तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि वे खुले बाज़ार में मवेशी की ख़रीद-फ़रोख़्त की तरह विधायकों को ख़रीदना चाहते थे. इन सबके पीछे कौन है? उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा कि क्या ऐसी चीज़ें समाज के लिए अच्छी हैं.
हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने रविवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में सत्तारूढ़ टीआरएस के 20-30 विधायकों को ‘खरीदने’ और उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के ‘दलालों’ ने मौजूदा विधायकों को 100-100 करोड़ रुपये की पेशकश की.
मुनुगोड़े विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों के मामले का जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि दिल्ली से ‘दलाल’ आए और प्रत्येक (विधायक) को 100 करोड़ रुपये की पेशकश करके विधायकों को रिश्वत देने का प्रयास किया. हालांकि, असली भूमि पुत्र विधायकों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
‘केसीआर’ के नाम से मशहूर राव ने आरोप लगाया, ‘आपने कल देखा. (भाजपा सोचती है) केसीआर चिल्ला रहा है. आइए उनका (राजनीतिक) अंत देखते हैं. उन्होंने प्रत्येक विधायक को 100 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए दलाल भेजे हैं. वे 20-30 विधायकों को खरीदना चाहते थे और केसीआर की सरकार गिराना चाहते थे तथा तेलंगाना पर चढ़ाई करना चाहते थे, ताकि वे अपनी इच्छा के अनुसार निजीकरण को लागू कर सकें.’
मुख्यमंत्री का यह बयान टीआरएस के चार विधायकों को ‘प्रलोभन’ देने की कोशिश करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के एक दिन बाद आया है.
राव ने चारों विधायकों को जनसभा में परेड कराते हुए कहा कि राजनीति में ऐसे लोगों की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘चारों धरती पुत्र (विधायक) मेरे साथ (आज बैठक के लिए) आए. कुछ दिन पहले दिल्ली के कुछ दलाल हमारे तेलंगाना स्वाभिमान को खरीदने आए और 100 करोड़ रुपये की पेशकश की, लेकिन हमारे धरती पुत्रों ने उन्हें बता दिया कि वे बिक्री के लिए नहीं हैं.’
राव ने कहा, ‘वे खुले बाजार में ‘मवेशी’ की खरीद-फरोख्त की तरह विधायकों को खरीदना चाहते थे.’
राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा कि क्या ऐसी चीजें समाज के लिए अच्छी हैं.
राव ने कहा, ‘किसने 100 करोड़ रुपये प्रदान किए जो विधायकों को दिए जाने थे? इस पर जांच होनी है. इन सबके पीछे कौन है? क्या वे (जो इस मुद्दे के मास्टरमाइंड हैं) अपने-अपने पदों पर बने रहने के हकदार हैं?’
उन्होंने कहा कि ‘खरीद-फरोख्त’ के इन मुद्दों पर लोगों की चुप्पी एक दिन अभिशाप बन जाएगी.
लोगों से उपचुनाव में टीआरएस उम्मीदवार प्रभाकर रेड्डी को वोट देने का आग्रह करते हुए राव ने आरोप लगाया कि भाजपा कृषि पंप सेट के लिए बिजली के मीटर लगाना अनिवार्य कर रही है और घरेलू उपभोक्ताओं को अपने बिजली मीटर बदलने के लिए कह रही है, जिसकी कीमत 30,000 रुपये होगी.
राव के अनुसार, भारत को छोड़कर दुनिया में कोई भी देश नहीं है, जिसके पास 50 प्रतिशत सिंचित भूमि है और देश में पर्याप्त जनशक्ति और अन्य संसाधनों के बावजूद कृषि भूमि को कारोबारी घरानों को सौंपने की साजिश रची जा रही.
विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले के तीन आरोपी न्यायिक हिरासत में भेजे गए
टीआरएस के चार विधायकों की कथित तौर पर ‘खरीद-फरोख्त’ की कोशिश करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और हैदराबाद की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
ये गिरफ्तारियां शनिवार (29 अक्टूबर) रात को की गईं. इससे पहले, तेलंगाना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के एक आदेश को रद्द करते हुए मामले के आरोपियों को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था.
हैदराबाद की एक अदालत ने 27 अक्टूबर को तीनों आरोपियों को रिमांड पर भेजने का अनुरोध ठुकरा दिया था. साइबराबाद पुलिस ने टीआरएस के चार विधायकों को दल बदलने के लिए कथित तौर पर पैसों का लालच देने के आरोप में इन लोगों को गिरफ्तार किया था.
निचली अदालत ने गिरफ्तारी से पहले नोटिस जारी करने की प्रक्रिया का पालन न करने के आधार पर यह फैसला करते हुए आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया है
सरकार ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी.
टीआरएस ने भाजपा पर उसके कुछ विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की कोशिश का आरोप लगाया था. इसके बाद भाजपा ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी.
भाजपा की याचिका पर हाईकोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए चार नवंबर की तारीख तय की और तब तक के लिए जांच स्थगित कर दी.
रिपोर्ट के मुताबिक, टीआरएस के जिन विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए कथित तौर पर पैसे की पेशकश की गई थी, उनमें जी. बालाराजू (अचमपेट विधानसभा क्षेत्र), बी. हर्षवर्धन रेड्डी (कोल्लापुर), रेगा कांताराव (पिनापाका) और पायलट रोहित रेड्डी (तंदूर) शामिल हैं. इन विधायकों को धन, ठेके और और पदों की पेशकश की गई थी.
आरोपियों की पहचान हरियाणा के फरीदाबाद के पुजारी रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, तिरुपति में श्रीमनाथ राजा पीठम के पुजारी संत डी. सिम्हयाजी और हैदराबाद में एक रेस्तरां डेक्कन प्राइड के मालिक नंदकुमार के तौर पर हुई है.
गिरफ्तारी से एक दिन पहले अलग से मुख्य आरोपी रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा और टीआरएस के एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का एक कथित ऑडियो क्लिप सामने आया था.
कथित ऑडियो क्लिप ने संकेत दिया कि टीआरएस विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए लुभाने के कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मंजूरी मिली थी, जिसे क्लिप में क्रमशः ‘नंबर एक’ और ‘नंबर दो’ के रूप में संदर्भित किया गया था.
ऑडियो क्लिप में मुख्य आरोपी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि रेड्डी एक बार पर्याप्त संख्या में टीआरएस विधायकों को शामिल कर लेते हैं, तो संतोष (कथित तौर पर बीएल संतोष, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव) ‘सौदे’ को अंतिम रूप देने के लिए हैदराबाद आएंगे.
द वायर स्वतंत्र रूप से ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता की पुष्टि करने में सक्षम नहीं है.
टीआरएस विधायक रोहित रेड्डी की शिकायत पर 26 अक्टूबर की रात को रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंद कुमार और डी. सिम्हयाजी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून-1988 के प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए थे.
एफआईआर के अनुसार, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी और इसके बदले में उन्हें टीआरएस छोड़नी थी और अगला विधानसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़ना था.
इस घटना के बाद भाजपा और टीआरएस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)