जमाल खशोगी हत्या: अमेरिका ने सऊदी प्रिंस को मुक़दमे से छूट प्रदान की, कहा- मोदी को भी दी थी

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी के निर्वासित पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में अमेरिका ने मुक़दमा चलाने से छूट प्रदान की है और इसके समर्थन में उदाहरण दिया गया है कि ऐसी ही छूट भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 2014 में दी गई थी, क्योंकि वे किसी विदेशी देश के प्रमुख की भूमिका में थे.

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PM Modi receives Saudi crown prince Mohammed bin Salman. Credit: Twitter/Raveesh Kumar

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी के निर्वासित पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में अमेरिका ने मुक़दमा चलाने से छूट प्रदान की है और इसके समर्थन में उदाहरण दिया गया है कि ऐसी ही छूट भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 2014 में दी गई थी, क्योंकि वे किसी विदेशी देश के प्रमुख की भूमिका में थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान. (फोटो: ट्विटर/रवीश कुमार)

नई दिल्ली: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या को लेकर मुकदमे में कानूनी सुरक्षा प्रदान करने को सही ठहराने के लिए अमेरिकी बाइडन प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों में उनकी भूमिका के लिए मुकदमे से दी गई छूट का हवाला दिया है.

2018 में वॉशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार और निर्वासन में रह रहे सऊदी अरब के जमाल खशोगी इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास के अंदर से गायब हो गए थे. सऊदी एजेंटों ने उन्हें एक ऑपरेशन में मार डाला और उनके शरीर के टुकड़े कर दिए थे, जिसको लेकर अमेरिकी खुफिया विभाग का मानना था कि इसका आदेश क्राउन प्रिंस ने दिया था.

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हत्या का आदेश देने से इनकार किया था, लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि यह ‘मेरी निगरानी‘ में हुआ था.

अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान बाइडन ने आश्वासन दिया था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि हत्या के मामले में न्याय हो और सऊदी शासक से दूरी बनाए रखने का वादा किया था. हालांकि, राष्ट्रपति के रूप में बाइडन को वैश्विक तेल कीमतों को कम करने के लिए आपसी तनाव को कम करना पड़ा, इसमें सऊदी साम्राज्य का दौरा करने और क्राउन प्रिंस का अभिवादन करना भी शामिल है.

पिछले गुरुवार को अदालत में अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा कि क्राउन प्रिंस को खसोगी की मंगेतर और अधिकार समूह डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाओ (डॉन) द्वारा उनके खिलाफ दायर 2018 के मुकदमे से कानूनी प्रतिरक्षा प्राप्त है.

अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार को बताया कि क्राउन प्रिंस के सरकार के मुखिया यानी प्रधानमंत्री बनने से उन्हें सीधे ही प्रतिरक्षा (छूट) प्राप्त हो गई है, जो कि वे इस वर्ष की शुरुआत में नियुक्त किए गए थे.

जब उनसे पूछा गया कि क्या पहले भी किसी मामले में ऐसा हुआ है, तो अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने जवाब दिया कि यह पहली बार नहीं है कि अमेरिकी सरकार ने विदेशी नेताओं को प्रतिरक्षा प्रदान की है, और चार उदाहरणों को सूचीबद्ध किया.

उन्होंने कहा, ‘1993 में हैती में राष्ट्रपति एरिस्टाइड, 2001 में जिम्बाब्वे में राष्ट्रपति मुगाबे, 2014 में भारत के प्रधानमंत्री मोदी और 2018 में डीआरसी के राष्ट्रपति कबीला कुछ उदाहरण हैं. यह एक सतत अभ्यास है, जिसे हमने राज्य के प्रमुखों, सरकार के प्रमुखों और विदेश मंत्रियों को उपलब्ध कराया है.’

पटेल उन घटनाक्रमों को याद कर रहे थे जो 2005 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को अमेरिकी वीजा देने के इनकार से शुरू हुआ था, जिसमें 2002 के गुजरात दंगों के समय ‘राज्य संस्थाओं की निष्क्रियता‘ के लिए मोदी को जिम्मेदार माना था.

2014 की चुनावी जीत के बाद मोदी को वाशिंगटन द्वारा जल्दी ही निमंत्रण दिया गया था. सुलह के संकेत आम चुनाव से पहले ही दिखने लगे थे, जब अमेरिकी राजदूत मोदी के साथ दो घंटे की बैठक के लिए अहमदाबाद गए थे.

प्रधानमंत्री के तौर पर अमेरिका की अपनी पहली यात्रा से ठीक पहले एक अमेरिकी संघीय अदालत ने मोदी को एक मुकदमे का जवाब देने के लिए समन जारी किया, जिसमें उन पर गुजरात दंगों के संबंध में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था.

तीन हफ्ते बाद अक्टूबर 2014 में तत्कालीन अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भरारा ने न्यूयॉर्क में संघीय अदालत को बताया कि अमेरिकी सरकार ने निर्धारित किया है कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विदेशी सरकार के मौजूदा प्रमुख के रूप में अमेरिकी अदालतों के अधिकार क्षेत्र से प्रतिरक्षा प्राप्त है.’

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