केरल: अडाणी बंदरगाह के समर्थन में धुर विरोधी माकपा और भाजपा ने हाथ मिलाए

केरल के तिरुवनंतपुरम में अडाणी समूह की विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना के ख़िलाफ़ मछुआरे प्रदर्शन कर रहे हैं. इन प्रदर्शनों के विरोध में मंगलवार को एक स्थानीय संगठन द्वारा एक मार्च निकाला गया था, जिसमें माकपा और भाजपा के स्थानीय नेता भी शामिल हुए.

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(फोटो: रॉयटर्स)

केरल के तिरुवनंतपुरम में अडाणी समूह की विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना के ख़िलाफ़ मछुआरे प्रदर्शन कर रहे हैं. इन प्रदर्शनों के विरोध में मंगलवार को एक स्थानीय संगठन द्वारा एक मार्च निकाला गया था, जिसमें माकपा और भाजपा के स्थानीय नेता भी शामिल हुए.

(फोटो: रॉयटर्स)

तिरुवनंतपुरम/कोच्चि: केरल के तिरुवनंतपुरम में अडाणी समूह की विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना के खिलाफ मछुआरे आंदोलन कर रहे हैं, उनका दावा है कि इससे उनके जीवन और आजीविका को खतरा होगा. हालांकि उनके आंदोलन के विरोध में चिर प्रतिद्वंदी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एकजुट हो गए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, तिरुवनंतपुरम में दोनों ही दलों के नेताओं ने मंगलवार को विझिंजम बंदरगाह बचाओ एक्शन काउंसिल द्वारा शासकीय सचिवालय तक निकाली गए लंबे मार्च में भाग लिया. यहां तक कि कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने भी इस मार्च में भाग लिया.

माकपा के जिला सचिव अनवूर नागप्पन और भाजपा जिलाध्यक्ष वीवी राजेश ने सचिवालय के बाहर मार्च को संबोधित किया. इस दौरान हजारों लोग इसमें शामिल हुए.

विझिंजम बंदरगाह बचाओ एक्शन काउंसिल, विझिंजम और इससे जुड़े इलाकों के निवासियों का एक सामूहिक संगठन है.

यह पहली बार है कि माकपा और भाजपा के नेता किसी आंदोलन के खिलाफ सार्वजनिक मंच पर एक साथ आए हों.

नागप्पन ने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों को गुप्त उद्देश्य रखने वाले एक समूह द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है. उनके निहित स्वार्थ हैं और इसलिए वे सरकार द्वारा उनकी मांगें माने जाने के बाद भी आंदोलन कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘माकपा लोगों को पूरा समर्थन प्रदान करेगा.’

भाजपा जिलाध्यक्ष वीवी राजेश ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें जल्द से जल्द निर्माण पूरा करने का प्रयास कर रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘आंदोलन योजना को असफल बनाने का एक प्रयास है. भाजपा परियोजना को पूरा समर्थन देगी.’

गौरतलब है कि एलडीएफ सरकार प्रदर्शनकारियों की कुछ मांगों पर विचार करने के लिए सहमत हो गई थी, लेकिन निर्माण कार्य को रोकने से इनकार कर दिया था.

केरल हाईकोर्ट ने भी यह निर्देश दिया था कि किसी भी प्रदर्शन के चलते निर्माण कार्य प्रभावित नहीं होना चाहिए. इसने हाल ही में अडाणी विझिंजम बंदरगाह प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर प्रदर्शनकारियों को कानून व्यवस्था प्रभावित होने की स्थिति में कड़े कदम उठाए जाने की चेतावनी दी थी.

विझिंजम में चर्च के नेतृत्व में हो रहे आंदोलन, जिसने हाल ही में 100 दिन पूरे किए हैं, के खिलाफ एक्शन काउंसिल ने एक अभियान शुरू किया है.

इससे पहले मंगलवार दिन में श्रम मंत्री वी. सिवानकुट्टी ने भी आरोप लगाया कि विझिंजम समर समिति आंदोलन के नाम पर हिंसा फैला रही है. दंगे भड़काने के प्रयास हो रहे हैं और आंदोलनकारी मछुआरे नावों व जालों को आग लगाकर तट पर डर का माहौल पैदा कर रहे हैं.

मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि चर्च के अधिकारी और समर समिति अनावश्यक रूप से पूर्व आर्कबिशप सूसापक्यम को आंदोलन में घसीट रहे हैं, जो कि खराब स्वास्थ्य के चलते आराम कर रहे हैं. बता दें कि आर्कबिशप को भी आंदोलन स्थल पर लाया गया था.

श्रम मंत्री ने कहा, ‘अगर पूर्व बिशप को कुछ भी होता है तो एकमात्र समर समिति इसके लिए जिम्मेदार होगी.’

अडाणी बंदरगाह एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र (एपीएसईजी) ने 2015 में 7,500 करोड़ रुपये की अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट परियोजना शुरू की थी और इसे चार साल में पूरा किया जाना था. संशोधित कार्यक्रम के अनुसार, बंदरगाह के अगले साल चालू होने की उम्मीद है.

बंदरगाह को जाने वाली सड़क पर से अवरोधक हटाएं: केरल हाईकोर्ट

इस बीच केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को विझिंजम बंदरगाह को जाने वाली सड़क पर से अवरोधों को हटाने का निर्देश दिया.

जस्टिस अनु शिवरमण का यह निर्देश अडाणी समूह और बंदरगाह का निर्माण का ठेका लेने वाली कंपनी द्वारा दायर अवमानना अर्जी पर सुनवाई के दौरान के बाद आया. इस बंदरगाह के निर्माण का विरोध आसपास रहने वाले हजारों मछुआरे कर रहे हैं.

अदालत ने प्रदर्शनकारियों के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर दर्ज किया कि वे बंदरगाह निर्माण स्थल जाने वाली सड़क को बाधित नहीं करेंगे.

सुनवाई के दौरान अडाणी समूह ने हाईकोर्ट को बताया कि अदालत ने निर्माण स्थल पर पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दिया है जिसे अब तक लागू नहीं किया गया है.

समूह ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अवरोधकों को हटा दिया है और इस समय प्रदर्शन स्थल पर करीब चार हजार लोग मौजूद हैं. कंपनी ने प्रदर्शन स्थल पर गाड़े गए तंबुओं को भी हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया.

वहीं, प्रदर्शनकारियों ने अदालत को बताया कि समझौते की कोशिश की जा रही है और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की मध्यस्थता में वार्ता चल रही है. इसलिए फैसले पर पहुंचने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार (5 नवंबर) को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि वह प्रदर्शन को रोक नहीं सकती, लेकिन साथ ही किसी को कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए या विझिंजम बंदरगाह के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कानून व्यवस्था को खतरा पैदा नहीं होना चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)