महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी जाने वाली आम सहमति बहाल की

अक्टूबर 2020 में उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी सरकार ने सीबीआई से जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली थी. अधिकारी ने बताया कि इस फैसले के बाद सीबीआई को अब राज्य के मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार से मंज़ूरी नहीं लेनी होगी.

/
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस. (फाइल फोटो: पीटीआई)

अक्टूबर 2020 में उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी सरकार ने सीबीआई से जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली थी. अधिकारी ने बताया कि इस फैसले के बाद सीबीआई को अब राज्य के मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार से मंज़ूरी नहीं लेनी होगी.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार ने पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से राज्य के मामलों की जांच के लिए वापस ली गई आम सहमति के फैसले को पलट दिया है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

अधिकारी ने बताया कि शिंदे सरकार ने केंद्रीय एजेंसी को दी जाने वाली आम सहमति बहाल कर दी है.

मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी ने बताया कि उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाले गृह विभाग ने राज्य के मामलों की जांच के लिए सीबीआई से आम सहमति वापस लेने के एमवीए सरकार के फैसले को पलटने के प्रस्ताव दिया था, जिसे मुख्यमंत्री शिंदे ने मंजूरी दे दी है.

उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद सीबीआई को अब राज्य के मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार से मंजूरी नहीं लेनी होगी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा, ‘इसके लिए अधिसूचना दो से तीन दिनों में जारी की जाएगी.’

यह कदम सीबीआई द्वारा उत्तर प्रदेश में दर्ज टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) घोटाला मामले को लेने के एक दिन बाद आया है, जबकि मुंबई पुलिस भी मामले के कुछ पहलुओं की जांच कर रही है, जिसके लिए शहर में भी एफआईआर दर्ज की गई थी.

बता दें कि टीआरपी घोटाला अक्टूबर 2020 में उस समय सामने आया था, जब टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करने वाली बार्क ने हंसा रिसर्च एजेंसी के माध्यम से रिपब्लिक टीवी सहित कुछ चैनलों के खिलाफ टीआरपी में धांधली करने की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने इस कथित घोटाले की जांच शुरू की थी.

उल्लेखनीय है कि 21 अक्टूबर, 2020 को उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार ने सीबीआई से जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली थी.

तत्कालीन राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार राजनीतिक बदले के लिए जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है.

एमवीए सरकार के आम सहमति वापस लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में सीबीआई को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच करने का निर्देश दिया था, जिसमें बिहार पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी. मुंबई पुलिस भी मामले की जांच कर रही थी.

मालूम हो कि 2015 से महाराष्ट्र के अलावा  मेघालय, मिजोरम और गैर-राजग शासित राज्यों- पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और केरल ने सीबीआई जांच के लिए आम सहमति वापस ले लिया है.

दरअसल सीबीआई ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम’ द्वारा शासित है. सीबीआई इस अधिनियम की धारा छह के तहत काम करती है. सीबीआई और राज्यों के बीच सामान्य सहमति होती है, जिसके तहत सीबीआई अपना काम विभिन्न राज्यों में करती है, लेकिन अगर राज्य सरकार सामान्य सहमति को रद्द कर दे, तो सीबीआई को उस राज्य में जांच या छापेमारी करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी.

चूंकि सीबीआई के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर अधिकार क्षेत्र है, यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या किसी राज्य में हिंसक अपराध से संबंधित मामले की जांच तभी कर सकती है, जब संबंधित सरकार इसकी सहमति देती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)