मुंबई और आसपास के इलाकों में खसरे का प्रकोप बढ़ा, एक महीने में 13 बच्चों की मौत

खसरे से अब तक हुईं 13 मौतों में से नौ मुंबई में, जबकि बाकी चार शहर के बाहरी इलाकों में दर्ज की गईं. इन चार में से एक नालासोपारा से और तीन बच्चे भिवंडी से थे. मृतकों में तीन 0-11 महीने, आठ 1-2 वर्ष और दो 3-5 वर्ष के बच्चे थे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

खसरे से अब तक हुईं 13 मौतों में से नौ मुंबई में, जबकि बाकी चार शहर के बाहरी इलाकों में दर्ज की गईं. इन चार में से एक नालासोपारा से और तीन बच्चे भिवंडी से थे. मृतकों में तीन 0-11 महीने, आठ 1-2 वर्ष और दो 3-5 वर्ष के बच्चे थे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई/नई दिल्ली: मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में खसरे का प्रकोप बढ़ रहा है. पिछले महीने में हुईं 13 मौतों  के साथ इसके मामलों में तेज वृद्धि दर्ज की जा रही है. बुधवार तक शहर में 233 पुष्ट मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 200 से अधिक पिछले दो महीनों में दर्ज किए गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस साल इसके मामले में बड़ी उछाल देखने को मिली है. 2021 में 10 मामले और 1 मौत, 2020 में 29 मामले और कोई मौत नहीं और 2019 में 37 मामले और 3 मौतें दर्ज की गई थीं.

अब तक हुईं 13 मौतों में से नौ मुंबई में, जबकि बाकी चार शहर के बाहरी इलाकों में दर्ज की गईं. चार में से एक नालासोपारा से और तीन भिवंडी से थीं. मृतकों में तीन 0-11 महीने, आठ 1-2 वर्ष और दो 3-5 वर्ष के बच्चे थे.

आसपास के क्षेत्रों में जिन्होंने इस बीमारी के बढ़ते मामलों की सूचना दी है, उनमें (17 नवंबर तक) मालेगांव में 51, भिवंडी में 37, ठाणे में 28, नासिक में 17, ठाणे ग्रामीण में 15, अकोला में 11, नासिक और यवतमाल में 10-10 और कल्याण-डोंबिवली और वसई-विरार में नौ-नौ मामले दर्ज किए गए हैं.

इन क्षेत्रों में खसरे के मामलों में वृद्धि के साथ बुधवार तक राज्य में कुल मामलों की संख्या 553 पहुंच गई, जो पिछले साल की तुलना में छह गुना अधिक है. पिछले साल इसके 92 मामले सामने आए थे और 2 मौतें हुई थीं. राज्य ने 2020 में 193 मामले और 3 मौतें, 2019 में 153 मामले और 3 मौतें दर्ज की थी.

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने एक विज्ञप्ति में बताया कि उसके सर्वेक्षणों के दौरान खसरे के 156 संदिग्ध मामलों का पता चला. यह संक्रमण आमतौर पर बच्चों में अधिक पाया जाता है.

एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि इस साल अब तक खसरे के 3,534 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं. बीएमसी ने बताया कि 24 वार्ड में से 11 में 22 स्थानों पर खसरा फैलने की सूचना मिली है, लेकिन 13 नए पुष्ट मामले सात अलग-अलग वार्ड में सामने आए.

बच्चों को खसरा और रूबेला के टीके की एक अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करें राज्य

खसरे के मामलों में वृद्धि के बीच केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से संवेदनशील इलाकों में रह रहे नौ माह से पांच साल तक के सभी बच्चों को खसरा और रूबेला के टीकों की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने को कहा है.

गौरतलब है कि हाल ही में बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल और महाराष्ट्र के कुछ जिलों से खसरे के कई मामले सामने आए हैं.

महाराष्ट्र के प्रधान स्वास्थ्य सचिव को लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि संक्रमण के मामलों में यह वृद्धि जन स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत चिंताजनक है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव पी. अशोक बाबू ने कहा, ‘यह भी स्पष्ट है कि ऐसे सभी भौगोलिक क्षेत्रों में प्रभावित बच्चों को मुख्यत: टीका नहीं लगा होता है और पात्र लाभार्थियों के बीच खसरा तथा रूबेला के टीके (एमआरसीवी) लगाए जाने का औसत भी राष्ट्रीय औसत से कम होता है.’

उन्होंने कहा कि इस संबंध में नीति आयोग के एक सदस्य (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में विशेषज्ञों के साथ बुधवार को एक बैठक की गई.

बैठक से मिली जानकारियों के आधार पर केंद्र ने कहा कि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को संवेदनशील इलाकों में नौ माह से पांच साल के सभी बच्चों को टीके की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने की सलाह दी जाती है.

सरकार ने कहा, ‘यह खुराक नौ से 12 महीने के बीच दी जाने वाली पहली खुराक और 16 से 24 माह के बीच दी जाने वाली दूसरी खुराक के अतिरिक्त होगी.’

राज्य सरकार और केंद्र-शासित प्रदेशों का प्रशासन संवेदनशील इलाकों की पहचान करेगा.

एक अधिकारी ने बताया कि उन इलाकों में छह माह से नौ माह तक की आयु के सभी बच्चों को एमआरसीवी टीके की एक खुराक दी जानी चाहिए, जहां नौ महीने से कम आयु के शिशुओं में खसरे के मामले कुल मामलों के 10 प्रतिशत से अधिक हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा कि यह बीमारी उन बच्चों में जानलेवा होती है, जो मध्यम और गंभीर रूप से कुपोषित हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि संक्रमण की पुष्टि होने पर मामले की पहचान होने के कम से कम सात दिनों बाद तक मरीज को पृथक रखना आवश्यक है.

केंद्र ने रांची (झारखंड), अहमदाबाद (गुजरात) और मलप्पुरम (केरल) में बच्चों में खसरे के मामलों की संख्या में वृद्धि का आकलन और प्रबंधन करने के लिए उच्चस्तरीय दलों को तैनात भी किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)