केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी वर्ष 2021-22 की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि कोविड-19 महामारी के कारण राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने और अन्य संबंधित ज़मीनी गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया था. केंद्र सरकार इस उद्देश्य के लिए पहले ही 3,941 करोड़ रुपये मंज़ूर कर चुकी है.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के डेटाबेस को अपडेट करने की जरूरत को रेखांकित किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सरकार केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन के लिए जन्म व मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन को लेकर एक विधेयक लाने पर विचार कर रही है, इसके साथ ही गृह मंत्रालय असम को छोड़कर सारे देश में एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने पर भी विचार कर रहा है. इसकी जरूरत पर गृह मंत्रालय की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में जिक्र किया गया है.
2021-22 के लिए मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण एनपीआर को अपडेट करने और अन्य संबंधित जमीनी गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया था.
रिपोर्ट में यह बताते हुए कि केंद्र सरकार ने इस उद्देश्य के लिए पहले ही 3,941 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं, कहा गया है, ‘एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने के लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण अपनाया जाएगा. इसमें ‘सेल्फ अपडेटिंग’ शामिल होगी, जिसमें नागरिक अपना डेटा स्वयं अपडेट कर सकेंगे. इस दौरान प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरण एकत्र किए जाने हैं.’
द हिंदू के मुताबिक, एनपीआर पहली बार 2010 में तैयार किया गया था और 2015 में देश के सभी आम लोगों की जानकारी एकत्रित करके अपडेट किया गया था, जिसका विरोध कई विपक्ष-शासित राज्यों ने किया था क्योंकि नागरिकता नियम 2003 के अनुसार एनपीआर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की दिशा में पहला कदम है.
केंद्र सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि अभी तक एनआरसी को बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक गृह मंत्रालय समेत सभी अधिकारियों द्वारा कुल 1,414 नागरिकता प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए हैं.
रिपोर्ट कहती है, ‘इसमें से 1,120 को धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा और 2094 को नागरिकता अधिनियम-1955 की धारा 6 के तहत प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए हैं.’
वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई या पारसी समुदायों के सदस्यों के संबंध में पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान करने की अपनी शक्तियों को 29 जिलों के कलेक्टरों और 9 राज्यों के गृह सचिवों को सौंप दिया है.
गृह मंत्रालय ने पिछले एक साल में तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदायों के 2,439 सदस्यों को लंबी अवधि का वीजा दिया है. इनमें पाकिस्तान से 2,193, अफगानिस्तान से 237 और बांग्लादेश से नौ लोग शामिल हैं.
गौरतलब है कि रिपोर्ट मंत्रालय की सभी उपलब्धियों और कार्यों का संकलन है, हालांकि इसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) का उल्लेख नहीं है. ज्ञात हो कि 2019 में पास इस कानून के अभी नियम बनाए जाने बाकी हैं.