‘अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव हमारी वर्तमान राजनीति की दो ज़रूरतें हैं’

निर्देशक खुशबू रांका और विनय शुक्ला ने कहा, फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर अरविंद केजरीवाल के एक राजनेता के तौर पर उभरने की कहानी है.

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निर्देशक खुशबू रांका और विनय शुक्ला ने कहा, फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर अरविंद केजरीवाल के एक राजनेता के तौर पर उभरने की कहानी है.

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अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक जीवन पर आधारित डॉक्युमेंट्री फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन के निर्देशक विनय शुक्ला ने केजरीवाल और योंगेंद्र यादव को वर्तमान राजनीति की दो ज़रूरतें बताया.

शुक्ला ने समाचार एजेंसी भाषा से एक विशेष बातचीत में कहा, ‘अरविंद और योंगेंद्र हमारी आज की राजनीति की दो ज़रूरतें हैं. हमें एक ऐसे आदमी की भी ज़रूरत है जो अपनी छाती ठोक के कह सके कि मैं सही हूं, जो भी ज़िम्मेदारी होगी वह मेरी होगी और जो अपने बच्चों की कसम खाकर कह सके कि यही सही है.’

वहीं स्वराज अभियान पार्टी के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव को लेकर विनय ने कहा, ‘हमें योगेंद्र यादव की भी ज़रूरत है जो ज़्यादा अकादमिक हो, जिसकी दृढ़ता आंकड़ों पर आधारित हो.’

ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर उनके एक राजनेता के तौर पर उभरने की कहानी है. इसे एक वृत्तचित्र के तौर पर तैयार किया गया है जिसमें पार्टी की वास्तविक बैठकों, घटनाओं इत्यादि के वीडियो फुटेज का इस्तेमाल किया गया है.

फिल्म का निर्माण शिप ऑफ थीसियस से ख्याति पाए आनंद गांधी ने किया है जबकि इसका निर्देशन विनय शुक्ला ने खुशबू रांका के साथ मिलकर किया है. इस फिल्म के निर्माण के लिए कोष का प्रबंध भी क्राउड फंडिंग से किया गया.

आम आदमी पार्टी बनने के बाद केजरीवाल और यादव के बीच हुए मतभेद को फिल्म में किस तरह दर्शाया गया है, इस सवाल पर खुशबू ने कहा, ‘दोनों के बीच अलगाव होने से पहले ही योगेंद्र यादव फिल्म में प्रमुख तौर पर दिखाई देते हैं. इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि अरविंद और योगेंद्र दोनों बहुत अलग हैं. उनका चीज़ों को देखने का तरीका, राजनीति करने का तरीका भी अलग है और फिल्म बनाने के लिए इन दोनों के बीच का जो अंतर है वह हमें बहुत रोचक लगता था.’

उन्होंने कहा, ‘योगेंद्र थोड़ा सावधान रहते हैं. वह आंकड़ों पर ज़्यादा निर्भर करते हैं. अरविंद व्यावहारिक हैं. वह लोगों को भांपकर, भीड़ के हिसाब से भाषण देंगे और एक कहानी की तरह राजनीति को बताते हैं. दोनों के बोलने के तरीके में फ़र्क़ है और उनका इतिहास एकदम अलग है. दोनों के बीच इतना अंतर होते हुए भी एक पार्टी में रहना हमें और बाकी लोगों को काफी रोचक लगता था.’

खुशबू ने कहा, ‘इन दोनों के बीच मतभेद की क्या संभावना है और यह संभावना आगे जाकर बढ़ सकती है, यह बात फिल्म शूट के वक्त हमें साफ तौर पर महसूस हुई और यह आपको फिल्म में भी नज़र आएगा.’

टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव, ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट लंदन फिल्मोत्सव, बुसान अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव जैसे 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रशंसा बटोर चुकी यह फिल्म 17 नवंबर को रिलीज़ हो रही है.