सूरत नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर और दरगाह दोनों अवैध ढांचे थे और इसलिए इन्हें ढहाए जाने से पहले कोई नोटिस नहीं जारी किया गया था.
नई दिल्ली: दिवाली से पहले गुजरात के सूरत नगर निगम ने शुक्रवार आधी रात को रिंग रोड पर सहारा दरवाजा इलाके में स्थित एक दरगाह और एक मंदिर को यातायात में बाधा बताते हुए ध्वस्त कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने सहारा दरवाजा स्थित बीबी उस्मानी और हाजी यूसुफ की दरगाह तथा मां काली मंदिर को तोड़ने से पहले कांग्रेस नेता असलम साइकिलवाला के साथ-साथ दोनों पूजा स्थलों के पुजारियों और देख-रेख करने वालों को हिरासत में लिया, जिन्होंने विध्वंस पर आपत्ति जताई थी, हालांकि शनिवार को उन्हें रिहा कर दिया.
जनता के विरोध और कानून-व्यवस्था की समस्याओं से बचने के लिए अधिकारियों ने दोनों निर्माण को ढहाने के लिए रात का समय चुना. वाहनों और लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था और बैरिकेड्स लगाए गए थे.
सूत्रों ने कहा कि अधिकारियों ने पुजारियों और देख-रेख करने वालों से बात की और उनसे परिसर छोड़ने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. कांग्रेस के पूर्व पार्षद असलम साइकिलवाला ने भी बीच-बचाव करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे. बाद में उन्हें हिरासत में लेकर ले जाया गया.
निर्माण ढहाए जाने की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुंचे लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया.
निगम के मध्य क्षेत्र के प्रमुख जतिन देसाई ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सहारा दरवाजा पर फ्लाईओवर की शुरुआत में मंदिर और रिंग रोड के बीच में स्थित दरगाह, अवैध ढांचे थे और इसलिए इन्हें ढहाए जाने से पहले कोई नोटिस नहीं जारी किया गया.
उन्होंने कहा, ‘हम वहां गए और देख-रेख करने वालों से कहा कि वे पवित्र स्थानों से महत्वपूर्ण सामान ले जाएं. दोनों निर्माणों को गिराए जाने के बाद हमने उस क्षेत्र को कोलतार से ढक दिया. दोनों धार्मिक संरचनाएं यातायात के लिए बाधा बन रही थीं.’
कांग्रेस नेता साइकिलवाला ने कहा कि उन्हें और देख-रेख करने वालों को शनिवार सुबह 4ः30 बजे रिहा कर दिया गया. निगम के अधिकारियों ने रात में गुपचुप तरीके से विध्वंस क्यों किया? शहर में कई अवैध निर्माण हैं, नगर निगम के अधिकारी उन्हें नहीं गिरा रहे हैं. उन्होंने दोनों समुदायों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.