यूपी: भड़काऊ भाषण मामले में सज़ा के बाद आज़म ख़ान की विधानसभा सदस्यता रद्द

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर सीट से विधायक आज़म ख़ान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल पर दर्ज मामले में अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए तीन साल की सज़ा सुनाई है.

समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान. (फोटो: एएनआई)

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर सीट से विधायक आज़म ख़ान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल पर दर्ज मामले में अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए तीन साल की सज़ा सुनाई है.

समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान. (फाइल फोटो: एएनआई)

लखनऊ: भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई. उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने बताया कि विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है.

उन्होंने कहा, ‘अदालत द्वारा पारित फैसले के कारण अयोग्यता के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय द्वारा सीट रिक्त की घोषणा की गई है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या आजम खान को अयोग्य घोषित किया गया है, दुबे ने कहा, ‘हम (एक मौजूदा सदस्य को) अयोग्य घोषित नहीं करते हैं, हम केवल (संबंधित सीट की) रिक्ति की घोषणा करते हैं. अयोग्यता तो अदालत के आदेश के बाद पहले ही हो चुकी है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, खान ने फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के लिए आठ दिनों का समय मांगा था, जो उन्हें दे दिया गया. लेकिन, जुलाई 2013 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एक अपील दो साल से अधिक की सजा पाए किसी सांसद या विधायक की अयोग्यता के रास्ते में नहीं आती.

वरिष्ठ सपा नेता खान ने हाल ही में संपन्न 2022 विधानसभा चुनावों में 10वीं बार रामपुर सीट से जीत हासिल की थी. विधायक चुने जाने पर खान ने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा के आकाश सक्सेना को हराया था.

शुक्रवार को आकाश सक्सेना ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश विधानसभा से आजम खान को अयोग्य घोषित करने का आग्रह किया था.

इस बीच, शुक्रवार को राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट कर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘मोहम्मद आज़म खान की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के माननीय अध्यक्ष विधानसभा सतीश महाना के फ़ैसले का स्वागत है. रिक्त विधानसभा के उपचुनाव जब भी होंगे, भाजपा का कमल खिलेगा.’

राज्य विधानसभा के सूत्रों ने बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार, खान स्वत: ही विधानसभा के सदस्य नहीं रह गए. एक सूत्र ने कहा कि ऐसे मामलों में राज्यपाल के आदेश की भी जरूरत नहीं होती है.

खान के वकील विनोद शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हम अदालत के आदेश पर रोक लगाने के लिए सत्र न्यायालय में अपील दायर करेंगे.’

विधानसभा से अयोग्ता संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हमारी अपील पर सत्र न्यायालय का फैसला देखने दीजिए.’

वहीं, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘हम पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व और वकीलों के साथ कानूनी पहलुओं पर चर्चा करेंगे. कानून के तहत आगे क्या करना है, इस पर हम फैसला लेंगे.’

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने सपा नेता एवं विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में गुरुवार को दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम कहता है कि दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘ऐसी सजा की तारीख से’ अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और जेल में समय बिताने के बाद छह साल के लिए अयोग्यता बरकरार रहेगी.

आजम खान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लेकर अपमानजनक भाषा का इस्‍तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्‍ठ अधिकारियों को भला-बुरा कहने पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था. खान के इस बयान का वीडियो भी वायरल हुआ था.

भड़काऊ भाषण देने के मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने आजम खां को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 153-क (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505-क (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी.

गौरतलब है कि आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम को भी 2020 में सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पहले फैसला सुनाया था कि अब्दुल्ला आजम चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे क्योंकि उनकी उस समय उम्र 25 वर्ष से कम थी, जब उन्होंने 2017 में स्वार निर्वाचन क्षेत्र से सपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था.

गौरतलब है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आजम खान के खिलाफ चोरी से लेकर भ्रष्टाचार तक के 87  मामले दर्ज किए गए.

जमीन कब्जाने से संबंधित मामले में वे करीब दो सालों तक जेल में रहे थे. इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत मिलने के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)