योजना आयोग के पूर्व सदस्य ने कहा, नोटबंदी से ग़रीब प्रभावित हुए लेकिन उन्होंने मोदी को माफ़ कर दिया क्योंकि वे मानते हैं कि यह क़दम अमीरों के ख़िलाफ़ था.
नई दिल्ली: देश में नोटबंदी के लगभग एक साल पूरे होने को हैं लेकिन रिजर्व बैंक अभी भी वापस आए नोटों की गिनती एवं जांच का काम पूरा नहीं कर सका है. दूसरी ओर, भंग हो चुके योजना आयोग के एक पूर्व सदस्य अरुण मायरा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी के कदम से गरीब प्रभावित हुए लेकिन उन्होंने उनको माफ कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि वह उनके साथ हैं और यह कदम धनी लोगों के खिलाफ था. बहरहाल, अब तक यह पता नहीं चल सका है कि नोटबंदी से अमीर प्रभावित हुए या नहीं.
केंद्रीय बैंक ने पीटीआई संवाददाता द्वारा सूचना का अधिकार आरटीआई के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में जानकारी दी है कि नोटबंदी के बाद वापस आए नोटों की गिनती एवं जांच का काम पूरा नहीं हो सका है.
रिजर्व बैंक ने कहा कि वह 30 सितंबर तक 500 रुपये के 1,134 करोड़ नोट तथा 1000 रुपये के 524.90 करोड़ नोट का सत्यापन कर चुका है. इनके मूल्य क्रमश: 5.67 लाख करोड़ रुपये और 5.24 लाख करोड़ रुपये हैं. उसने आगे कहा कि दो पालियों में सभी उपलब्ध मशीनों में नोटों की गिनती एवं जांच की जा रही है.
आरटीआई के तहत रिजर्व बैंक से नोटबंदी के बाद वापस आए नोटों की गिनती के बारे में पूछा गया था. गिनती समाप्त होने के समय के बारे में उसने कहा, वापस आए नोटों की गिनती की प्रक्रिया जारी है. नोटों की गिनती एवं जांच करने वाली 66 मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बंद करने की घोषणा की थी. उसके बाद लोगों द्वारा विभिन्न बैंकों में जमा किए गए अमान्य नोटों की गिनती एवं जांच केंद्रीय बैंक कर रहा है. विपक्षी पार्टियां नोटबंदी के साल पूरा होने के मौके पर आठ नवंबर को काला दिवस मनाने की घोषणा की है.
नोटबंदी से अमीर प्रभावित हुए या नहीं, अब तक नहीं पता
मोदी सरकार आने के बाद भंग किए गए योजना आयोग के पूर्व सदस्य अरुण मायरा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी के कदम से गरीब प्रभावित हुए लेकिन उन्होंने उनको माफ कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि वह उनके साथ हैं और यह कदम धनी लोगों के खिलाफ था.
बहरहाल, मायरा कहते हैं कि अब तक यह पता नहीं चल सका है कि नोटबंदी से अमीर प्रभावित हुए या नहीं. उन्होंने कहा, निस्संदेह, हमारे समाज में लोग अमीरों से बहुत नाखुश हैं कि उनके पास बहुत धन है. मोदी और अन्ना हजारे जैसे अन्य लोग साठगांठ वाली पूंजीवादी व्यवस्था- धनी लोगों और सरकार – से नाखुश लोगों की आवाज सुन रहे थे. और, इसी कारण से इसके खिलाफ अन्ना हजारे का आंदोलन हुआ. यह महज सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भी था.
मायरा ने एक साक्षात्कार में कहा, इसलिए, मोदी ने उस आंदोलन को समझा और भ्रष्टाचार के खिलाफ संदेश दिया कि यह नोटबंदी अमीरों पर आघात करने के लिए है. इसलिए परेशान अन्य लोगों ने वाह-वाह कहा. यही कारण है कि मुझे लगता है हमारे जैसे धनी लोग अच्छे से सुनें. नोटबंदी से हमें जागना चाहिए कि हमारे बारे में देश में बड़ा असंतोष है.
उन्होंने कहा, यहां एक शख्स हैं मोदी, जो कह रहे हैं कि मैं आपके (गरीबों लिए) यह बड़ा झटका दूंगा. धनी प्रभावित हुए या नहीं, हमें अब तक नहीं पता. निश्चित तौर पर गरीबों को चोट पहुंची लेकिन उन्होंने उनको माफ किया क्योंकि उन्होंने सोचा कि प्रधानमंत्री इन गंदे धनी लोगों के खिलाफ और गरीबों की तरफ हैं.
मोदी सरकार ने योजना आयोग को भंग कर दिया और इसकी जगह नीति आयोग की शुरुआत की. मायरा ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़ों की बजाए नागरिकों के कल्याण पर फोकस करना चाहिए.
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के पूर्व भारतीय अध्यक्ष ने कहा, आप अर्थव्यवस्था में और नौकरियां क्यों चाहते हैं क्योंकि अर्थव्यवस्था को आम लोगों के लिए माना जाता है. नेताओं को सिर्फ जीडीपी बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि उनके लोगों के सरोकार वाले नतीजे देने के वास्ते चुना गया है. हाल में रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अपनी किताब ‘लिसनिंग फॉर वेल बीइंग- कान्वर्सेशन्स विद पीपल नॉट लाइक अस’ में मायरा ने अपने व्यापक अनुभवों को साझा किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)