दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना क़ानून, 1946 के अनुसार, सीबीआई को अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों से स्वीकृति लेने की आवश्यकता होती है. पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब और मेघालय समेत आठ राज्यों ने सीबीआई से पहले ही आम सहमति वापस ली हुई है.
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हैदराबाद: तेलंगाना सरकार ने राज्य में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को पहले दी गई आम सहमति वापस ले ली है.
राज्य के 30 अगस्त को जारी एक आदेश के अनुसार, सीबीआई को राज्य में जांच के लिए प्रत्येक मामले में तेलंगाना की पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता है.
हालांकि, सरकारी आदेश दो महीने पहले जारी किया गया था लेकिन यह शनिवार को तब सार्वजनिक हुआ, जब अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) ने तेलंगाना उच्च न्यायालय को तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी.
एएजी ने अदालत को बताया कि सरकार के गृह (विशेष) विभाग ने 30 अगस्त को एक आदेश जारी कर दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून-1946 की धारा छह के तहत दी गई पहले की सभी आम सहमति को वापस ले लिया है.
यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में हुआ है जब हाल फिलहाल में भाजपा और टीआरएस के बीच कई मुद्दों को लेकर शब्द बाण चले हैं.
भाजपा ने दिल्ली के आबकारी नीति घोटाला मामले में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता का नाम भी घसीटा. इस मामले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कर रहे हैं. हालांकि, कविता ने आरोपों से इनकार किया है.
मुख्यमंत्री ने 31 अगस्त को बिहार की राजधानी पटना में कहा था कि सभी राज्यों को सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले लेनी चाहिए.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) कानून- 1946 की धारा छह के अनुसार, सीबीआई को अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों से स्वीकृति लेने की आवश्यकता होती है. अगर आम सहमति वापस ले ली जाती है तो एजेंसी को कोई मामला दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है.
अगर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सीबीआई को जांच के लिए मामले सौंपते हैं तो ऐसे मामलों में स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है.
पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब और मेघालय समेत आठ राज्यों ने सीबीआई से उनके न्यायाधिकार क्षेत्र में मामलों की जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली है. महाराष्ट्र ने पहले सहमति वापस ली थी लेकिन बाद में यह फैसला रद्द कर दिया था.
गौरतलब है कि चार टीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त के कथित प्रयास में गिरफ्तार तीन लोगों को शनिवार 29 अक्टूबर को गिरफ्तारी के बाद रिमांड पर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)