2005 से यूएपीए के कुल 83 मामलों में से 40 में नब्बे दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल की: दिल्ली पुलिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने अक्टूबर में दिल्ली पुलिस को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज उन मामलों की संख्या बताने को कहा था, जिनमें उसने 90 दिनों की निर्धारित समयसीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल किए थे.

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(इलस्ट्रेशनः द वायर)

दिल्ली हाईकोर्ट ने अक्टूबर में दिल्ली पुलिस को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज उन मामलों की संख्या बताने को कहा था, जिनमें उसने 90 दिनों की निर्धारित समयसीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल किए थे.

(इलस्ट्रेशनः द वायर)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उसने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत 2005 से 83 मामले दर्ज किए और उनमें से 40 मामलों में 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दाखिए किए गए जबकि 20 मामलों में समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया गया.

दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर ये आंकड़े पेश किए गए. अदालत यूएपीए के एक आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रहा थी जिसमें उसके खिलाफ मामले में दिल्ली पुलिस को दी गई 90 दिनों की समय सीमा बढ़ाने की सुनवाई अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है.

पुलिस ने बताया कि आतंकवाद विरोधी कानून के तहत कुल 98 मामले दर्ज किए गए थे लेकिन उनमें से 15 मामले राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को स्थानांतरित कर दिए गए.

जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल ने अक्टूबर में पुलिस को यूएपीए के तहत उन मामलों की संख्या बताने को कहा था, जिनमें उसने निर्धारित 90 दिनों की समयसीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल किए थे.

उच्च न्यायालय ने पुलिस से उन मामलों का भी खुलासा करने को कहा था जहां 90 दिन की समय सीमा बढ़ाने के अनुरोध के बाद आरोप पत्र दायर किया गया था.

पुलिस ने कहा कि 83 मामलों में से 40 का फैसला हो चुका है और 29 मामलों में सुनवाई लंबित है जबकि 14 अन्य मामले में जांच लंबित है.

पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि 40 मामलों में 90 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल किए गए जबकि 20 मामलों में समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया गया. जिन 14 मामलों में जांच लंबित है, उनमें से 12 मामलों में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. दो मामलों में गिरफ्तारी हुई है लेकिन शुरुआती 90 दिन पूरे नहीं हुए हैं.

आतंकवाद विरोधी कानून की धारा 43 डी (2) जांच एजेंसी को अपनी जांच पूरी करने और चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिनों का समय देती है. हालांकि, अगर उस अवधि के भीतर जांच पूरी करना संभव नहीं है, तो संबंधित अदालत 180 दिनों तक की समय सीमा बढ़ा सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उच्च न्यायालय यूएपीए के तहत समयसीमा बढ़ाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. उनमें से एक जीशान क़मर द्वारा दायर की गई है, जिन्हें पिछले साल सितंबर में दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने आतंकी आरोपों में गिरफ्तार किया था.

विशेष प्रकोष्ठ ने आरोप लगाया था कि कमर और एक अन्य व्यक्ति को पिछले साल पाकिस्तान में आईएसआई द्वारा प्रशिक्षित किया गया था. स्पेशल सेल के अधिकारियों ने आगे आरोप लगाया था कि कमर और एक अन्य व्यक्ति को आईईडी लगाने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश में उपयुक्त स्थानों की रेकी करने के लिए कहा गया था.

एक अन्य अपील 25 वर्षीय कश्मीरी फोटो जर्नलिस्ट मोहम्मद मनन डार ने दायर की है, जो अक्टूबर 2021 से जेल में है. एनआईए ने डार को प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित आकाओं और जम्मू-कश्मीर स्थित उनके सहयोगियों के साथ संबंध का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)