सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एसके कौल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाकर पांच साल तक करने के संशोधित क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे पीठ का हिस्सा थे. सुनवाई से ख़ुद को अलग करने के अपने इस फैसले के संबंध में उन्होंने कोई कारण नहीं बताया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एसके कौल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक का कार्यकाल बढ़ा कर पांच साल तक करने के संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई से शुक्रवार को खुद को अलग कर लिया.
हालांकि, जस्टिस कौल ने अपने इस फैसले के संबंध में कोई कारण नहीं बताया है. उन्होंने कहा कि इस विषय को उस पीठ में सूचीबद्ध किया जाए, जिसके वह सदस्य नहीं हैं.
जस्टिस कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों को कार्यकाल विस्तार देने के विवादास्पद मुद्दों पर दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.
उल्लेखनीय है कि एक दिन (17 नवंबर) पहले ही ईडी प्रमुख के रूप में संजय कुमार मिश्रा को फिर से एक साल का कार्यकाल विस्तार दिया गया है, जबकि शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल यह स्पष्ट कर दिया था कि मिश्रा का कार्यकाल और आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता.
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए पीठ को बताया कि केंद्र ने शीर्ष न्यायालय में लंबित याचिकाओं को नाकाम करने के लिए ईडी के मौजूदा निदेशक मिश्रा का कार्यकाल फिर से बढ़ाया है.
पीठ ने कहा, ‘चूंकि पक्षकारों के वकील ने विषय में कुछ तात्कालिकता का उल्लेख किया है, इसलिए विषय को आवश्यक आदेशों के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा.’
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और जया ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और साकेत गोखले द्वारा दायर याचिकाओं सहित याचिकाओं का एक समूह सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष आया था.
एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार (17 नवंबर) को मिश्रा को एक साल का कार्यकाल विस्तार दिया. भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी को इस पद पर तीसरी बार यह कार्यकाल विस्तार मिला है.
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी मिश्रा 18 नवंबर 2023 तक पद पर रहेंगे.
62 वर्षीय संजय कुमार मिश्रा को 19 नवंबर 2018 को दो साल के लिए ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया था.
बाद में 13 नवंबर 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया.
केंद्र के 2020 के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने विस्तार आदेश को बरकरार रखा था, लेकिन साथ ही यह कहा था कि मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता है.
जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर चुके अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि मिश्रा को आगे कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है.
हालांकि, सरकार ने नवंबर 2021 में दो अध्यादेश जारी किए, जिसमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.
अध्यादेशों में कहा गया है कि दोनों मामलों में निदेशकों को उनकी नियुक्तियों के लिए गठित समितियों की मंजूरी के बाद तीन साल के लिए एक साल का विस्तार दिया जा सकता है, जिसके बाद मिश्रा को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था.
प्रवर्तन निदेशालय केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत कार्य करता है.
उल्लेखनीय है कि संजय कुमार मिश्रा विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कई मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को भी देख रहे हैं. 2020 में उनके सेवा विस्तार के समय द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कम से कम ऐसे 16 मामले, जो विपक्ष के विभिन्न दलों के नेताओं से जुड़े हुए थे, मिश्रा की अगुवाई में ईडी उनकी जांच कर रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)