जम्मू कश्मीर के भारत में विलय की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भाजपा नेताओं द्वारा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को निशाना बनाने पर कांग्रेस ने कहा कि ‘वॉट्सऐप नर्सरी’ वाले भाजपा नेता फिर से इतिहास पढ़ें और पूर्व प्रधानमंत्रियों पर आरोप लगाने के बजाय अपने शासनकाल का हिसाब दें.
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के भारत में विलय की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को निशाना बनाया.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पार्टी ने दावा किया कि उनके द्वारा की गई ‘ऐतिहासिक गलतियों’ का नतीजा ‘जिहादी हत्याओं, हिंदुओं के पलायन और पाकिस्तान के साथ युद्धों के तौर पर निकला.
उन्होंने दावा किया कि इन ‘गलतियों’ को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करके सुधारा. ज्ञात हो कि अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और जितेंद्र सिंह ने नेहरू पर निशाना साधा ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री नेहरू की अनुच्छेद 370 लागू करने और मामले को संयुक्त राष्ट्र लेकर जाने जैसी गलतियों के कारण देश ने बहुत त्रासदी झेली, देश के संसाधनों की बर्बादी हुई और आतंकवाद के चलते हजारों सैनिकों और नागरिकों ने जान गंवाई.
उन्होंने कहा कि इन नेहरूवादी भूलों के कारण सात दशक खो गए और भारत ने भारी कीमत चुकाई. अंत में, 2019 में इतिहास ने एक मोड़ लिया जब ‘इंडिया फर्स्ट’ मार्गदर्शक सिद्धांत बना.
उन्होंने ‘न्यूज 18’ समाचार चैनल के वेब पोर्टल के लिए ‘नेहरू की पांच गलतियां’ शीर्षक से एक लेख भी लिखा और जनमत संग्रह के विचार को आगे बढ़ाने तथा विलय को अस्थायी बताने के लिए उन्हें आड़े हाथों लिया.
केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि अगर नेहरू ने कश्मीर मामले के समाधान का जिम्मा सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया होता तो इस क्षेत्र का इतिहास आज कुछ और ही होता लेकिन उन्होंने पटेल को इससे दूर रखा क्योंकि उन्हें लगता था कि वह ज्यादा जानते हैं.
रिजिजू ने कहा कि नए भविष्य के निर्माण के लिए पूर्व की गलतियों को महसूस करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि साथ ही उन्होंने इतिहास से छेड़छाड़ नहीं की है, बल्कि तथ्यों को परोसा है.
पार्टी ने कहा कि इन गलतियों के लिए कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए.
जम्मू कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले जितेंद्र सिंह ने नेहरू पर तत्कालीन रियासत के विलय में गड़बड़ी का भी आरोप लगाया. उन्होंने पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा अन्य रियासतों के सुगम विलय के साथ इसकी तुलना की.
रिजिजू ने 1952 में नेहरू के संसद भाषण का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया था कि तत्कालीन महाराजा ने स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा से बहुत पहले 24 जुलाई, 1947 को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर करने की इच्छा व्यक्त की थी.
रिजिजू ने कहा, ‘शेख अब्दुल्ला, उनके दोस्त, को सत्ता में स्थापित करना नेहरू के लिए कश्मीर को एकीकृत करने से ज्यादा महत्वपूर्ण था.’
वहीं, कश्मीर के भारत में विलय की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने आरोप लगाया कि नेहरू ने उस क्षेत्र के राजा हरि सिंह के कश्मीर के भारत में विलय के प्रस्ताव पर कार्रवाई में देरी, सहित पांच गलतियां की थीं.
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि नेहरू की इन गलतियों का खामियाजा जम्मू एवं कश्मीर के साथ देश को भी उठाना पड़ा और इनके चलते क्षेत्र का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया.
नेहरू के कुछ बयानों का हवाला देते हुए भाटिया ने दावा किया कि राजा हरि सिंह ने जुलाई 1947 में पहली बार विलय का विचार सामने रखा था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इसमें हिचकिचाहट दिखाई और देश की जगह कथित तौर पर अपने ‘मित्र’ को प्राथमिकता दी. मित्र से भाटिया का इशारा शेख अब्दुल्ला की तरफ था.
उन्होंने कहा कि इसके बाद नेहरू ने एक आंतरिक मसले को संयुक्त राष्ट्र पहुंचा दिया और इस वजह से इस मुद्दे में पाकिस्तान शामिल हो गया.
भाजपा प्रवक्ता ने कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का विचार सामने रखने के लिए भी नेहरू को आड़े हाथों लेते हुए दावा किया कि स्वतंत्रता अधिनियम में इसके लिए कोई प्रावधान ही नहीं था. इसी अधिनियम के तहत सैकड़ों रियासतों का भारत में विलय हुआ था.
भाटिया ने कहा कि इतना ही नहीं, जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान किए गए और देश को इसका खामियाजा उठाना पड़ा.
केंद्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को 2019 में समाप्त कर दिया और उसका विभाजन दो केंद्रशासित क्षेत्रों- जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में कर दिया .
भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि तत्कालीन गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल, नेहरू के इन फैसलों के खिलाफ थे. उन्होंने कहा कि अन्य रियासतों की तरह कश्मीर का भी भारत में विलय हो गया होता तो संभवत: देश में ‘जिहादी आतंकवाद’ नहीं होता.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मोदी ने इन गलतियों को सुधारा है.
भाजपा ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा 2019 में लोकसभा में अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के मुद्दे पर चर्चा के दौरान दिए गए एक बयान का भी उल्लेख किया और कांग्रेस पर हमला किया.
उस समय चौधरी ने सवाल उठाया था कि कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र में है, ऐसे में यह आतंरिक मसला कैसे हो सकता है. भाटिया ने कहा कि कांग्रेस को इन गलतियों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.
उन्होंने कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन का भी मुद्दा उठाया और इसके लिए कांग्रेस पर निशाना साधा.
कांग्रेस ने कहा- ‘वॉट्सऐप नर्सरी’ वाले भाजपा नेता इतिहास पढ़ें
इस बीच, कांग्रेस ने भी पलटवार किया और कहा कि सत्ताधारी दल के नेताओं को समकालीन इतिहास की कोई जानकारी नहीं है और नेहरू व अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों पर आरोप लगाने के बजाय उन्हें भाजपा के शासनकाल में जो कुछ हुआ, उसका हिसाब देना चाहिए.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर एक लेख साझा किया और कहा कि किरेन रिजिजू और उनके जैसे छद्म इतिहासकार और झूठ फैलाने वालों को इसे जरूर पढ़ना चाहिए.
कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों पर जवाब देते हुए जम्मू-कश्मीर के शोपियां से कई कश्मीरी पंडित परिवारों के कथित पलायन को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि केंद्र को ‘श्वेत पत्र’ लाकर यह बताना चाहिए कि उसने कश्मीरी पंडितों की पीड़ा दूर करने के लिए क्या कदम उठाए हैं.
पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने यह दावा भी किया कि इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर तक कश्मीरी पंडितों की ‘टार्गेट किलिंग’ की 30 घटनाएं हो चुकी हैं.
कश्मीर के संदर्भ में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के एक लेख से जुड़े सवाल पर खेड़ा ने कहा कि ‘वॉट्सऐप नर्सरी’ वाले भाजपा के नेताओं को फिर से इतिहास का अध्ययन करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘अगर भाजपा नेताओं को लगता है कि उनकी बातें सही हैं तो इन दो सवालों का जवाब दें कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते जम्मू कश्मीर में 75 प्रतिशत मतदान कैसे होता था और कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाकर की जाने वाली हत्याएं कैसे बंद होंगी?’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘भाजपा नेताओं को समकालीन इतिहास के बारे में कुछ नहीं पता, तथा ऐसे में वे सिर्फ पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराते रहते हैं.’
खेड़ा ने कहा कि भाजपा को 1989-1990 की स्थिति और मौजूदा स्थिति के लिए माफी मांगनी चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)