बीते 30 अक्टूबर को मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के अचानक टूटने से क़रीब 141 लोगों की मौत हो गई थी. अब गुजरात हाईकोर्ट ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के गृह विभाग, नगर पालिकाओं के आयुक्त, मोरबी नगर पालिका, ज़िलाधिकारी व राज्य मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी किया है.
अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने मोरबी पुल हादसे का स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को राज्य सरकार और स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया तथा 14 नवंबर तक इस विषय में स्थिति रिपोर्ट मांगी है.
Gujarat High Court takes suo motu cognisance of Morbi bridge collapse tragedy, issues notice to state government
— Press Trust of India (@PTI_News) November 7, 2022
30 अक्टूबर को मोरबी में ब्रिटिश काल का केबल पुल टूट कर गिर गया था. इस हादसे में 141 लोगों की मौत हो गई थी. एक निजी कंपनी द्वारा मरम्मत किए जाने के बाद पुल को 26 अक्टूबर को लोगों के लिए फिर से खोला गया था.
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष शास्त्री की एक खंडपीठ ने अदालत में मौजूद महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से कहा, ‘हमने मोरबी पुल हादसे का स्वत: संज्ञान लिया है.’
उच्च न्यायालय ने एक समाचार पत्र की खबर के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लिया.
उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव के जरिये गुजरात सरकार, राज्य के गृह विभाग, नगर पालिकाओं के आयुक्त, मोरबी नगर पालिका, जिलाधिकारी तथा राज्य मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी किया और मामले को 14 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
अदालत ने कहा कि वह सरकार द्वारा कुछ कार्रवाई किए जाते देखना चाहती है और मुख्य सचिव तथा गृह सचिव अगले सोमवार तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें, जब विषय की सुनवाई की जाएगी.
राज्य के मानवाधिकार आयोग को भी 14 नवंबर तक मामले पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है.
अदालत ने कहा, ‘हम राज्य, गृह विभाग, मुख्य सचिव, मोरबी नगर पालिका, शहरी विकास प्राधिकरण, नगर पालिकाओं के आयुक्त को भी पक्षकार बनाएंगे. साथ ही, हम राज्य मानवाधिकार आयोग को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं.’
अदालत ने कहा, ‘राज्य मानवाधिकार आयोग अगली सुनवाई तक इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करे. रजिस्ट्री को इस आदेश को विशेष संदेशवाहक के माध्यम से प्रतिवादी संख्या पांच यानी राज्य मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचाने का निर्देश दिया जाता है.’
नगरपालिका के दस्तावेजों के अनुसार, मोरबी में घड़ी और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ‘ओरेवा ग्रुप’ को शहर की नगर पालिका ने पुल की मरम्मत करने तथा संचालित करने के लिए 15 साल तक का ठेका दिया था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओरेवा समूह ने यह ठेका एक अन्य फार्म को दे दिया था, जिसने रेनोवेशन के लिए आवंटित दो करोड़ रुपये में से मात्र 12 लाख ख़र्चे थे.
पुलिस ने मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से चार लोग ‘ओरेवा ग्रुप’ से हैं. पुल के रखरखाव और संचालन की जिम्मदारी संभालने वाली कंपनियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.
मोरबी पुल हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा: केजरीवाल
इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल ने रविवार को आरोप लगाया कि मोरबी केबल पुल की मरम्मत करने वाले लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है.
केजरीवाल ने यह भी कहा कि अगर गुजरात में आप की सरकार बनती है तो वह मोरबी में विशाल पुल का निर्माण कराएंगे.
गुजरात में मोरबी जिले के वांकानेर कस्बे में ‘तिरंगा यात्रा’ के दौरान केजरीवाल ने कहा कि अगर ‘डबल इंजन’ वाली भारतीय जनता पार्टी को फिर से जनादेश मिलता है तो मोरबी पुल हादसे जैसी दुर्घटनाएं भविष्य में भी होंगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मोरबी में जो कुछ हुआ, बहुत दुखद था. हादसे में मरने वालों में 55 बच्चे थे. वे आपके बच्चे हो सकते थे. जो कुछ हुआ, बहुत दुखद था, लेकिन उससे भी दुखद है कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है.’
उन्होंने सवाल किया, ‘आप उन्हें बचाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं? आपका उनके (हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के) साथ कोई संबंध है क्या? उनका आपस में पक्का कोई संबंध है, है ना? हादसे के शिकार पुल की मरम्मत करने वाले ओरेवा समूह और उसके मालिक का नाम एफआईआर में नहीं है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)