन के किस निम्न स्तर तक गिर सकता है.
सुरजेवाला ने कहा, सच्चाई जगजाहिर है. अंकलेर, भरूच में बना सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल एक ट्रस्ट द्वारा संचालित चैरिटेबल अस्पताल है. यह अस्पताल ग्रामीण अंचल में गुजरात के लोगों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं दे रहा है. आज प्रश्न यह है कि हार का मुंह देख रही निरुत्साहित भाजपा और उनके विफल मुख्यमंत्री अब राजनीति की सभी मर्यादाओं को तोड़ कर इतना नीचे गिर जाएंगे कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों को भी झूठे आक्षेपों के सहारे अपनी सस्ती व ओछी राजनैतिक आकांक्षापूर्ति का माध्यम बना डालेंगे.
जातिगत गठजोड़ का प्रयास कांग्रेस को प्रयास उल्टा पड़ेगा: भाजपा
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस ने जाति के गठजोड़ के आधार पर भले ही भाजपा पर भारी पड़ने की उम्मीद लगाई हो, लेकिन भगवा पार्टी का कहना है कि कांग्रेस का यह कदम उसके लिए उल्टा पड़ने वाला है.
विधानसभा चुनाव के प्रचार में शामिल भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस की रणनीति ओबीसी और पाटीदार को अपने साथ लाने की है, लेकिन उसकी यह कवायद विरोधाभासी है क्योंकि ये दोनों समुदाय हितों और महत्वाकांक्षाओं को लेकर एक दूसरे से स्पर्धा कर रहे हैं.
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को चेतावनी दी है कि वह पाटीदार समुदाय की आरक्षण की मांग पर तीन नवंबर तक अपनी स्थिति स्पष्ट करे या फिर नतीजों को भुगतने के लिए तैयार रहे. भाजपा इस चेतावनी को कांग्रेस की रणनीति में विरोधाभास के स्पष्ट संकेत के रूप में देख रही है.
ओबीसी में अपनी पैठ मजबूत करने के मकसद से हाल ही में कांग्रेस ने ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर को शामिल किया. कांग्रेस हार्दिक को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन ठाकोर का यह रुख रहा है कि ओबीसी के कोटे से छेड़छाड़ नहीं जा सकती.
साल 1995 से गुजरात की सत्ता में मौजूद भाजपा हिंदुत्व और विकास के ईद-गिर्द अपने चुनाव प्रचार को आगे बढ़ा रही है. उसका कहना है कि कांग्रेस पर उसे 10 फीसदी वोटों की बढ़त हासिल है. पाटीदार समुदाय को भाजपा को लंबे समय से समर्थन मिलता आया है और पार्टी के नेताओं का मानना है कि इस बार भी अधिकतर पाटीदार भाजपा का साथ देंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)