माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान की आलोचना करते हुए कहा कि उनके बयान बेबुनियाद हैं और उनके पद को शोभा नहीं देते. माकपा ने कहा कि राज्यपाल जान-बूझकर राज्य में धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बिगाड़ रहे हैं और कुलपतियों तथा प्रति-कुलपतियों को हटाकर, उनकी जगह संघ के लोगों की नियुक्ति करके शिक्षा व्यवस्था को ख़तरनाक स्थिति में पहुंचा रहे हैं.
नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम/कोझिकोड: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बृहस्पतिवार को सोना तस्करी विवाद को उठाते हुए मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर निशाना साधा और उनके कार्यालय पर राज्य में इस तरह की अवैध गतिविधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया.
राजभवन और केरल की एलडीएफ सरकार के बीच जारी गतिरोध को बढ़ाते हुए राज्यपाल ने वित्त मंत्री केएन बालगोपाल पर क्षेत्रवाद का मुद्दा उठाने की कोशिश करने के आरोप लगाकर विजयन नीत सरकार से उनके खिलाफ संवैधानिक रूप से उचित कार्रवाई के लिए कहने के अपने फैसले को सही ठहराया है.
विजयन के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एलडीएफ ने एक दिन पहले राज्यपाल के खिलाफ हमला बोलते हुए आरोप लगाया था कि वह राज्यों के विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं. जिस पर खान ने चुनौती दी है कि मुख्यमंत्री ऐसा एक उदाहरण दिखाएं.
कुलपतियों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के आरोप को खारिज करते हुए राज्यपाल खान ने कहा कि वह विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति में उनके हस्तक्षेप का एक भी उदाहरण आने पर इस्तीफा देने को तैयार हैं.
राज्यपाल ने साथ ही मुख्यमंत्री विजयन को सार्वजनिक तौर पर चुनौती देते हुए पूछा कि क्या आरोप साबित न कर पाने पर वह पद से इस्तीफा देंगे?
राज्यपाल ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘वे (वामपंथी सरकार व मुख्यमंत्री) कह रहे हैं कि मैं यह (कुलपतियों के खिलाफ कार्रवाई) इसलिए कर रहा हूं, ताकि वहां आरएसएस के लोगों को नियुक्त कर सकूं. अगर मैंने ऐसे किसी एक व्यक्ति को भी नामित किया हो या अपने पद का इस्तेमाल कर आरएसएस के ही नहीं बल्कि अन्य किसी को भी नामित किया हो तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. पर क्या वह (मुख्यमंत्री) आरोप साबित नहीं कर पाए तो इस्तीफा देंगे?’
उन्होंने कहा, ‘जब आप मेरे खिलाफ इतने गंभीर आरोप लगाते हैं तो आपको इन्हें साबित भी करना होगा.’
खान ने कहा, ‘मैंने कभी हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन अब मैं देख रहा हूं कि तस्करी की सभी गतिविधियों को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा संरक्षण मिल रहा है. सीएमओ में बैठे लोग कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति को अपने कम योग्यता प्राप्त और अयोग्य रिश्तेदारों की नियुक्ति के लिए निर्देश देते हैं. मैंने कभी हस्तक्षेप नहीं किया.’
खान ने कहा, ‘लेकिन यदि राज्य सरकार, सीएमओ और मुख्यमंत्री के करीबी लोग तस्करी गतिविधियों में शामिल हैं तो निश्चित रूप से मेरे हस्तक्षेप करने का आधार बनता है. मैं निश्चित रूप से हस्तक्षेप करूंगा.’
मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव एम. शिवशंकर को कूटनीतिक माध्यमों से सोने की तस्करी करने के मामले में निलंबित कर दिया गया था और जेल भेज दिया गया था.
विजयन ने तिरुवनंतपुरम में शिक्षा संरक्षण समिति द्वारा आयोजित सम्मेलन में खान पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के खिलाफ उनके कदम, विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करना और राज्य के वित्त मंत्री को हटाने की मांग करना यहां आरएसएस-संघ परिवार का एजेंडा लागू करने के प्रयास हैं.
खान ने कहा कि उन्होंने पहले भी कभी हस्तक्षेप नहीं किया है या मुख्यमंत्री के उनके फोन या पत्रों का जवाब नहीं देने पर नाखुशी तक नहीं जताई है. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना गुस्सा तक जाहिर नहीं किया.’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए, अगर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि सीएमओ और मुख्यमंत्री के करीबी लोग शामिल हैं तथा केरल की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जांच की अनुमति नहीं दी जा रही है, मैं निश्चित रूप से कोशिश करूंगा कि ये चीजें न हों.’
खान ने कहा कि वह जो भी जरूरी होगा, करेंगे क्योंकि उनकी जिम्मेदारी कानून व्यवस्था कायम रखने की है. उन्होंने कहा कि यही एक वजह है कि उन्होंने वित्त मंत्री बालगोपाल के खिलाफ संवैधानिक रूप से उचित कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा.
बालगोपाल द्वारा केरल विश्वविद्यालय के एक परिसर में हाल में दिए गए एक भाषण का जिक्र करते हुए खान ने दावा किया कि मंत्री ने उनके लिए यह बात कहकर क्षेत्रवाद को हवा देने की कोशिश की कि उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाला कोई व्यक्ति केरल की प्रणालियों को कैसे समझ सकता है.
राज्यपाल ने कहा, ‘यह राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती है और उन्हें पता होना चाहिए कि जब राष्ट्रीय एकता को चुनौती दी जाती है तो केरल की जनता कैसे जवाब देती है. मेरी केरल के लोगों को यह बताने की जिम्मेदारी है.’
खान ने दावा किया कि माकपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस मुद्दे पर बालगोपाल का समर्थन नहीं किया है. उन्होंने कहा कि इससे उत्तर भारत में वाम दल के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी.
खान ने आरोप लगाया कि दक्षिणी राज्य में डर का माहौल है, क्योंकि एक जनसभा में काली कमीज पहनकर जाने पर लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने कहा, ‘आप केरल में रहते हैं, आप डर में रहते हैं.’
खान ने कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस भेजकर अपने वेतन वापस करने को कहा था. उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक जवाब भी नहीं मिले हैं.
खान ने कहा कि उन्होंने कुलपतियों के जवाब देने के लिए तारीख सात नवंबर तक बढ़ा दी है और इसके बाद वह निजी पक्ष सुनने के बाद फैसला करेंगे.
मालूम हो कि बीते कुछ समय से राज्य के विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण को लेकर राज्यपाल की राज्य की वाम मोर्चा सरकार के साथ चल रही खींचतान चल रही है.
खान, जो राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के वास्तविक कुलाधिपति हैं, ने बीते 23 अक्टूबर को नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) को अपना इस्तीफा देने के लिए कहा था.
हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने बीते 24 अक्टूबर को नौ कुलपतियों में से आठ की याचिका पर सुनवाई की और फैसला सुनाया था कि वे अपने पदों पर बने रह सकते हैं. अदालत ने कहा कि कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश देने का कोई महत्व नहीं है.
इसके बाद, दो अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी राज्यपाल की ओर से नोटिस भेजे गए हैं.
तस्करी में सीएमओ की भूमिका संबंधी राज्यपाल का बयान ‘घटिया’ और बेबुनियाद: माकपा
केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोना तस्करी मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की कथित भूमिका संबंधी राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बयान को ‘पीत पत्रकारिता के समान’ बताया और कहा कि उन्होंने साबित कर दिया है कि ‘वह आरएसएस हैं’.
माकपा नीत सरकार और राज्यपाल के आरोप-प्रत्यारोप के बीच उन पर निशाना साधते हुए विपक्षी कांग्रेस ने पूछा कि क्या खान में सोना तस्करी घोटाले के मुद्दे पर एलडीएफ सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस है.
दूसरी तरफ भाजपा ने राज्यपाल को समर्थन जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को अपने खुद के अधिकारों की सीमाओं को समझना चाहिए और यह भी अध्ययन करना चाहिए कि कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला के साथ क्या हुआ.
राजनीतिक दलों की यह प्रतिक्रिया खान के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने सोना तस्करी विवाद का जिक्र करते हुए आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय राज्य में ऐसी अवैध गतिविधियों को संरक्षण प्रदान कर रहा है.
राज्यपाल ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने कभी हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन यदि राज्य सरकार, सीएमओ और मुख्यमंत्री के करीबी लोग तस्करी गतिविधियों में शामिल हैं तो निश्चित रूप से उनके हस्तक्षेप करने का आधार बनता है.
इससे पहले विजयन ने तिरुवनंतपुरम में शिक्षा संरक्षण समिति द्वारा आयोजित सम्मेलन में खान पर निशाना साधते हुए विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था.
इन आरोपों और दावों पर प्रतिक्रिया में माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि खान ने खुद साबित कर दिया है कि ‘वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हैं और ऐसा करने के लिए अब किसी और की जरूरत नहीं है.’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अब फैसला उन्हें करना है कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं या नहीं.’
गोविंदन ने यह आरोप भी लगाया कि राज्यपाल जान-बूझकर राज्य में धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बिगाड़ रहे हैं और कुलपतियों तथा प्रति-कुलपतियों को हटाकर एवं उनकी जगह संघ के लोगों की नियुक्ति करके शिक्षा व्यवस्था को खतरनाक स्थिति में पहुंचा रहे हैं.
उन्होंने खान के बयानों को ‘पीत पत्रकारिता’ के समान तथा ‘घटिया’ करार दिया.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यपाल की आलोचना करते हुए कहा कि खान के बयान बेबुनियाद हैं और उनके पद को शोभा नहीं देते.
उन्होंने कहा, ‘एक मामला चल रहा है और राज्यपाल के लिए अब इस तरह के बयान देना पूरी तरह अस्वीकार्य, आपत्तिजनक और गलत है.’
भाकपा के प्रदेश सचिव कणम राजेंद्रन ने कहा कि राजभवन ‘राजी’ (मलयालम में इस्तीफा) भवन बन गया है, क्योंकि राज्यपाल हमेशा किसी के इस्तीफे के लिए कहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह अपने अधिकार का इस्तेमाल कर जो चाहें करें और केरल सरकार संविधान तथा कानून के अनुरूप इसका सामना करेगी. देखते हैं कि ऐसा कब तक चलेगा.’
केरल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और सांसद के. सुधाकरन ने राज्यपाल को अपनी कथनी के अनुसार कार्रवाई करने की चुनौती दी.
उन्होंने कहा, ‘वह (खान) कह रहे हैं कि सब तस्करी मामले की बात कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि सीएमओ इस तरह की गतिविधियों को संरक्षण दे रहा है. अगर वह इस बात से सहमत हैं तो उन्हें सरकार को भंग कर देना चाहिए या कम से कम केंद्र से इस मामले में जांच के लिए कहना चाहिए.’
उन्होंने केरल की राजधानी में संवाददाताओं से कहा, ‘क्या उनमें सरकार की महज आलोचना करने के बजाय ऐसा करने की हिम्मत या रीढ़ है.’
इस बीच केरल से भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य पीके कृष्णदास ने राज्यपाल का समर्थन करते हुए एलडीएफ सरकार और मुख्यमंत्री पर खान के खिलाफ बयानों से देश के संविधान एवं संघवाद को चुनौती देने का आरोप लगाया.
उन्होंने कोझिकोड में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री जब राज्यपाल के अधिकारों की सीमाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो उन्हें भारतीय नक्शे को देखते हुए अपनी सीमाओं को भी समझना चाहिए.
कृष्णदास ने कहा कि विजयन उसी श्रेणी में आते हैं जिसमें महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला आते हैं और उन्हें अध्ययन करना चाहिए कि इन नेताओं के साथ क्या हुआ.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)