आज़म ख़ान की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका ख़ारिज, रामपुर उपचुनाव का रास्ता साफ़

सपा नेता आज़म ख़ान के अयोग्य घोषित होने के बाद ख़ाली हुई रामपुर विधानसभा सीट पर निर्वाचन आयोग ने 5 दिसंबर को उपचुनाव होने की जानकारी दी है. बीते 27 अक्टूबर को अदालत ने आज़म ख़ान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी क़रार देते हुए तीन साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

आजम खान. (फोटो साभार: एएनआई)

सपा नेता आज़म ख़ान के अयोग्य घोषित होने के बाद ख़ाली हुई रामपुर विधानसभा सीट पर निर्वाचन आयोग ने 5 दिसंबर को उपचुनाव होने की जानकारी दी है. बीते 27 अक्टूबर को अदालत ने आज़म ख़ान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी क़रार देते हुए तीन साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

आजम खान. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में रामपुर सत्र अदालत ने बीते गुरुवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें साल 2019 के भड़काऊ भाषण (Hate Speech) के मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आजम खान की अपील को ठुकरा दिया, जिससे रामपुर सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त हो गया, जो एक विधायक के रूप में खान की अयोग्यता के बाद खाली हो गई है.

अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘आजम खान ने रामपुर की सांसद/विधायक अदालत द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी और अपील की सुनवाई (भड़काऊ भाषण मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ) हमेशा की तरह चलेगी.

अदालत के इस फैसले के बाद निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश की रामपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए संशोधित कार्यक्रम जारी किया है और इसके लिए अधिसूचना शुक्रवार को जारी की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 9 नवंबर को चुनाव आयोग से रामपुर सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने को 11 नवंबर तक टालने को कहा था, ताकि वह दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए अपीलीय अदालत का दरवाजा खटखटा सकें.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने रामपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को आजम खान की दोषसिद्धि पर रोक के लिए आवेदन की सुनवाई पहले करने का आदेश देते हुए कहा था कि इसे 10 नवंबर को स्थायी रूप से लें और उसी दिन निपटारा करें.

आजम खान ने सत्र न्यायालय में ही अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की थी.

अदालत ने यह भी कहा था कि अगर दोषसिद्धि पर रोक लगा दी जाती है तो अयोग्यता पर भी रोक लगा दी जाएगी और निर्वाचन आयोग से खान को दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने के लिए उचित समय देने के लिए कहा था.

हालांकि रामपुर सत्र अदालत द्वारा सपा नेता खान की याचिका खारिज करने के तुरंत बाद निर्वाचन आयोग ने बीते बृहस्पतिवार को घोषणा की कि रामपुर सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव 5 दिसंबर को होगा.

आयोग ने कहा कि उपचुनाव के लिए अधिसूचना शुक्रवार को घोषित की जाएगी और अंतिम नामांकन दाखिल करने की तारीख 18 नवंबर कर दी गई है. हालांकि मतदान और मतगणना की तारीख पहले की तरहत क्रमशं 5 दिसंबर और 8 दिसंबर ही रहेगी.

मालूम हो कि बीते 27 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने सपा नेता एवं विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी. बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी. हालांकि आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.

इसके एक दिन बाद यूपी विधानसभा सचिवालय ने उनकी विधानसभा सीट रामपुर सदर को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विधायक के रूप में उनकी अयोग्यता का हवाला देते हुए रिक्त घोषित कर दिया था.

आजम खान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लेकर अपमानजनक भाषा का इस्‍तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्‍ठ अधिकारियों को भला-बुरा कहने पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था.

खान के इस बयान का वीडियो भी वायरल हुआ था.

भड़काऊ भाषण देने के मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने आजम खान को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505ए (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी.

गौरतलब है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आजम खान के खिलाफ चोरी से लेकर भ्रष्टाचार तक के 87  मामले दर्ज किए गए हैं.

जमीन कब्जाने से संबंधित मामले में वे करीब दो सालों तक जेल में रहे थे. इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)