ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महिला समूहों के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए पतंजलि से समझौता किया

समझौते के अनुसार, पतंजलि आयुर्वेद महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का विपणन करेगी और उन्हें ऐसे उत्पादों के डीलरशिप तथा वितरण के अवसर भी देगी.

(फोटो: रॉयटर्स)

समझौते के अनुसार, पतंजलि आयुर्वेद महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का विपणन करेगी और उन्हें ऐसे उत्पादों के डीलरशिप तथा वितरण के अवसर भी देगी.

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नई दिल्ली: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बुधवार को पतंजलि आयुर्वेद के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के उत्पादों के विपणन में मदद दी जाएगी.

समझौते के अनुसार, पतंजलि आयुर्वेद महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का विपणन करेगी और उन्हें ऐसे उत्पादों के डीलरशिप तथा वितरण के अवसर भी देगी.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह की मौजूदगी में यह समझौता हुआ. समझौते पर मंत्रालय की ओर से अपर सचिव चरणजीत सिंह और पतंजलि की ओर से दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के महासचिव आचार्य बालकृष्ण ने हस्ताक्षर किए.

सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं ग्रामीण महिलाओं को कम से कम एक लाख रुपये प्रति वर्ष की आय दिलाने में मदद करने के लिए यह समझौता किया गया है.’

समझौते के अनुसार, मंत्रालय ने अपने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के लिए पतंजलि को राष्ट्रीय संसाधन संगठन (एनआरओ) के रूप में मान्यता दी है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पतंजलि महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों की ब्रांडिंग करेगी, उन्हें अपने स्टोरों पर और डीलरों के नेटवर्क के माध्यम से बाजार में उतारेगी. उन्हें समझौते के अनुसार कंपनी की डीलरशिप और डिस्ट्रीब्यूटरशिप प्राप्त करने का अवसर भी देगी.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के तहत मंत्रालय ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाए जा रहे व्यवसायों को समर्थन देने के लिए कई प्रयास कर रहा है, जो खाद्य उत्पादों, हस्तशिल्प और हथकरघा के उत्पादन में लगे हुए हैं.

मंत्रालय ने इन समूहों को विभिन्न ई-मार्केट चैनलों जैसे सरस गैलरी, राज्य विशिष्ट रिटेल आउटलेट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे जीईएम, फ्लिपकार्ट, अमेजॉन और अन्य से जोड़ा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)