कोर्ट ने संजय राउत को ज़मानत देते हुए गिरफ़्तारी को अवैध कहा, पूछा- मुख्य आरोपी को क्यों बख़्शा

मुंबई की एक विशेष अदालत ने पात्रा चॉल पुनर्विकास से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ़्तारी को निशाना बनाने की कार्रवाई क़रार दिया. ईडी द्वारा एक अगस्त को गिरफ़्तार किए जाने के बाद राउत क़रीब तीन महीने से जेल में थे. 

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मुंबई की एक विशेष अदालत ने पात्रा चॉल पुनर्विकास से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ़्तारी को निशाना बनाने की कार्रवाई क़रार दिया. ईडी द्वारा एक अगस्त को गिरफ़्तार किए जाने के बाद राउत क़रीब तीन महीने से जेल में थे.

संजय राउत. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने पात्रा चॉल पुनर्विकास से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ्तारी को बुधवार को ‘अवैध’ और ‘निशाना बनाने’ की कार्रवाई करार दिया तथा उनकी जमानत मंजूर कर ली.

इसने यह भी सवाल किया कि मामले के मुख्य आरोपी एवं रियल एस्टेट फर्म एचडीआईएल के राकेश और सारंग वधावन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कभी गिरफ्तार क्यों नहीं किया.

न्यायाधीश ने साथ ही यह भी कहा, ‘इतना ही नहीं, एजेंसी द्वारा म्हाडा और अन्य सरकारी विभागों के संबंधित अधिकारियों को गिरफ्तार न करने का कारण कुछ नहीं, बल्कि तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री और (महाराष्ट्र के) तत्कालीन मुख्यमंत्री को एक संदेश देना था, जिससे उनके मन में एक भय पैदा हो सके कि वे इस कतार में अगले व्यक्ति हैं.’

न्यायाधीश ने कहा, ‘यह एक आश्चर्यजनक रूप से स्वीकार किया गया तथ्य है कि एचडीआईएल के मुख्य आरोपी राकेश और सारंग वधावन को ईडी द्वारा कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था, जबकि उन्होंने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी.’

मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून से संबंधित मामलों के विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने संजय राउत और उनके सहयोगी प्रवीण राउत को जमानत दे दी. न्यायाधीश ने कहा, ‘हालांकि, मौजूदा मामले में उनकी प्रमुख भूमिका को देखते हुए भी ईडी ने गिरफ्तार नहीं किया है, जिसकी वजह ईडी ही बेहतर बता सकता है.’

अदालत ने कहा कि वधावन ने अपनी भूमिका स्वीकार भी की है. अदालत ने कहा, ‘मूलत: आरोपों के लिए पीएमएलए की धारा 19 के तहत दोनों को गिरफ्तार करने का कोई कारण नहीं था और यह एक नागरिक (civil)  विवाद के अलावा और कुछ नहीं है.’

मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 संबंधित सरकारी अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करती है.

न्यायाधीश ने कहा कि वधावन और उनकी फर्म एचडीआईएल ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि उनके गड़बड़ियों के कारण देरी हुई थी और उच्च न्यायालय ने इसे स्वीकार भी किया था और ईडी ने इस सबकी अनदेखी की है.

अदालत ने कहा कि संजय राउत ने ईडी के सामने पेश होने के लिए समय मांगा था, लेकिन यह उन्हें गिरफ्तार करने का कारण नहीं हो सकता.

रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अगस्त को गिरफ्तार राउत आदेश के कुछ घंटे बाद जेल से बाहर आ गए. उनके सहयोगी प्रवीण राउत, जिन्हें फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया गया था, को भी जमानत दे दी गई.

न्यायाधीश ने कहा, ‘इसलिए मेरा दृढ़ मत है कि पीएमएल अधिनियम के प्रावधानों के तहत आवश्यक योग्यता के बिना दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी मूल रूप से अवैध है. मुख्य आरोपी राकेश और सारंग को गिरफ्तार नहीं करने में ईडी द्वारा की गई असमानता को देखते हुए ये दोनों समानता के हकदार हैं.’

न्यायाधीश ने ईडी को भी फटकार लगाते हुए कहा कि वह असाधारण गति से आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करता है, लेकिन जब जांच करने की बात आती है, तो ‘घोंघे की भी गति’ नहीं दिखाई जाती है.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष अदालत से जमानत मिलने के कुछ घंटे बाद संजय राउत बुधवार शाम मुंबई की आर्थर रोड जेल से बाहर आए. शाम करीब पांच बजे राउत के वकीलों ने जमानत आदेश आर्थर जेल रोड पहुंचाया और करीब छह बजकर 50 मिनट पर राउत जेल से बाहर निकले

क्या था मामला

मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उपनगरीय गोरेगांव में एक आवासीय परियोजना से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक अगस्त को संजय राउत (60) को गिरफ्तार किया था.

ईडी मुंबई में पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित लेनदेन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संजय राउत, उनकी पत्नी और अन्य सहयोगियों की जांच कर रही थी.

बीते अप्रैल माह में ईडी ने इस जांच के संबंध में संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत और उनके दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर दिया था.

कुर्क की गई संपत्तियां पालघर, सफाले (पालघर का एक कस्बा) और पड़घा (ठाणे जिला) में संजय राउत के सहयोगी और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के एक पूर्व निदेशक प्रवीण एम. राउत के पास जमीन के रूप में हैं.

ईडी ने कहा था कि इन संपत्तियों में वर्षा राउत के पास मुंबई के उपनगर दादर में एक फ्लैट और अलीबाग में किहिम बीच पर आठ भूखंड भी शामिल हैं, जो संयुक्त रूप से वर्षा राउत और संजय राउत के ‘करीबी सहयोगी’ सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर के हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक,  साल 2008 में, महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, एक सरकारी एजेंसी, ने एचडीआईएल की एक सहयोगी कंपनी, गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के लिए पुनर्विकास अनुबंध सौंपा था.

जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और कुछ फ्लैट म्हाडा को भी देने थे. शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतंत्र था.

लेकिन पिछले 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुनर्विकास नहीं किया और ईडी के अनुसार 1,034 करोड़ रुपये में अन्य बिल्डरों को भूमि पार्सल और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) बेच दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ईडी का दावा है कि संजय राउत के सहयोगी प्रवीण राउत और जीएसीपीएल के अन्य निदेशक इस प्रक्रिया में शामिल थे. दावा है कि प्रवीण राउत ने एचडीआईएल से 100 करोड़ रुपये प्राप्त किए और इसे अपने करीबी सहयोगियों, परिवार के सदस्य, उनकी व्यावसायिक संस्थाओं के विभिन्न खातों में डायवर्ट किया, जिसमें संजय राउत का परिवार भी शामिल है.

एजेंसी ने दावा किया कि 2010 में अपराध की आय से 83 लाख रुपये संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को हस्तांतरित किए गए, जिन्होंने दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए पैसे का इस्तेमाल किया.

राउत और शिवसेना के ठाकरे गुट ने लंबे समय से इस मामले को निराधार माना है और ईडी पर भाजपा के राजनीतिक प्रतिशोध को अंजाम देने का आरोप लगाया है.

रिहाई के बाद संजय राउत ने कहा- मेरी गिरफ्तारी उनके राजनीतिक करिअर की सबसे बड़ी गलती होगी

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, संजय राउत को शाम करीब छह बजकर 50 मिनट पर जेल से रिहा किया गया. जेल के सामने खड़े होकर राउत ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और कहा कि वह सत्ता में बैठे लोगों से मुकाबला करना जारी रखेंगे.

100 दिन सलाखों के पीछे रहने के बाद जमानत पर रिहा हुए राउत का स्वागत शिव सेना के कार्यकर्ताओं ने किया, जो आर्थर रोड जेल के बाहर, साथ ही भांडुप में उनके आवास के बाहर जमा हुए थे.

राउत ने जेल से बाहर आने के बाद कहा, ‘मैं बाहर आने के बाद खुश हूं. हम योद्धा हैं और लड़ते रहेंगे. मैंने अपना पूरा जीवन शिवसेना में बिताया है. मैं सेना के साथ रहूंगा और सेना के साथ मरूंगा, लेकिन मैं सेना को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा. मैं इसके बजाय मरना पसंद करूंगा लेकिन सेना को कभी नहीं छोड़ूंगा.’

रिहा होने के कुछ घंटे बाद भांडुप स्थित अपने आवास पर राउत ने कहा कि वह अब विपक्ष के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ेंगे और रुकेंगे नहीं.

उन्होंने कहा, ‘जब मुझे गिरफ्तार किया गया तो मेरे परिवार के सदस्य नहीं रोए थे, लेकिन आज, जब मुझे रिहा किया गया, तो वे रोए. लेकिन अभी रोने का नहीं, लड़ने का समय है. मैं अब आजाद हो गया हूं इसलिए रुकूंगा नहीं और पूरी ताकत से (विपक्ष के खिलाफ) लडूंगा. अब हमें पूरी ताकत से लड़ना होगा.’

राउत ने कहा, ‘उन्होंने मुझे यहीं से गिरफ्तार कर लिया था… घर से निकलते वक्त मैंने उनसे कहा था कि मैं मौत को तरजीह दूंगा लेकिन मैं दिल्ली के सामने न झुकूंगा और न ही सरेंडर करूंगा.’

उन्होंने कहा, ‘उन्हें नहीं पता कि उन्होंने मुझे गिरफ्तार करके कितनी बड़ी गलती की है. यह उनके राजनीतिक करिअर की सबसे बड़ी गलती होगी. उन्हें जल्द ही पता चल जाएगा. मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण सेना को समर्पित है. आज, अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी अवैध थी. जितनी बार चाहो मुझे गिरफ्तार करो लेकिन मैं शिवसेना नहीं छोड़ूंगा.’

शिवसेना के नेता (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ-साथ उसके महा विकास अघाड़ी सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी उनकी रिहाई का स्वागत किया.

शिवसेना-यूबीटी विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘तोप वापस युद्ध के मैदान में है और शिवसेना का शेर वापस आ गया है. वह बालासाहेब ठाकरे के वफादार शिव सैनिक हैं… उनके खिलाफ इतनी दबाव तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद भी, उन्होंने किसी के साथ विश्वासघात नहीं किया या दबाव में पक्ष नहीं बदला. वह दूसरों की तरह कायर नहीं है जो दबाव में आकर भाग गए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)