आरोप है कि बेंगलुरु शहर में मतदाता पहचान-पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बारे में जागरूकता फैलाने हेतु घर-घर सर्वेक्षण करने के काम में लगे एक एनजीओ के सदस्यों ने ख़ुद को बीएलओ बताते हुए लोगों की जाति, उनके आधार सहित अन्य निजी ब्योरा एकत्र किया है.
बेंगलुरु: एक ओर कर्नाटक सरकार बेंगलुरु शहर की सीमा के भीतर मतदाताओं के मतदाताओं की निजी जानकारी के कथित अवैध संग्रह से इनकार कर रही है, वहीं बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के मुख्य आयुक्त ने सोमवार शाम तीन राजस्व अधिकारियों को निलंबित कर दिया, वे विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचन अधिकारी भी थे.
यह कदम एनजीओ चिलुम एजुकेशनल कल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट के संस्थापक-निदेशक रवि कुमार की गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद उठाया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, निलंबित राजस्व अधिकारी वीबी भीमा शंकर, के. चंद्रशेखर और सुहैल अहमद हैं, जो क्रमशः चिकपेट, महादेवपुरा और शिवाजीनगर विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचन अधिकारी थे.
बीबीएमपी के आदेश के अनुसार, राजस्व अधिकारी सुहैल अहमद को इसलिए निलंबित किया गया, क्योंकि उन्होंने राज्य चुनाव आयोग की अनुमति के बिना एनजीओ को 14 बूथ स्तरीय समन्वयक (बीएलसी) आईडी कार्ड जारी किए थे. वहीं भीमा शंकर ने दावा किया था कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में कोई बीएलसी आईडी कार्ड जारी नहीं किया गया था, हालांकि जांच के बाद पता चला कि कार्ड जारी किए गए थे, इसलिए उन्हें भी निलंबित कर दिया गया.
निलंबन की कार्रवाई मतदाताओं की निजी जानकारी की कथित चोरी मामले की जांच कर रहे हलासुरु गेट पुलिस अधिकारियों द्वारा 28 विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचन अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी करने के बाद हुई.
बीबीएमपी ने चिलुम एजुकेशनल कल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट नामक एनजीओ को मतदाता हेल्पलाइन मोबाइल ऐप के माध्यम से मतदाता पहचान पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन करने पर जागरूकता पैदा करने के लिए घर-घर सर्वेक्षण करने का काम सौंपा है. हालांकि, एनजीओ ने कथित तौर पर मतदाताओं के बारे में व्यक्तिगत जानकारी एकत्र की और इसके सदस्यों ने कुछ मामलों में खुद को सरकारी अधिकारियों के तौर पर प्रस्तुत किया.
रविवार (20 नवंबर) रात एनजीओ के संस्थापक-निदेशक रवि कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया था. इससे पहले, हलासुरु गेट पुलिस ने ट्रस्ट के मानव संसाधन प्रमुख धरणेश, निदेशकों में से एक रेणुका प्रसाद और कुमार के भाई केम्पेगौड़ा को गिरफ्तार किया था.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जहां एक टीम गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर रही है कि उन्होंने बीबीएमपी से जानकारी कैसे चुराई, तो वहीं दूसरी टीम शनिवार (19 नवंबर) को मल्लेश्वरम में एनजीओ के कार्यालय समेत इससे जुड़े अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों की पुष्टि कर रही है.
पुलिस उपायुक्त (मध्य) आर. श्रीनिवासन गौड़ा के अनुसार, पुलिस ने कुछ लैपटॉप भी जब्त किए हैं और केम्पेगौड़ा ने कथित तौर पर उसे डिजिटल समीक्षा ऐप में संग्रहीत डेटा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है.
गौरतलब है कि बीते 17 नवंबर को कांग्रेस ने राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर चुनावी धांधली का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की थी. जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए बोम्मई ने आरोपों को निराधार बताया था.
बाद में, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार मीणा ने इस संबंध में जांच के आदेश दिए थे.
वहीं, रविवार को मुख्यमंत्री बोम्मई ने बयान दिया कि उन्होंने अधिकारियों को मतदाताओं की निजी जानकारी की कथित चोरी घोटाले की जांच 2013 से करने के निर्देश दिए हैं, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी.
उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मैंने संबंधित अधिकारियों को 2013 से मामले की जांच करने का निर्देश दिया है. वे यह पता लगाएंगे कि पहली बार कब चिलुम एजुकेशनल कल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट को घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने का ठेका दिया गया. हमारा उद्देश्य सच सामने लाना है.’
बोम्मई ने कहा कि कांग्रेस ने 2013 से 2018 तक सत्ता में रहने के दौरान इसी गैर-सरकारी संगठन के साथ काम किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)