पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे जीएसटी बकाया देकर हम पर कोई एहसान नहीं कर रहे हैं, यह लोगों का पैसा है जिसे उन्होंने (केंद्र) जीएसटी के माध्यम से एकत्रित किया है. अगर केंद्र हमें पैसा नहीं दे सकता, तो हम भी जीएसटी देना बंद कर सकते हैं.
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झारग्राम: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ तीखा हमला करते हुए मंगलवार को कहा कि अगर केंद्र राज्य का बकाया नहीं चुका सकता तो उसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को वापस ले लेना चाहिए.
ममता ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या उनसे अपने बकाये के लिए ‘हाथ फैलाने’ की उम्मीद की जाती है?
आदिवासी बहुल झारग्राम जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि केंद्र को या तो राज्यों का बकाया चुकाना चाहिए या सत्ता छोड़ देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘अपने वित्तीय बकाया के भुगतान के लिए क्या हमे केंद्र के सामने हाथ फैलाने पड़ेंगे. वे मनरेगा का कोष जारी नहीं कर रहे हैं. अगर भाजपा सरकार हमारे बकाया का भुगतान नहीं करती तो उसे सत्ता छोड़नी होगी. केंद्र अगर हमारे बकाया का भुगतान नहीं कर सकता तो उसे जीएसटी बंद कर देना चाहिए.’
मुख्यमंत्री ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जयंती कार्यक्रम में कहा, ‘वे जीएसटी बकाया देकर हम पर कोई एहसान नहीं कर रहे हैं, यह लोगों का पैसा है जिसे उन्होंने (केंद्र) ने जीएसटी के माध्यम से एकत्रित किया है.’
बनर्जी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने कहा, ‘हम जीएसटी को लागू करने पर सहमत हुए थे. हमने सोचा था कि केंद्र हमारा बकाया चुकाएगा, लेकिन अब केंद्र जीएसटी के रूप में सारा पैसा एकत्र कर रहा है लेकिन हमें हमारा बकाया नहीं दे रहा है. मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और उनसे अनुरोध किया था, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. क्या हमें इसके लिए भीख मांगनी चाहिए?’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमे जीएसटी क्यों देना चाहिए? जब केंद्र हमारे बकाये का भुगतान नहीं कर रहा है. अगर केंद्र हमे पैसा नहीं दे सकता, तो हम भी जीएसटी देना बंद कर सकते हैं. देश राजनेताओं नहीं बल्कि लोगों के लिए है. यह भाजपा का पैसा नहीं है.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बनर्जी ने कहा, ‘लगता है केंद्र सरकार यह भूल गई है कि पैसा वापस पाना हमारा संवैधानिक अधिकार है. केंद्र के लिए राज्य का बकाया चुकाना अनिवार्य है.’
बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार 100 दिन की कार्य योजना मनरेगा के लिए राज्य को भुगतान करने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य है. उन्होंने कहा, ‘मैं केंद्र सरकार को बताना चाहूंगी कि 100 दिन की कार्य योजना के लिए धन जारी करना एक संवैधानिक मानदंड है. केंद्र को भुगतान करना होगा, यह कोई उपकार नहीं है बल्कि वो ऐसा करने को बाध्य है क्योंकि कानून संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया है.’
बाद में, स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते हुए बनर्जी ने दावा किया कि जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन से पेयजल परियोजना के रुकने का प्राथमिक कारण केंद्र से पर्याप्त धन नहीं मिलना है.
उन्होंने कहा, ‘2024 तक सभी घरों को पाइप से पीने का पानी मिलना था. लेकिन केंद्र ने फंड देना बंद कर दिया है, जिस वजह से यह प्रोजेक्ट ठप पड़ा है. एक बार जब वे भुगतान कर देंगे, हम इसे लागू करना शुरू कर देंगे. हम केंद्र द्वारा हमारे साथ किए गए अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम बंगलार बाड़ी योजना के तहत घर बनाने में व्यस्त थे, लेकिन केंद्र ने भुगतान करना बंद कर दिया. योजना के तहत 50 लाख से अधिक घर बनने बाकी हैं. हम ग्रामीण रास्ता योजना के तहत सड़कें बनाने में लगे थे, लेकिन उन्होंने फिर फंड रोक दिया. हमारे अधिकारों को छीना जा रहा है और हम इसके साथ ठीक नहीं हैं. बिरसा मुंडा भी इसे सही नहीं मानते.’
इस बीच, बनर्जी के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार के मनरेगा के तहत खर्च किए गए धन से जुड़े प्रमाणपत्र जमा करने में विफल रहने के कारण पैसा रोका गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)