एमपी: एनसीपीसीआर ने शिशु गृह में तीन बच्चों के धर्म परिवर्तन को लेकर जांच के आदेश दिए

मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में ग़ौहरगंज स्थित शिशु गृह का मामला. आरोप है कि यहां रह रहे तीन बच्चों का धर्म परिवर्तन कर उनके नाम बदल दिए गए हैं. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने शिशु गृह संचालक हसीन परवेज़ के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.

(फोटो साभार: फेसबुक)

मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में ग़ौहरगंज स्थित शिशु गृह का मामला. आरोप है कि यहां रह रहे तीन बच्चों का धर्म परिवर्तन कर उनके नाम बदल दिए गए हैं. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने शिशु गृह संचालक हसीन परवेज़ के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.

(फोटो साभार: फेसबुक)

रायसेन: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में सरकारी सहायता प्राप्त शिशु गृह में रहने वाले कम से कम तीन बच्चों का कथित रूप से धर्म परिवर्तन कराने की जानकारी मिली है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने एक ट्वीट में स्थानीय प्रशासन को तीन बच्चों का कथित रूप से धर्मांतरण करने और उनके नए नाम और धर्म के दस्तावेज तैयार करने के आरोप में केयर सेंटर के प्रबंधक के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है.

प्रियंक कानूनगो ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘रायसेन, मध्य प्रदेश में शिशु गृह के निरीक्षण में तीन बच्चों के नाम व धर्म बदल कर बाल गृह संचालक द्वारा नए नाम व धर्म के दस्तावेज बनवा लेने का मामला मिला है. बच्चों के धर्म परिवर्तन का मामला गंभीर है. जिला प्रशासन को (शिशु गृह) संचालक हसीन परवेज़ के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीते 12 नवंबर को रायसेन में चाइल्ड केयर सेंटर के निरीक्षण के दौरान यह बात सामने आई है कि इसके प्रबंधक ने तीन बच्चों का धर्म परिवर्तन कर उनके नाम बदल दिए हैं.

संपर्क करने पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि रायसेन बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के पास रायसेन के गौहरगंज स्थित शिशु गृह में रहने वाले तीन बच्चों का न्यायिक अधिकार है. इन तीन बच्चों में से दो लड़कियां हैं, जिनकी उम्र चार और आठ साल है, जबकि लड़का 11 साल का है.

उन्होंने कहा, ‘सीडब्ल्यूसी का गठन किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किया गया है. इसे (न्यायिक) पीठ के रूप में शक्तियां प्रदान हैं. हम उसको अनदेखा कर मामला कैसे दर्ज कर सकते हैं?’

उन्होंने कहा, ‘एनसीपीसीआर को शिशु गृह के संचालक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे आना चाहिए.’

अधिकारी ने कहा कि ‘चाइल्ड हेल्पलाइन’ कर्मचारियों द्वारा दिसंबर 2019 में भोपाल में इन तीनों बच्चों को भीख मांगते हुए पाया गया था और भोपाल सीडब्ल्यूसी को सूचित किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘भोपाल सीडब्ल्यूसी ने प्रक्रिया का पालन करने के बाद इन बच्चों को रायसेन सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया, क्योंकि बच्चों ने बताया था कि उनका जुड़ाव रायसेन जिले के मंडीदीप क्षेत्र से है.’

संपर्क करने पर महिला एवं बाल विकास विभाग के रायसेन जिला कार्यक्रम अधिकारी दीपक संकत ने कहा कि वे मामले की जांच करेंगे और तदनुसार कार्रवाई करेंगे.

उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, सीडब्ल्यूसी के सदस्य और अधिकारी नियमित रूप से शिशु गृहों का दौरा करते हैं.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, दमोह का एक व्यक्ति तीनों बच्चों का पिता होने का दावा करते हुए शिशु गृह आया था.

उन्होंने कहा कि जब उनसे उनकी पत्नी के बारे में पूछा गया, तो वह एक महिला के साथ दोबारा आए और कहा कि वे बच्चों के माता-पिता हैं. हालांकि, जांच में पता चला कि व्यक्ति की पत्नी और बच्चे दमोह में रहते हैं.

पुलिस को संदेह है कि व्यक्ति ने एनसीपीसीआर अध्यक्ष कानूनगो के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद कानूनगो शिशु गृह गए.

रायसेन सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष अतुल दुबे से बार-बार फोन करने के बाद भी संपर्क नहीं हो सका.

भोपाल सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष जागृति सिंह ने कहा कि उन्होंने पिछले साल ही कार्यभार संभाला है और उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

दैनिक भास्कर के मुताबिक, रायसेन के गोदी शिशु गृह गौहरगंज में रहने वाले शाहरुख, सुहाना और रुखसाना (नए नाम) के पिता मंडीदीप में किसी फैक्ट्री में गार्ड हैं. आपसी विवाद के बाद मां और पिता साथ नहीं रहते. मां बच्चों को लेकर भोपाल चली गई थी और यहां वह ताजुल मस्जिद के पास किसी मुस्लिम फकीर के साथ भीख मांगने लगी.

साल 2020 में कोविड के कारण लगे पहले लॉकडाउन के दौरान बच्चे मां से बिछुड़ गए. भोपाल की मातृ-छाया संस्था (एनजीओ) को बच्चे लावारिस नजर आए. उन्होंने बच्चों को बाल कल्याण समिति भोपाल के सामने पेश किया. मामला रायसेन जिले का था, इसलिए समिति ने यह केस रायसेन बाल कल्याण समिति के पास ट्रांसफर कर दिया.

बाल कल्याण समिति रायसेन ने इन बच्चों को गोदी शिशु गृह गौहरगंज को तब तक के लिए हवाले कर दिया, जब तक इनके माता-पिता नहीं मिल जाते.

रिपोर्ट के मुताबिक, शिशु गृह के संचालक हसीन परवेज का कहना है कि बच्चे यहां भोपाल से ट्रांसफर हुए हैं. बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने जो आदेश दिए हैं, वही नाम संस्था में रखे गए. हम तब तक नाम नहीं बदल सकते, जब तक सीडब्ल्यूसी आदेश नहीं देता.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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