भारत ने अक्टूबर में रूस से सबसे अधिक कच्चे तेल का आयात किया

कच्चे तेल की आपूर्ति पर नज़र रखने वाली संस्था ‘वोर्टेक्सा’ के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की आपूर्ति की है. यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है. 

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

कच्चे तेल की आपूर्ति पर नज़र रखने वाली संस्था ‘वोर्टेक्सा’ के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की आपूर्ति की है. यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: रूस अक्टूबर में सऊदी अरब और इराक जैसे परंपरागत विक्रेताओं को पछाड़कर भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. कच्चे तेल की आपूर्ति पर नजर रखने वाली वोर्टेक्सा (Vortexa) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.

अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति की है. यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है.

वहीं, बीते वित्त वर्ष के दौरान भारत द्वारा आयात किए गए सभी तेल में रूस के तेल का सिर्फ 0.2 प्रतिशत हिस्सा था. यह अब भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का 22 प्रतिशत हो गया है, जो इराक के 20.5 प्रतिशत और सऊदी अरब के 16 प्रतिशत से अधिक है.

रूसी तेल के लिए भारत की मांग तब से बढ़ गई जब उसने छूट पर व्यापार करना शुरू कर दिया, क्योंकि पश्चिम ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दंडित करने के लिए व्यापार से परहेज किया.

वोर्टेक्सा के अनुसार, भारत ने दिसंबर 2021 में रूस से प्रति दिन केवल 36,255 बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इराक से 10.5 लाख बैरल और सऊदी अरब से 952,625 बैरल प्रति दिन का आयात किया गया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वोर्टेक्सा के अनुसार, अगले दो महीनों में रूस से कोई आयात नहीं हुआ, लेकिन फरवरी के अंत में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के तुरंत बाद मार्च में फिर से शुरू हो गया.

भारत ने मार्च में 68,600 बैरल प्रति दिन (बीडीपी) रूसी तेल का आयात किया, जबकि अगले महीने यह बढ़कर 2,66,617 बीपीडी हो गया और जून में 9,42,694 बीपीडी हो गया. लेकिन जून में इराक 10.4 लाख बीपीडी तेल के साथ भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता था. उस महीने रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया.

वोर्टेक्सा के अनुसार, अगले दो महीनों में आयात में मामूली गिरावट आई. यह सितंबर में 8,76,396 बीपीडी था, जो अक्टूबर में बढ़कर 8,35,556 बीपीडी हो गया.

इराक अक्टूबर में 8,88,079 बीपीडी आपूर्ति के साथ दूसरे स्थान पर खिसक गया, इसके बाद सऊदी अरब 7,46,947 बीपीडी पर आ गया.

भारत सरकार रूस के साथ अपने व्यापार का जोरदार बचाव करते हुए कह रही है कि उसे तेल वहीं से लाना होगा जहां से वह सस्ता हो.

पिछले हफ्ते आबू धाबी में तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अंतराराष्ट्रीय समाचार चैनल सीएनएन को बताया, ‘वित्त वर्ष 2022 (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) में रूसी तेल की खरीद (भारत द्वारा आयात किए गए सभी तेल का) 0.2 प्रतिशत थी. हम अभी भी केवल एक चौथाई खरीदते हैं, जो यूरोप दोपहर भर में खरीदता है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा अपने उपभोक्ताओं के प्रति एक नैतिक दायित्व है. हमारी 1.34 अरब की आबादी है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें ऊर्जा की आपूर्ति की जाए… चाहे वह पेट्रोल हो, डीजल.’

यह पूछे जाने पर कि क्या यूक्रेन के साथ रूस के संघर्ष के बीच रूस से आयात के कारण भारत को नैतिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है, उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल नहीं. कोई नैतिक संघर्ष नहीं है. हम ‘एक्स’ या ‘वाई’ से नहीं खरीदते हैं. हम जो कुछ भी उपलब्ध है, उसे खरीदते हैं. सरकार नहीं खरीदती है, तेल कंपनियां खरीदती हैं.’

रूस के राजस्व को सीमित करने और उससे खरीदे गए तेल की कीमत को कम करने के लिए जी7 समूह राष्ट्रों (ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान) द्वारा प्रस्तावित योजना पर भी भारत गैर-प्रतिबद्ध रहा है.

पुरी ने कहा कि भारत प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने और सूचित किए जाने पर उसकी जांच करेगा. यह अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय हित के अनुसार प्रतिक्रिया देगा.

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत विभिन्न स्रोतों से कच्चे तेल की तलाश करेगा, उन्होंने कहा कि देश गुयाना और कनाडा से भी खरीदेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)