राजस्थान में बांसवाड़ा ज़िले के दानापुर इलाके का मामला. आरोप है कि एंबुलेंस बुलाए जाने के क़रीब सवा घंटे बाद पहुंची और जब मरीज़ को लेकर अस्पताल ले जाया जा रहा था तो ईंधन ख़त्म हो गया. डीज़ल मंगाकर डाला गया, लेकिन वह स्टार्ट नहीं हुई. फिर मरीज़ के परिजन एंबुलेंस को धक्का मारकर अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उनकी मौत हो गई.
बांसवाड़ा: राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के दानापुर इलाके में बीच रास्ते में एंबुलेंस का डीजल खत्म होने के कारण एक मरीज की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि एंबुलेंस में मरीज को लेकर अस्पताल ले जाया जा रहा था. तभी रास्ते में ईंधन खत्म हो गया. इसके बाद मरीज के परिजन एंबुलेंस को धक्का मारकर अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उनकी की मौत हो गई.
दैनिक भास्कर के मुताबिक, मामला बांसवाड़ा के दानापुर का है. सूरजपुरा (सेमलिया) जिला प्रतापगढ़ निवासी तेजपाल गणावा (40) अपनी बेटी को देखने उसके ससुराल पहुंचे थे. 24 नवंबर को अचानक तेजपाल खेत में खड़े-खड़े गिर गए. बेटी ने ने इसकी जानकारी पति मुकेश मईड़ा को दी. उन्होंने सबसे पहले एंबुलेंस 108 को फोन किया. सूचना के सवा घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची.
मरीज को लेकर एंबुलेंस पहले घोड़ी तेजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. वहां ईसीजी मशीन नहीं होने का हवाला देकर स्टाफ ने मरीज को छोटी सरवन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा, लेकिन परिवार ने मरीज को सीधे जिला अस्पताल ले जाने का फैसला लिया.
अखबार के अनुसार, एंबुलेंस मरीज को लेकर रतलाम रोड पर टोल के आगे पहुंची और बंद हो गई. एंबुलेंस के चालाक ने 500 रुपये देकर मरीज के रिश्तेदार को बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा. परिजन बाइक की मदद से डीजल लेकर वहां पहुंचे, लेकिन एंबुलेंस चालू नहीं हुई.
एंबुलेंस को चालू करने के लिए परिवार ने करीब एक किलोमीटर तक धक्का भी मारा. थक हारकर परिवार ने एंबुलेंस के ड्राइवर के आगे हाथ फैलाए और दूसरी एंबुलेंस मंगाने को कहा. इसके बाद एंबुलेंस चालक ने दूसरे चालक को फोन कर एंबुलेंस बुलाई.
करीब 40 मिनट बाद दूसरी एंबुलेंस मौके पर पहुंची. बांसवाड़ा के जिला अस्पताल में डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित किया, जबकि दूसरी एंबुलेंस के पहुंचने तक उनकी सांसें चल रही थीं.
मृतक के दामाद मुकेश ने बताया कि उनके ससुर की तबीयत करीब 11 बजे बिगड़ी थी. एंबुलेंस 12:15 बजे आई थी. इसके बाद करीब 3 बजे यानी चार घंटे बाद मरीज जिला अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित कर दिया.
मुकेश का कहना है कि दूसरी एंबुलेंस आने तक उसके ससुर की धड़कन बनी हुई थी. समय पर इलाज मिल जाता तो उनकी जान बच सकती थी.
बांसवाड़ा सीएमएचओ हीरालाल ताबियार ने कहा, ‘मामले में जांच शुरू कर दी गई है. 108 एंबुलेंसों को एक निजी एजेंसी द्वारा संचालित किया जाता है, एजेंसी राज्य सरकार द्वारा अधिकृत है और कंपनी पर एंबुलेंस के रखरखाव का ज़िम्मा होता है. कहां लापरवाही रही है यह जांच के बाद सामने आएगा.’
अगर एंबुलेंस में पेट्रोल खत्म हो गया और मरीज़ की मृत्यु हो गई है तो यह व्यवस्था की असफलता नहीं है बल्कि प्रबंधन की असफलता है। जो भी व्यक्ति इसके ख़िलाफ ज़िम्मेदार हैं उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी: राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास pic.twitter.com/CCbrcAB4m9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 26, 2022
वहीं, राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने कहा, ‘अगर एंबुलेंस में पेट्रोल खत्म हो गया और मरीज की मृत्यु हो गई है तो यह व्यवस्था की असफलता नहीं है, बल्कि प्रबंधन की असफलता है. जो भी व्यक्ति इसके खिलाफ जिम्मेदार हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.’