अगर सरकार जजों की नियुक्ति की सिफ़ारिशों को रोके रखती है तो कॉलेजियम फाइल ही न भेजे: रिजिजू

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए की गई विभिन्न नामों की सिफ़ारिश वाली फाइलों को रोके जाने संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए, वरना फिर सरकार को फाइल ही न भेजें, ख़ुद ही नियुक्ति कर लें.

/
किरेन रिजिजू. (फोटो साभार फेसबुक)

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए की गई विभिन्न नामों की सिफ़ारिश वाली फाइलों को रोके जाने संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए, वरना फिर सरकार को फाइल ही न भेजें, ख़ुद ही नियुक्ति कर लें.

किरेन रिजिजू (बीच में). (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के तंत्र पर ताजा हमला करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार (25 नवंबर) को कहा कि भारतीय संविधान के लिए कॉलेजियम प्रणाली एलियन है और देश के लोगों द्वारा इसका समर्थन नहीं किया जाता है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह उस कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों पर महज हस्ताक्षर कर दे या मंजूरी दे दे, जिसका निर्माण जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं की ही बुद्धिमता से एक अदालती आदेश के माध्यम से किया था.

रिजिजू ने कहा, ‘अगर आप ऐसी उम्मीद करते हैं कि सरकार सिर्फ इसलिए जज के रूप में सुझाए गए नामों पर हस्ताक्षर कर देगी, क्योंकि उनकी सिफारिश कॉलेजियम द्वारा की गई है, तो फिर सरकार की भूमिका क्या है?’

हालांकि, उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि सरकार कॉलेजियम प्रणाली का सम्मान करती है और यह तब तक करती रहेगी, जब तक कि कोई बेहतर व्यवस्था इसका स्थान नहीं लेती है.

उन्होंने कहा कि श्रेष्ठता साबित करने के लिए किसी झगड़े (कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच) का कोई सवाल ही नहीं है, सवाल केवल देश की सेवा को लेकर है.

सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की विभिन्न सिफारिशों पर सरकार के ‘बैठे रहने’ संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए कि सरकार फाइलों पर बैठी हुई है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा कभी न कहें कि सरकार फाइलों पर चुप्पी साधे बैठी हुई है, वरना फिर सरकार को फाइल ही न भेजें, आप खुद नियुक्त कर लें, आप ही सब करें फिर. व्यवस्था इस तरह नहीं चलती. कार्यपालिका और न्यायपालिका को साथ मिलकर काम करना होता है.’

इस बात पर जोर देते हुए कि कॉलेजियम प्रणाली भारतीय संविधान के लिए एलियन है और इसमें ‘खामियां’ हैं, कानून मंत्री ने सवाल उठाया कि जो कुछ भी संविधान के लिए एलियन है, वे सिर्फ अदालतों और कुछ जजों द्वारा लिए गए फैसले के कारण है, आप कैसे उम्मीद करते हैं कि फैसले का समर्थन देश करेगा?

संदर्भ के तौर पर वे शीर्ष अदालत के ‘सेकंड जज मामले (1993)’ का हवाला दे रहे थे, जिसने कॉलेजियम प्रणाली को लागू किया था.

अपने इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि हालांकि वह जजों का यह नहीं बता सकते कि उन्हें कैसा व्यवहार करना चाहिए, यह परिपाटी है कि जजों को अपने फैसलों के माध्यम से बोलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर एक जज ऐसी किसी टिप्पणी में शामिल होता है जो लोगों की भावनाओं को छूती है तो ऐसा सोचा जाता है कि या तो जज या उनके फैसले ने लक्ष्मण रेखा लांघ दी है.

कानून मंत्री रिजिजू के इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

लाइव लॉ के मुताबिक, एक संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान कानून मंत्री की टिप्पणी पर असहमति व्यक्त करते हुए जस्टिस एसके कौल ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी से कहा, ‘समस्या यही है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने को सरकारी तैयार नहीं है. ऐसी बातों का दूरहामी असर पड़ता है.’

जस्टिस कौल ने कहा कि सरकार नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (एनजेएसी) प्रणाली को लागू नहीं करने से नाराज नजर आ रही है. क्या कॉलेजियम की सिफारिशें वापस लेने का यह एक कारण हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर, हम प्रेस में दिए गए बयानों पर ध्यान नहीं देते हैं. लेकिन मुद्दा यह है कि नामों को मंजूरी नहीं दी जा रही है. सिस्टम कैसे काम करता है? हमने अपनी पीड़ा व्यक्त की है.’

मालूम हो कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू पिछले कुछ समय से न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम प्रणाली पर हमलावर बने हुए हैं.

अक्टूबर 2022 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का ‘मुखपत्र’ माने जाने वाले ‘पांचजन्य’ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका के लिए समान शब्दों का इस्तेमाल किया था और कहा था कि न्यायपालिका कार्यपालिका में हस्तक्षेप न करे.

साथ ही, उन्होंने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर निशाना साधते हुए यह भी कहा था कि जजों की नियुक्ति सरकार का काम है. उन्होंने न्यायपालिका में निगरानी तंत्र विकसित करने की भी बात कही थी.

इसी तरह बीते चार नवंबर को रिजिजू ने कहा था कि वे इस साल के शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजद्रोह कानून पर रोक लगाने के फैसले से दुखी थे.

वहीं, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि सरकार का कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नाम रोके रखना अस्वीकार्य है. साथ ही, कॉलेजियम प्रणाली के बचाव में बीते शुक्रवार को ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था परफेक्ट नहीं है.

pkv bandarqq dominoqq pkv games dominoqq bandarqq sbobet judi bola slot gacor slot gacor bandarqq pkv pkv pkv pkv games bandarqq dominoqq pkv games pkv games bandarqq pkv games bandarqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa judi parlay judi bola pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games bandarqq pokerqq dominoqq pkv games slot gacor sbobet sbobet pkv games judi parlay slot77 mpo pkv sbobet88 pkv games togel sgp mpo pkv games
slot77 slot triofus starlight princess slot kamboja pg soft idn slot pyramid slot slot anti rungkad depo 50 bonus 50 kakek merah slot bandarqq dominoqq pkv games pkv games slot deposit 5000 joker123 wso slot pkv games bandarqq slot deposit pulsa indosat slot77 dominoqq pkv games bandarqq judi bola pkv games pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games bandarqq pkv games depo 25 bonus 25 slot depo 10k mpo slot pkv games bandarqq bandarqq bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games slot mahjong pkv games slot pulsa