टाटा-एयरबस विमान परियोजना महाराष्ट्र से गुजरात पहुंची, शिंदे सरकार विपक्ष के निशाने पर

केंद्र द्वारा टाटा-एयरबस विमान परियोजना 22,000 करोड़ रुपये की लागत से महाराष्ट्र के विदर्भ में स्थापित की जानी थी, लेकिन अब वह गुजरात में स्थानांतरित कर दी गई है. विपक्ष का आरोप है कि यह चौथी परियोजना है, जो महाराष्ट्र से गुजरात चली गई, ऐसा इसलिए हो रहा है, ताकि आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित की जा सके.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. (फोटो साभार: फेसबुक)

केंद्र द्वारा टाटा-एयरबस विमान परियोजना 22,000 करोड़ रुपये की लागत से महाराष्ट्र के विदर्भ में स्थापित की जानी थी, लेकिन अब वह गुजरात में स्थानांतरित कर दी गई है. विपक्ष का आरोप है कि यह चौथी परियोजना है, जो महाराष्ट्र से गुजरात चली गई, ऐसा इसलिए हो रहा है, ताकि आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित की जा सके.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. (फोटो साभार: फेसबुक)

मुंबई: केंद्र द्वारा टाटा-एअरबस सी-295 परिवहन विमान परियोजना गुजरात में स्थापित करने की घोषणा के बाद विपक्ष ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि यह परियोजना पड़ोसी राज्य में क्यों गई, जबकि इसे महाराष्ट्र में स्थापित किया जाना था.

एयरबस के अलावा तीन और परियोजनाओं के हाथ से निकल जाने के बाद महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है.

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने शिंदे सरकार पर राज्य की प्रगति को लेकर गंभीर न होने का आरोप लगाया और ‘राज्य के हितों की रक्षा करने में नाकाम’ रहने के लिए उसकी आलोचना की.

राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने दावा किया कि शिंदे-भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस परियोजना को स्थानांतरित करने की कोशिश की है, ताकि आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित की जा सके.

ऐसा ही कुछ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता जयंत पाटिल का कहना है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में जा रही परियोजना में गड़बड़ी का आरोप लगाया.

एनसीपी नेता ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘गुजरात चुनाव आने के साथ ही महाराष्ट्र में भाजपा गुजरात के हितों की रक्षा करने में व्यस्त नजर आ रही है.’

बहरहाल, भाजपा ने आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ने प्रस्तावित परियोजना पर आगे बढ़ने के लिए कुछ नहीं किया था.

गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार (27 अक्टूबर) को कहा कि यूरोपीय कंपनी एयरबस और भारतीय समूह टाटा का एक कंसोर्टियम (संघ) गुजरात के वडोदरा में भारतीय वायुसेना के लिए सी-295 परिवहन विमान का निर्माण करेगा.

इस परियोजना के तहत पहली बार निजी कंपनी द्वारा सैन्य विमान का निर्माण भारत में किया जाना है. परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है. विमान का इस्तेमाल नागरिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को वायुसेना के लिए सी-295 परिवहन विमान के उत्पादन को लेकर गुजरात के वडोदरा में एक विनिर्माण सुविधा की आधारशिला रखेंगे, जिसे भारत के घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है.

घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. परियोजना की घोषणा करते हुए रक्षा सचिव अजय कुमार ने बृहस्पतिवार कहा कि यह विनिर्माण सुविधा विमान के निर्यात के साथ-साथ भारतीय वायु सेना के लिए अतिरिक्त ऑर्डर को पूरा करेगी.

पिछले साल सितंबर में भारत ने वायुसेना के पुराने एवरो-748 विमानों के स्थान पर 56 सी-295 परिवहन विमान की खरीद के लिए एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ करीब 21,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए.

हालांकि, इस साल सितंबर में मुख्यमंत्री शिंदे के वफादार उदय सामंत ने कहा था कि टाटा-एयरबस विमान विनिर्माण परियोजना महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में नागपुर के समीप स्थापित की जाएगी.

गौरतलब है कि पिछले महीने वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी फॉक्सकॉन की संयुक्त सेमीकंडक्टर परियोजना गुजरात में स्थापित करने की घोषणा के बाद महाराष्ट्र में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था. पहले यह परियोजना पुणे शहर के समीप स्थापित की जानी थी. इसकी लागत 1.54 लाख करोड़ थी.

आदित्य ठाकरे ने पुणे जिले की शिरुर तहसील में पत्रकारों से बातचीत में पूछा, ‘क्या राज्य सरकार जवाब देगी कि ये परियोजनाएं बाहर क्यों जा रही हैं? यह (टाटा-एयरबस) चौथी परियोजना है, जो महाराष्ट्र में गद्दार सरकार के सत्ता में आने के बाद से राज्य से दूर चली गई है. वे हमेशा दावा करते हैं कि उनकी डबल-इंजन की सरकार है, लेकिन केवल केंद्र सरकार का इंजन काम कर रहा है, जबकि राज्य सरकार का इंजन फेल हो गया है.’

ठाकरे भारी बारिश के कारण किसानों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए शिरुर आए थे.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘मुख्यमंत्री शिंदे आए दिन दिल्ली जाते हैं, लेकिन वे वहां अपने लिए जाते हैं, न कि महाराष्ट्र के लिए. मैंने उन्हें कभी यह कहते नहीं सुना कि टाटा-एयरबस परियोजना को महाराष्ट्र में आना चाहिए था. वेदांता फॉक्सकॉन, बल्क ड्रग पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क और अब टाटा-एयरबस समेत परियोजनाएं गुजरात चली गई हैं.’

ठाकरे गुट की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ट्विटर पर इसी तरह का आरोप लगाते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं.

वहीं, अंबादास दानवे ने इस परियोजना के गुजरात चले जाने पर राज्य सरकार की आलोचना में ट्वीट किया, ‘यह ईडी (एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस) सरकार महाराष्ट्र की है या गुजरात की है? यह सरकार चिल्लाती है कि वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना पूर्ववर्ती एमवीए सरकार के कारण गुजरात चली गई. अब किसके कारण यह परियोजना (टाटा-एअरबस) गुजरात चली गई?’

इस पर पलटवार करते हुए भाजपा विधायक प्रवीण दारेकर ने कहा, ‘टाटा-एअरबस परियोजना के लिए समझौता एक साल पहले हुआ था और आपको पता होना चाहिए कि उस समय कौन सत्ता में था. पूर्ववर्ती सरकार ने इस पर कुछ नहीं किया. विपक्ष को ऐसे निराधार आरोप नहीं लगाने चाहिए.’

वहीं, आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार को भी राज्य सरकार पर हमला बोला और कहा कि निवेशकों को एकनाथ शिंदे-भाजपा की ‘खोके सरकार’ पर विश्वास नहीं है और इसलिए राज्य से बाहर परियोजनाएं जा रही हैं.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘हम देख सकते हैं कि उद्योगपतियों को इस ‘खोके सरकार’ (शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट का दावा है कि करोड़ों रुपये की कथित रिश्वत देकर शिंदे सरकार गठित हुई) पर भरोसा नहीं है और यही कारण है कि महाराष्ट्र में आने वाला हर निवेश अब अन्य राज्य में जा रहा है.’

इस बीच, परियोजना राज्य से बाहर जाने के विरोध में महाराष्ट्र युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी शुक्रवार को नागपुर में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के सामने विरोध प्रदर्शन किया.

वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजीत पवार ने भी परियोजना महाराष्ट्र से गुजरात ले जाए जाने पर शुक्रवार को निराशा प्रकट की.

उन्होंने यह भी कहा कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार को राज्य से इस बड़ी परियोजना को जाने से रोकने के लिए जरूर कुछ कदम उठाना चाहिए.

पूर्व उप-मुख्यमंत्री पवार ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि कई राज्यों में परियोजनाएं विकसित की जानी चाहिए लेकिन एक राज्य में स्थापना के लिए प्रस्तावित एक परियोजना को किसी अन्य राज्य में क्यों ले जाया जाए? महाराष्ट्र में अनुकूल माहौल होने के बाद भी परियोजनाएं अन्यत्र ले जाई जा रही हैं.’

महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री ने विपक्ष की आलोचना की

इस बीच महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को दावा किया कि गुजरात में टाटा-एअरबस सी-295 परिवहन विमान परियोजना स्थापित करने के सौदे पर केंद्र ने पिछले साल सितंबर में हस्ताक्षर किए थे, जब राज्य में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार सत्ता में थी.

राज्य के उद्योग मंत्री ने इस परियोजना पर ‘भ्रम’ पैदा करने के लिए विपक्ष की आलोचना भी की.

सामंत ने कहा कि गुजरात में विमान विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर केंद्र ने सितंबर 2021 में हस्ताक्षर किए थे.

उन्होंने कहा, ‘चाहे वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना हो या टाटा-एअरबस परियोजना हो, इन परियोजना को कहां स्थापित किया जाए, इसका फैसला जून में राज्य में इस (एकनाथ शिंदे नीत) सरकार के सत्ता में आने से पहले लिया गया था. विपक्ष लोगों के बीच भ्रम फैलाने के अलावा और कुछ नहीं कर रहा है.’

तीन महीनों में महाराष्ट्र ने 1.8 लाख करोड़ की चार परियोजनाएं गंवाईं

गौरतलब है कि इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तीन महीनों में महाराष्ट्र के हाथ से 1.8 लाख करोड़ की चार परियोजनाएं निकल गई हैं.

6,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार देने वाली टाटा-एयरबस के अलावा, सितंबर में वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना भी गुजरात के धोरेला चली गई थी. इससे करीब 1 लाख रोजगार पैदा होने की संभावना थी.

बल्क ड्रग पार्क परियोजना का दावेदार भी महाराष्ट्र था, जिसकी अनुमानित लागत करीब 3,000 करोड़ रुपये थी. परियोजना से 50,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हो सकती थीं. महाराष्ट्र इस परियोजना को तटीय रायगढ़ जिले के रोहा और मुरुद तहसीलों में लाने पर जोर दे रहा था और इसके लिए 5,000 एकड़ भूमि भी निर्धारित की थी.

हालांकि, 1 सितंबर को केंद्र ने बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश के प्रस्तावों को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी.

इसके अलावा सितंबर में केंद्र सरकार ने औरंगाबाद की औरिक सिटी में 424 करोड़ रुपये के मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने के महाराष्ट्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व हिमाचल प्रदेश के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी.

इस परियोजना को पिछली एमवीए सरकार ने अक्टूबर 2020 में मंजूरी दी थी और इसके महाराष्ट्र में आने पर 3,000 से अधिक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान था.

बहरहाल, विपक्षी दलों के हमले के बाद बीते माह भी उद्योग मंत्री उदय सामंत ने मुख्यमंत्री शिदे और प्रधानमंत्री के बीच एक कथित फोन कॉल का खुलासा किया था और दावा किया था कि प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में समान या बेहतर सौदे आने का वादा किया है.

इसके बाद वेदांता के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने ट्विटर पर लिखा कि कंपनी महाराष्ट्र में भी निवेश के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

सी-295 परिवहन विमान निर्माण परियोजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को वायु सेना के लिए सी-295 परिवहन विमान के उत्पादन को लेकर गुजरात के वडोदरा में एक विनिर्माण सुविधा की आधारशिला रखेंगे. यूरोपीय कंपनी एयरबस और भारतीय समूह टाटा के एक कंसोर्टियम (संघ) द्वारा इन विमानों का उत्पादन किया जाएगा.

घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. परियोजना की घोषणा करते हुए रक्षा सचिव अजय कुमार ने बृहस्पतिवार कहा कि यह विनिर्माण सुविधा विमान के निर्यात के साथ-साथ भारतीय वायु सेना के लिए अतिरिक्त ऑर्डर को पूरा करेगी.

पिछले साल सितंबर में भारत ने वायुसेना के पुराने एवरो-748 विमानों के स्थान पर 56 सी-295 परिवहन विमान की खरीद के लिए एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ करीब 21,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए.

समझौते के तहत, एयरबस चार साल के भीतर सेविले, स्पेन में अपनी अंतिम असेंबली लाइन से ‘उड़ान की स्थिति में तैयार’ पहले 16 विमान की आपूर्ति करेगी और बाद में 40 विमान भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (टीएएसएल) द्वारा निर्मित और ‘असेंबल’ किए जाएंगे. यह निर्माण दोनों कंपनियों के बीच एक औद्योगिक साझेदारी के हिस्से के रूप में होगा.

इस परियोजना के तहत पहली बार निजी कंपनी द्वारा सैन्य विमान का निर्माण भारत में किया जाना है. परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है. विमान का इस्तेमाल नागरिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है.

कुमार ने कहा कि विमान में स्वदेशी सामग्री 96 प्रतिशत तक होगी, एयरबस स्पेन में अपनी विनिर्माण सुविधा में जैसा करती है वही भारत में किया जाएगा. साथ ही, उन्होंने जोड़ा कि इसमें विमान का इंजन शामिल नहीं होगा.

वडोदरा में शिलान्यास समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल सहित अन्य विशिष्टगण शामिल होंगे.

कुमार ने केरल से वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘उड़ान भरने के लिए तैयार पहले 16 विमान सितंबर 2023 और अगस्त 2025 के बीच प्राप्त होने वाले हैं. पहला मेड-इन-इंडिया विमान सितंबर 2026 में मिलने की उम्मीद है.’

वायु सेना के उप-प्रमुख एयर मार्शल संदीप सिंह ने कहा कि विमान एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स (एएलजी) और यहां तक कि बिना तैयार रनवे से भी संचालित हो सकेगा. उन्होंने कहा कि विमान लगभग 40-45 पैराट्रूपर्स या लगभग 70 यात्रियों को ले जा सकता है.

कुमार ने कहा, ‘यह पहली बार है जब सी-295 विमान का निर्माण यूरोप के बाहर किया जाएगा. यह घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.’

उन्होंने कहा कि सभी 56 विमानों को सरकार संचालित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किए जाने वाले स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना को 56 विमानों की आपूर्ति पूरी होने के बाद एयरबस डिफेंस एंड स्पेस को भारत में निर्मित विमानों को नागरिक ऑपरेटर को बेचने और उन देशों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें भारत सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है.

सी-295एमडब्ल्यू समकालीन तकनीक के साथ 5-10 टन क्षमता का एक परिवहन विमान है, जो भारतीय वायुसेना के पुराने एवरो विमान की जगह लेगा. इसमें त्वरित प्रतिक्रिया के लिए एक ‘रियर रैंप’ दरवाजा और सैनिकों और सामान के पैरा ड्रॉपिंग की सुविधा होगी है. तुरंत उड़ान भरने और उतरने के साथ अर्द्ध तैयार सतह से भी यह उड़ान भर सकता है. विमान भारतीय वायुसेना की साजो-सामान संबंधी क्षमताओं को और मजबूत करेगा.

कुमार ने कहा, ‘परियोजना भारतीय निजी क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी संपन्न और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है. यह घरेलू विमानन निर्माण को बढ़ावा देगी जिसके परिणामस्वरूप आयात निर्भरता कम होगी और निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)