उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में दाख़िले के लिए इस वर्ष से अभ्यर्थियों के सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही उनकी ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ भी अनिवार्य कर दी गई थी. विरोध के बाद इस निर्णय को वापस ले लिया गया है.
देहरादून/हल्द्वानी: उत्तराखंड के एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए छात्रों की ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है.
सरकार का यह निर्देश नैनीताल जिले के हल्द्वानी में स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज द्वारा एमबीबीएस और एमडी-एमएस में दाखिले के लिए छात्रों की अनिवार्य ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ के फैसले का विरोध होने के बाद आया है.
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा सचिव आर. राजेश कुमार ने बृहस्पतिवार को बताया कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को प्रवेश के समय छात्रों की अनिवार्य रूप से ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ नहीं करने के निर्देश दे दिए गए हैं.
इससे पहले, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में भी प्रदेश के अन्य चिकित्सा शिक्षा संस्थानों की तरह प्रवेश के समय छात्रों का सिर्फ सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण ही किया जाता था, जिसमें सभी अभ्यर्थियों की नाक, कान-गला, नेत्र रोग, मेडिसिन रेडियोलॉजी और पैथेलॉजी जांच शामिल थी. वहीं, छात्राओं को स्त्री रोग विशेषज्ञों की जांच से भी गुजरना पड़ता था. लेकिन इस साल इसमें ‘मनोवैज्ञानिक जांच’ भी जोड़ा गया था.
सरकार की ओर से मिले निर्देशों के बाद हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में मनोवैज्ञानिक जांच की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है. इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने कहा कि अगर कोई छात्र/छात्रा मानसिक तौर पर बीमार मिलता भी तो इससे संस्थान में उसके प्रवेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
हालांकि, उन्होंने कहा कि अब इस अनिवार्यता को हटा दिया गया है और भविष्य में जरूरत पड़ने पर ही यह जांच की जाएगी.
कॉलेज सूत्रों के अनुसार, 2004 से एमबीबीएस पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में पिछले वर्षों में मानसिक परेशानी से ग्रस्त कुछ छात्रों के प्रवेश लेने और उन्हें निर्धारित समय में अपना कोर्स पूरा करने में कठिनाई होने के मददेनजर यह फैसला लिया गया था.
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस और एमडी-एमएस की कुल 100 सीटें हैं, जिनके लिए प्रवेश प्रक्रिया चल रही है. उत्तराखंड में चार राजकीय और तीन निजी मेडिकल कॉलेज हैं.