सरकार के परामर्श के बावजूद कई भारतीय छात्रों ने यूक्रेन में रहना चुना, कहा- कोई विकल्प नहीं

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते क़रीब सात माह पहले यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र भारत लौट आए थे, जो कि हालात सुधरने के बाद सितंबर में वापस यूक्रेन चले गए थे. अब वापस हालात बिगड़ने पर भारत ने छात्रों से यूक्रेन तुरंत छोड़ने के संबंध में दो परामर्श जारी किए हैं.

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Budapest: More batches of Indian students enter Hungary from Ukrainian side at Zahony crossing, travelling onward to Budapest for return to India by AI flight. (PTI Photo) (PTI02 26 2022 000199B)

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते क़रीब सात माह पहले यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र भारत लौट आए थे, जो कि हालात सुधरने के बाद सितंबर में वापस यूक्रेन चले गए थे. अब वापस हालात बिगड़ने पर भारत ने छात्रों से यूक्रेन तुरंत छोड़ने के संबंध में दो परामर्श जारी किए हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कुछ महीने पहले भारत लौटे छात्र. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दो महीने पहले ही भारतीय छात्र युद्धग्रस्त यूक्रेन में अपनी कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए वहां वापस लौट गए थे, लेकिन रूस के साथ यूक्रेन का संघर्ष हाल ही में फिर से शुरू हो जाने के बाद भारत ने अपने नागरिकों को तुरंत यूक्रेन छोड़ने के लिए लगातार दो परामर्श जारी किए हैं, जिससे छात्रों के बीच अनिश्चितता ने घर कर लिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ताजा तनाव के बीच युवाओं, जिनमें अधिकांश मेडिसिन के छात्र हैं, ने अभी यूक्रेन में ही रहने का फैसला किया है. इनमें से कई छात्रों का कहना है कि उनके पास ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

अन्य छात्रों का कहना है कि आगे क्या करना है, यह तय करने से पहले वे प्रतीक्षा कर रहे हैं और देख रहे हैं. कुछ छात्र अस्थायी रूप से पड़ोसी देश हंगरी और स्लोवाकिया में शिफ्ट हो रहे हैं, जो कि सीमा पर 30 दिनों का परमिट जारी कर रहे हैं. जबकि, अन्य छात्रों के लिए रोजाना बजने वाले साइरन और भूमिगत बंकर धीरे-धीरे उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन रहें.

लीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के पांचवें वर्ष के एक छात्र ने कहा कि वह अस्थायी रूप से हंगरी में अपने दोस्तों के पास चले गए हैं, जहां से वह ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘शायद ही कोई छात्र हो जो भारत लौटने की सोच रहा हो. पिछले सात महीनों में हमने जो कुछ भी सहा है, उसके बाद हम सिर्फ यूक्रेन में अपनी डिग्री खत्म करना चाहते हैं. हम महीने भर पहले ही अपने माता-पिता को समझाने के बाद और कम से कम एक लाख रुपये खर्च करने के बाद वापस आए थे, हम अब वापस नहीं जा सकते हैं.’

मंगलवार (25 अक्टूबर) को भारत ने एक हफ्ते में अपना दूसरा परामर्श जारी कर अपने नागरिकों को किसी भी तरह यूक्रेन छोड़ने के लिए कहा था. इससे पहले 19 अक्टूबर को जारी पिछले परामर्श में सरकार ने भारतीय नागरिकों को यूक्रेन की यात्रा करने के खिलाफ चेतावनी दी थी और यूक्रेन लौट चुके छात्रों को बिगड़ते सुरक्षा हालातों के मद्देनजर देश छोड़ने के लिए कहा था.

बता दें कि करीब सात महीने पहले मार्च में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे करीब 20,000 भारतीय छात्र भारत लौट आए थे. इसके बाद बीते सितंबर से करीब 1,000 छात्र अपनी पढ़ाई वापस शुरू करने के लिए यूक्रेन लौट गए हैं.

लेकिन जैसा कि लीव मेडिकल यूनिवर्सिटी के पांचवें वर्ष के छात्र ने कहा कि यूक्रेन में मौजूद भारतीयों को हालात अधिक विकल्प नहीं देते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमें भारत में प्रवेश नहीं मिल रहा है और हंगरी, पोलैंड, जॉर्जिया व रूस जैसे देश, जहां हमें स्थानांतरण की पेशकश की जा रही है, यूक्रेन की तुलना में कहीं अधिक महंगे हैं. हम फिर से अपनी फीस का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं. भारत सरकार अच्छी तरह से जानती है कि हमारे पास यूक्रेन में रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘और अगर हम भारत लौट भी जाएं तो क्या हमारे माता-पिता हमें यूक्रेन वापस जाने देंगे? बिल्कुल भी नहीं. इसलिए हमारे पास विकल्प क्या है? अधिकांश छात्र जिन्होंने यूक्रेन में रहने का फैसला किया है, वे अपने पांचवें या छठे वर्ष में हैं. सब शुरुआत से शुरू करना आसान नहीं होता.’

विनेत्स्य नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के चौथे वर्ष के छात्र अनुराग कृष्ण ने कहा कि उनकी भारत लौटने की कोई योजना नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हमें कुछ समय देखना होगा. हालात बिगड़ने पर मैं किसी सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट हो सकता हूं. लेकिन वर्तमान में हम अपनी कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं और अपनी डिग्री पूरी करने पर ध्यान लगा रहे हैं. भारतीय अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे पास वास्तव में कोई और विकल्प नहीं है.’

इवानो-फ्रैंकिवस्क मेडिकल यूनिवर्सिटी की चौथे वर्ष का छात्रा कृति सुमन, जो बिहार से हैं, ने कहा, ‘हमारे पास विकल्प क्या है? भारत वापस आओ और फिर यूक्रेन जाओ, करने से ज्यादा यह कहना आसान है. अगर इवानो (पश्चिमी यूक्रेन) में हालात बिगड़ते हैं, तो हम अस्थायी रूप से हंगरी या रोमानिया जा सकते हैं, लेकिन फिलहाल यहां सब कुछ ठीक है.’

इस बीच, विदेश मंत्रालय की सलाह के बावजूद छात्रों का कहना है कि उनके कई दोस्त यूक्रेन लौट रहे हैं. एक छात्र ने बताया, ‘दिवाली के एक दिन बाद मंगलवार को 12 छात्र कीव पहुंचे. त्योहार समाप्त हो चुका है, इसलिए और भी छात्रों के आने की उम्मीद है.’

द्वितीय वर्ष के मेडिकल छात्र ओंकार धुले भी 4 नवंबर को यूक्रेन जाने वाले हैं. उनका कहना है कि वे केंद्र सरकार के परामर्श से वाकिफ हैं, लेकिन अपनी योजना नहीं बदलेंगे.

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने हमें बिना किसी विकल्प के छोड़ दिया है. वे हमें यहां कॉलेज में प्रवेश नहीं दे सकते और वे कहते हैं कि अगर हम 54 महीने की ऑफलाइन कक्षाएं पूरी नहीं करते हैं तो वे हमारी डिग्री को मान्यता नहीं देंगे. मेरे माता-पिता पहले ही लाखों खर्च कर चुके हैं. हमारे बैच के 13 छात्र पहले ही वहां पहुंच चुके हैं.’