केंद्रीय मंत्री को हत्या के मामले में बरी किए जाने के ख़िलाफ़ अपील स्थानांतरित करने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें 20 साल से अधिक पुराने हत्या के एक मामले में उन्हें बरी किए जाने के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर अर्जी को स्थानांतरित करने की मांग की गई है. केंद्रीय मंत्री पर साल 2000 में एक 24 वर्षीय युवक की हत्या का आरोप है.

अजय मिश्रा. (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें 20 साल से अधिक पुराने हत्या के एक मामले में उन्हें बरी किए जाने के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर अर्जी को स्थानांतरित करने की मांग की गई है. केंद्रीय मंत्री पर साल 2000 में एक 24 वर्षीय युवक की हत्या का आरोप है.

अजय मिश्रा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 20 साल से अधिक पुराने हत्या के एक मामले में उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर अर्जी को स्थानांतरित करने की मांग की गई है.

प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ को सूचित किया गया कि स्थानांतरण की मांग इस आधार पर की गई है कि वरिष्ठ वकील, जिन्हें लखनऊ में मामले में बहस करनी है, आमतौर पर इलाहाबाद में रहते हैं और उनकी उम्र के कारण यह संभव नहीं हो पाएगा कि वह जिरह के लिए लखनऊ तक जाएं.

इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इन सब मुद्दों में नहीं पड़ना चाहते, क्योंकि हमारे विचार में हाईकोर्ट से 10 नवंबर 2022 को याचिका पर सुनवाई करने के अनुरोध के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा दी गई तारीख और दोनों वरिष्ठ वकीलों द्वारा जताई गई सहमति न्याय की मांग को पूरा करती है.’

पीठ ने कहा, ‘अगर वरिष्ठ अधिवक्ता लखनऊ नहीं आ पाते हैं तो हाईकोर्ट द्वारा उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दलीलें पेश करने की अनुमति देने के अनुरोध पर विचार किया जा सकता है.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इससे पहले मंत्री ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था, लेकिन 24 अगस्त को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक प्रशासनिक आदेश द्वारा याचिका को ठुकरा दिया गया था. बाद में केंद्रीय मंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

अजय कुमार मिश्रा खीरी लोकसभा सीट से सांसद हैं.

यह मामला साल 2000 में लखीमपुर-खीरी में 24 वर्षीय प्रभात गुप्ता की हत्या से जुड़ा हुआ है.

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में रहने वाले संतोष गुप्ता ने कोतवाली तिकुनिया पुलिस को दी गई तहरीर में आरोप लगाया था कि उनके 24 साल के भाई प्रभात गुप्ता उर्फ राजू 8 जुलाई 2000 को घर से अपने दुकान जा रहा थे. जैसे ही वे मुख्य मार्ग पर पहुंचे रास्ते में पंचायत चुनाव की रंजिश में अजय मिश्र ‘टेनी’, सुभाष उर्फ मामा, शशि भूषण अग्रवाल उर्फ पिंकी, राकेश उर्फ डालू ने उन्हें रोक लिया.

तहरीर में आरोप है कि अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने प्रभात की कनपटी से सटाकर गोली चला दी, जिससे उनकी मौत हो गई. यह भी कहा गया है कि सभी नामजद आरोपितों ने एक-एक कर प्रभात को गोलियां मारी थीं.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने गुप्ता की हत्या के मामले में मुकदमे का सामना किया था और 2004 में उन्हें बरी कर दिया गया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी.

लखीमपुर खीरी में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की एक अदालत ने पर्याप्त सबूतों के अभाव में मिश्रा और अन्य को दोषमुक्त कर दिया था. मृतक के परिवार ने फैसले को चुनौती देते हुए एक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी.

मालूम हो​ कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा पिछले साल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में हुई हिंसा के दौरान चार किसानों और एक पत्रकार की एसयूवी से कुचलकर हत्या करने के आरोपी हैं. इस हिंसा के दौरान कुल आठ लोगों की मौत हुई थी. तीन अन्य मृतकों में भाजपा के दो कार्यकर्ता और केंद्रीय मंत्री की एसयूवी के चालक शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)