विझिंजम हिंसा में नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से कराई जाएगी: केरल सरकार

केरल के विझिंजम इलाके में अडाणी समूह की अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना का पिछले कुछ समय से मछुआरे विरोध कर रहे हैं. प्रदर्शनों के कारण निर्माण कार्य में बाधा पहुंचने को लेकर अडाणी समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केरल के विझिंजम इलाके में अडाणी समूह की अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना का पिछले कुछ समय से मछुआरे विरोध कर रहे हैं. प्रदर्शनों के कारण निर्माण कार्य में बाधा पहुंचने को लेकर अडाणी समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

विझिंजम थाने पर हमले के बाद तैनात पुलिसकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

कोच्चि/तिरुवनंतपुरम/कोझीकोड: केरल सरकार ने सोमवार को हाईकोर्ट को बताया कि हिंसक प्रदर्शनों और प्रदर्शनकारियों द्वारा राजधानी तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बंदरगाह पर हमले से हुए नुकसान की भरपाई के लिए कदम उठाए जाएंगे.

अडाणी समूह द्वारा प्रदर्शनों के कारण निर्माण कार्य में बाधा पहुंचने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस अनु शिवरमण की अदालत ने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह हिंसा के खिलाफ उठाए गए कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट उसे सौंपे और मामले की सुनवाई शुक्रवार (2 दिसंबर) तक के लिए टाल दी.

इस बीच, अडाणी समूह ने अदालत को बताया कि उसके आदेश के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने निर्माण सामग्री लेकर आ रहे ट्रकों को रोक दिया है.

राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि करीब 3,000 प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा में 40 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

अदालत ने सरकार को आदेश दिया है कि वह क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए.

गौरतलब है कि अदालत ने बार-बार प्रदर्शनकारियों से कहा है कि वे बंदरगाह की ओर जाने वाले सड़कें अवरुद्ध न करें और सरकार से कहा है कि वह प्रदर्शनों के लिए बनाए गए अस्थायी निर्माणों को हटाए.

लेकिन सरकार ने सात नवंबर को अदालत को बताया कि प्रदर्शनकारियों में बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के शामिल होने के कारण वह प्रदर्शनकारियों के अस्थायी निर्माण में हटाने में सक्षम नहीं है.

अडाणी समूह ने इससे पहले दावा किया था कि निर्माण स्थल को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के अदालती आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. समूह ने प्रदर्शन स्थल पर किए गए अस्थायी निर्माण को भी गिराने की मांग की है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कुछ महीनों से विझिंजम बहुउद्देश्यीय समुद्री बंदरगाह के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर बड़ी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

वे अपनी सात-सूत्रीय मांगों को मनवाने के लिए दबाव बना रहे हैं, जिसमें निर्माण कार्य को रोकना और परियोजना के संबंध में तटीय प्रभाव का अध्ययन करना शामिल है.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि विझिंजम में बनने वाले बंदरगाह के हिस्से के रूप में कृत्रिम समुद्र की दीवार, कृत्रिम समुद्री दीवारों का अवैज्ञानिक निर्माण बढ़ते तटीय क्षरण के कारणों में से एक है.

मालूम हो कि तिरुवनंतपुरम के विझिंजम इलाके में बीते 27 नवंबर की रात को अडाणी समूह की अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़पों के संबंध में सोमवार को 3,000 से अधिक अज्ञात लोगों पर मामले दर्ज किए गए हैं.

पुलिस ने बताया था कि एक पुलिस थाने में तोड़फोड़ करने तथा पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए 3,000 ऐसे लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, जिनकी पहचान की जा सकती है.

एफआईआर में कहा गया है कि 3,000 लोगों ने थाने का घेराव किया. पुलिस अधिकारियों को कई घंटों तक बंधक बनाकर रखा. फर्नीचर में तोड़फोड़ की और थाना परिसर में खड़े कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया.

इसके अनुसार, प्रदर्शनकारी बीते 26 नवंबर की हिंसा को लेकर हिरासत में लिए गए पांच लोगों (मछुआरों) को रिहा कराना चाहते थे और रिहा न करने पर पुलिसकर्मियों को जिंदा जला देने की धमकी दी थी. एफआईआर में कहा गया है कि हमले से पुलिस विभाग को 85 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.

अडाणी समूह द्वारा विझिंजम में बंदरगाह पर काम फिर से शुरू करने के खिलाफ मछुआरों के विरोध प्रदर्शन के दौरान 26 नवंबर को हुई हिंसा के संबंध में 27 नवंबर को पुलिस ने तिरुवनंतपुरम के आर्कबिशप थॉमस नेट्टो, सहायक बिशप आर. क्रिस्तुदास और लातिन कैथोलिक गिरजाघर के कम से कम 15 पादरियों के खिलाफ केस दर्ज किया था.

मछुआरे पिछले चार महीनों से 7,500 करोड़ रुपये की अडाणी समूह की इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि इसके निर्माण से बड़े पैमाने पर समुद्री कटाव हुआ है, जिससे आजीविका और आवासों का नुकसान पहुंचा है.

अडाणी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 05 दिसंबर, 2015 को 7,525 करोड़ रुपये की लागत से इस परियोजना का निर्माण शुरू किया था.

मालूम हो कि अडाणी समूह पिछले तीन महीने से रुके हुए निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करना चाहता था. इसका बीते 26 नवंबर को मछुआरों ने विरोध किया, जो हिंसक हो गया.

केरल सरकार ने थाने पर हमले को ‘अस्वीकार्य’ बताया, चर्च ने की न्यायिक जांच की मांग

इस बीच केरल की वाम सरकार ने कथित रूप से अडाणी बंदरगाह के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों द्वारा विझिंजम में एक पुलिस थाने पर हमले को सोमवार को ‘अस्वीकार्य’ बताया.

वहीं, बंदरगाह के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लैटिन कैथोलिक गिरजाघर ने दावा किया कि इस हमले के पीछे बाहरी ताकतों का हाथ है तथा उसने इसकी न्यायिक जांच की मांग की.

सत्तारूढ़ माकपा का कहना है कि तटवर्ती क्षेत्रों में हाल के दिनों में हुई हिंसक घटनाएं निंदनीय हैं और दावा किया कि निजी हित से प्रेरित कुछ रहस्यमयी ताकतें वहां दंगों जैसी स्थिति पैदा करने का प्रयास कर रही हैं.

माकपा के राज्य सचिवालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘प्रदर्शनों के नाम पर कुछ लोग तटवर्ती क्षेत्रों में संघर्ष पैदा करने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं और राज्य सरकार को उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.’

वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस नीत यूडीएफ ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 26 नवंबर को विझिंजम में हुई हिंसा को लेकर मेट्रोपॉलिटन आर्चबिशप थॉमस जे. नेट्टो और पादरी यूजीन पेरेरा सहित लैटिन कैथोलिक चर्च के कम से कम 15 पादरियों को गिरफ्तार करके प्रदर्शनकारियों को उकसाया है.

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा, ‘अगर प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों के लिए प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों (पादरियों) को जिम्मेदार बताया जाता है तो क्या पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रदर्शनों और अन्य गतिविधियों के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन जिम्मेदार होंगे?’

कांग्रेस नेता ने विजयन को सलाह दिया कि वे अपना अहम छोड़कर प्रदर्शन कर रहे लोगों से मिलें और सीधी बातचीत करके इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए उन्हें मनाएं.

केरल के बंदरगाह मंत्री अहमद देवरकोविल ने कहा कि जहां तक प्रदर्शन का संबंध है तो सरकार अब तक ‘बहुत संयमित’ थी, लेकिन अगर आंदोलन ‘आपराधिक प्रकृति’ का होता है, जहां पुलिसकर्मियों पर हमला किया जाता तथा पुलिस की संपत्ति को नष्ट किया जाता है तो यह अस्वीकार्य है.

उन्होंने कोझीकोड में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘केरल जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य में हम किसी तरह के सांप्रदायिक संघर्ष को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’

मंत्री ने दावा किया कि भीड़ ने उन मकानों तथा प्रतिष्ठानों पर हमला किया, जो उनके समुदाय के नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘हम राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे.’

यह ध्यान दिलाए जाने पर कि लातिन कैथोलिक गिरजाघर ने हिंसा के पीछे बाहरी ताकतों का हाथ होने का दावा किया है, देवरकोविल ने कहा कि सरकार को कई रिपोर्ट मिली है और इनकी जांच की जा रही है.

प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे फादर यूजीन परेरा ने दावा किया कि पिछले दो दिन में बंदरगाह संबंधित हिंसा के पीछे ‘बाहरी ताकतों’ का हाथ है और इन घटनाओं की न्यायिक जांच होनी चाहिए.

साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस थाने पर हमला, पुलिसकर्मियों को घायल करना और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना तर्कसंगत नहीं है.

राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं ऐसे वक्त में हो रही हैं जब परियोजना का निर्माण कार्य पूरा होने के कगार पर है. उन्होंने आशा जतायी कि पूरा मामला आपसी सौहार्द से निपट जाएगा.

देवरकोविल ने भी कहा कि करीब 7,500 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए उसका काम रोका नहीं जा सकता है. परियोजना का काम रोकना बंदरगाह के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की सात मांगों में शामिल है.

उन्होंने कहा कि पांच मांगें मान ली गई हैं और बंदरगाह निर्माण को रोकने के अलावा उनकी एकमात्र लंबित मांग मछुआरों को सब्सिडी पर केरोसिन (मिट्टी का तेल) मुहैया कराना है.

मंत्री ने कहा कि मिट्टी का तेल केंद्र सरकार देती है और इसलिए, उसे सब्सिडी पर उपलब्ध करना राज्य सरकार के हाथों में नहीं है.

उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रदर्शनकारी बंदरगाह निर्माण या परियोजना से जुड़ी सामग्री के परिवहन में बाधा नहीं डालने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश को बार-बार दोहराए जाने पर भी नहीं मान रहे हैं तो ऐसे में हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग का कोई औचित्य नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘इसलिए, यहां क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया तो होगी ही.’ उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में महिलाओं-बच्चों के शामिल होने के कारण सरकार ने अभी तक उसे बलपूर्वक दबाने का प्रयास नहीं किया है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन, हमें अदालती आदेश का पालन सुनिश्चित करना होगा.’

सतीशन ने कहा कि कांग्रेस और पार्टी नीत विपक्षी मोर्चा यूडीएफ 27 नवंबर को विझिंजम में हुई हिंसा को कभी बढ़ावा नहीं देंगे, लेकिन पार्टी ने राज्य सरकार को बार-बार चेतावनी दी थी अगर उन्होंने मुद्दे का समाधान जल्दी नहीं निकाला तो हालात बिगड़ सकते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि माकपा और भाजपा दोनों साथ मिलकर प्रदर्शन को मुद्दे से भटकाना चाहते हैं.

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष वीएम सुधीरन ने कहा कि प्रदर्शनकारी तटीय क्षेत्रों पर परियोजनाओं के असर और परिणामों का उचित अध्ययन करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इसे ‘बंदरगाह विरोधी आंदोलन का रूप दे दिया गया है.’

विझिंजम में हिंसा के लिए निजी हितों को जिम्मेदार बताते हुए माकपा ने कहा कि राज्य सरकार हमेशा मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी.

केरल विधानसभा के अध्यक्ष एएन शमशीर ने प्रदर्शनकारियों से विरोध समाप्त करने और राज्य सरकार के साथ सहयोग करने की मांग की, क्योंकि उनकी ज्यादातर मांगें पूरी हो गई हैं.

इसी बीच, केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (केसीबीसी) ने 27 नवंबर को हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, लेकिन कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें बंदरगाह निर्माण के प्रभावों का उचित अध्ययन कराने की प्रदर्शनकारियों की मांग को नजरअंदाज कर रही हैं.

उन्होंने पादरियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने का भी विरोध किया और विझिंजम हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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