कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बेंगलुरु शहर में मतदाता पहचान-पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बारे में जागरूकता के लिए घर-घर सर्वेक्षण करने का काम में लगे एक एनजीओ के सदस्यों ने ख़ुद को बीएलओ बताते हुए लोगों की जाति, उनके आधार सहित अन्य निजी ब्योरा एकत्र किया है. इस एनजीओ के मंत्री डॉ. सीएन अश्वथनारायण से संबंध हैं.
बेंगलुरु: कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर चुनावी धांधली का आरोप लगाया. पार्टी ने गुरुवार को मांग की कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को इस्तीफा दे देना चाहिए और एक एनजीओ को कानूनों का उल्लंघन करते हुए बेंगलुरु में मतदाता जानकारी एकत्र करने की अनुमति देने के लिए सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए. पार्टी ने आरोप लगाया कि इस एनजीओ के मंत्री डॉ. सीएन अश्वथनारायण से संबंध हैं.
कांग्रेस का आरोप है कि शहर में मतदाता सर्वेक्षण में लगा एक एनजीओ ‘चिलुम एजुकेशनल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट’ ने व्यक्तियों की जाति और उनके आधार सहित अन्य निजी ब्योरा इकट्ठा कर लिया है.
एक मीडिया रिपोर्ट में पता चला था कि इस एनजीओ को वोटर हेल्पलाइन मोबाइल ऐप के माध्यम से मतदाता पहचान-पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए घर-घर सर्वेक्षण करने का काम सौंपा गया था.
आरोप है कि उसने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका सीमा (बीबीएमपी) के भीतर मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी एकत्र की, इस दौरान इसके सदस्यों ने कथित तौर पर खुद को सरकारी अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत किया.
कर्नाटक प्रभारी और पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक संवाददाता सम्मेलन में पूछा, ‘एक एनजीओ को लोगों की जानकारी एकत्र करने की अनुमति कैसे दी गई? एक एनजीओ के ठेका कर्मचारी कैसे खुद को सरकारी कर्मचारी के रूप में पेश कर सकते हैं और लिंग, वोटर आईडी नंबर, आधार, वैवाहिक स्थिति आदि के बारे में जानकारी एकत्र कर सकते हैं, जो निजता के अधिकार अधिनियम के तहत संरक्षित है.’
जैसे ही मुद्दा राजनीतिक विवाद में बदला, महानगर पालिका ने 16 नवंबर को कार्यक्रम में शामिल एनजीओ को दी गई अनुमति को वापस लेने की घोषणा की और अधिकारियों ने कहा कि यदि कोई उल्लंघन पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी.
सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के इस्तीफे की मांग करते हुए आरोप लगाया कि घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी एकत्र करने के लिए एनजीओ को नियुक्त कर मुख्यमंत्री चुनावी कदाचार के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था कि बीबीएमपी ने अगस्त में एनजीओ को घर-घर जाकर मतदाताओं का ‘मुफ्त’ सर्वेक्षण करने के लिए अधिकृत किया था.
कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मामले की समयबद्ध जांच की मांग करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि संस्था ने मतदाताओं के लिंग, जाति, धर्म और मातृभाषा से जुड़ी जानकारी के अलावा उनका मतदाता पहचान-पत्र और आधार से संबंधित विवरण एकत्रित किया.
उन्होंने दावा किया, ‘चिलुम एजुकेशनल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट ने निर्वाचन आयोग के मतदाता जागरूकता अभियान को चलाने की अनुमति के लिए एक आवेदन दायर किया था. सबसे पहले, महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के लिए अनुमति दी गई. इसके बाद 20 अगस्त 2022 को एक सरकारी आदेश जारी कर बेंगलुरु के सभी 28 विधानसभा क्षेत्रों में अभियान चलाने की अनुमति दे दी गई.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘चिलुम ट्रस्ट दो अन्य संस्थाओं के मालिकों/निदेशकों के स्वामित्व में है, जिन्हें चिलुम एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और डीएपी होमेबल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, जिसका स्वामित्व कृष्णप्पा रविकुमार के पास है.’
उन्होंने कहा, ‘चिलुम इंटरप्राइजेज एक ‘चुनाव प्रबंधन कंपनी’ होने का दावा करती है, जो राजनीतिक दलों के लिए ईवीएम से जुड़ी तैयारियां कराने सहित कई अन्य काम करती है. यह अजीब है. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं सुना.’
सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि रविकुमार की उच्च शिक्षा, आईटी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. सीएन अश्वथनारायण से निकटता है. उन्होंने एक जन्मदिन कार्यक्रम में रविकुमार के साथ मंत्री की तस्वीर भी साझा की.
उन्होंने कहा कि मतदाता जानकारी एकत्र करने की अनुमति देने वाली सभी कंपनियां अश्वथनारायण के निर्वाचन क्षेत्र मल्लेश्वरम में स्थित हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री बोम्मई बेंगलुरु शहरी जिले के प्रभारी हैं, इसलिए वहां होने वाली अवैध गतिविधियों के लिए वह सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं.
मुख्यमंत्री पर चुनावी धांधली का सूत्रधार होने का आरोप लगाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि बोम्मई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
उन्होंने चुनावों को हाईजैक करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए पूछा कि बोम्मई, अश्वथनारायण और इन संस्थाओं के बीच क्या संबंध है?
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने भी मामले को लेकर बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त सी. प्रताप रेड्डी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई.
डीके शिवकुमार ने कहा कि इस तरह की कवायद से राज्य भर में अल्पसंख्यक, एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय के हजारों मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘कंपनी ने मुफ्त में कार्यक्रम आयोजित करने की पेशकश की, लेकिन जानकारी एकत्र करने वालों में से प्रत्येक को प्रति दिन 1,500 रुपये का भुगतान किया गया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इसके पीछे योजना कुछ उम्मीदवारों के पक्ष में एक मतदाता सूची संकलित करने और उनकी जीत सुरक्षित करने की है. इसमें शामिल सभी लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और एकत्र किए गए डेटा को नष्ट कर दिया जाना चाहिए. पार्टी मतदाता सूची में धांधली के इस प्रयास में शामिल सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगी.’
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री और जद (एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि भाजपा ने वही किया है जो कांग्रेस ने अतीत में किया था और दोनों राजनीतिक दलों के आचरण में कोई अंतर नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नाम न छापने की शर्त पर बीबीएमपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि (चिलुम) ट्रस्ट ने व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी (SVEEP) कार्यक्रम के लिए स्वैच्छिक सेवा प्रदान करने के लिए बीबीएमपी से संपर्क किया था और इस साल 29 जनवरी को अनुमति दी गई थी. बाद में अगस्त में ट्रस्ट को बीबीएमपी के तहत सभी 28 निर्वाचन क्षेत्रों में ‘स्वीप’ की अनुमति दी गई थी.
अधिकारी ने कहा, ‘ट्रस्ट के सदस्यों में से एक महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र में एक आईडी कार्ड का उपयोग करके खुद बीएलओ बन गया. वह मतदाताओं की निजी जानकारियां जुटा रहा था. इस संबंध में कडुगोडी पुलिस स्टेशन में ट्रस्ट के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की गई थी.’
अधिकारी ने कहा, ‘बीएलओ का रूप धारण करने वाले ट्रस्ट के लोगों पर आधार नंबर, रोजगार के प्रकार, धर्म, जाति, उम्र, मातृभाषा, वैवाहिक स्थिति, फोन नंबर, पता, वोटर आईडी नंबर, ईमेल जैसी जानकारी एकत्र करने का आरोप लगाया गया था. यह डेटा बीबीएमपी के साथ साझा नहीं किया गया था.’
मुख्यमंत्री ने आरोपों को निराधार बताया
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कांग्रेस के आरोप को निराधार करार देते हुए किसी भी जांच के लिए तैयार रहने की बात कही है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कांग्रेस दिवालिया विचार से ग्रस्त है. यह भारत निर्वाचन आयोग, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका और एनजीओ के बीच का मामला है.’
उन्होंने कहा कि अगर गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने अपनी स्थिति का गलत इस्तेमाल किया है तो इसकी जांच की जाएगी और कार्रवाई की जाएगी.
बोम्मई ने कहा, ‘क्या सबूत है कि कौन सी निजी जानकारी किसे दी गई है. कागज पर कुछ भी नहीं है. यह एक निराधार आरोप है. मैं वास्तव में हैरान हूं कि कांग्रेस किस तरह विचारों से दिवालिया हो गई है. कोई सबूत नहीं है.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जांच होने दीजिए, सच्चाई सामने आ जाएगी. हम किसी भी जांच से पीछे नहीं हट रहे हैं. मैं बीबीएमपी आयुक्त से मामला दर्ज करने के लिए कहता हूं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)