कैरी बैग के पैसे वसूलने पर उपभोक्ता अदालत ने रिलायंस रिटेल पर 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया

मामला कर्नाटक के बेंगलुरु का है. शिकायतकर्ता ने रिलायंस स्मार्ट पॉइंट से क़रीब 2 हज़ार रुपये की ख़रीददारी की थी, लेकिन उनके बिल में कैरी बैग के भी 24.90 रुपये जोड़ दिए गए थे. उन्होंने शिकायत की थी कि रिलायंस पॉइंट उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग अंदर ले जाने नहीं देता है, इसलिए उसका कर्तव्य है कि वह ग्राहकों को मुफ्त कैरी बैग प्रदान करे.

/
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मामला कर्नाटक के बेंगलुरु का है. शिकायतकर्ता ने रिलायंस स्मार्ट पॉइंट से क़रीब 2 हज़ार रुपये की ख़रीददारी की थी, लेकिन उनके बिल में कैरी बैग के भी 24.90 रुपये जोड़ दिए गए थे. उन्होंने शिकायत की थी कि रिलायंस पॉइंट उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग अंदर ले जाने नहीं देता है, इसलिए उसका कर्तव्य है कि वह ग्राहकों को मुफ्त कैरी बैग प्रदान करे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रिलायंस रिटेल लिमिटेड पर कुल 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि कंपनी के तहत संचालित एक स्टोर में शिकायतकर्ता को कैरी बैग खरीदने के लिए मजबूर किया गया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल लिमिटेड को कैरी बैग के लिए पैसे लेने पर मुआवजे के रूप में 5,000 रुपये और मुकदमेबाजी के खर्च के लिए 2,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है.

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष के रूप में एम. शोभा और सदस्यों के रूप में रेणुका देवी देशपांडे और एच. जनार्दन ने फैसला सुनाया.

बेंगलुरु के शिकायतकर्ता, जो पेशे से वकील हैं, अपनी पत्नी के साथ 10 जुलाई 2022 को मंदिर से लौट रहे थे, रास्ते में वे रिलायंस स्मार्ट पॉइंट पर खरीददारी करने चले गए. उन्होंने वहां से 2007.30 रुपये का सामान खरीदा और कैरी बैग की मांग की. चूंकि शिकायतकर्ता खरीददारी का सोचकर बाजार नहीं गए थे, इसलिए वे अपने साथ कैरी बैग भी नहीं ले गए थे.

बाद में शिकायतकर्ता तब चौंक गए जब उनके बिल में 18वें आइटम के रूप में कैरी बैग को जोड़ दिया गया और उसके 24.90 रुपये वसूल लिए गए.

नवभारत टाइम्स के मुताबिक, पेशे से वकील शिकायतकर्ता का नाम रविकिरण सी. है.

शिकायतकर्ता ने कहा कि मॉल मुफ्त कैरी बैग प्रदान करते हैं, जैसा कि राष्ट्रीय और राज्य आयोगों ने समय-समय पर आदेश जारी किए हैं. इसके अलावा, यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भी एक मानदंड है.

शिकायतकर्ता ने कहा कि प्रतिवादी (रिलायंस स्मार्ट पॉइंट) विभिन्न ब्रांड का सामान बेचने का व्यवसाय कर रहा है, जिसमें इसके खुद के नाम और शैली का सामान भी शामिल है और परिस्थितियों को देखते हुए उसे मुफ्त कैरी बैग देना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि प्रतिवादी बिना एक पैसा खर्च किए, इन कैरी बैग के माध्यम से खुद का विज्ञापन कर रहे हैं, जो कि एक अवैध कृत्य है.

यह भी पाया गया कि विरोधी पक्ष यानी रिलायंस स्मार्ट पॉइंट उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग अंदर ले जाने की अनुमति नहीं देता है और इसलिए यह उसका कर्तव्य है कि वह ग्राहकों को कैरी बैग प्रदान करे, क्योंकि वे किराने का सामान अपने हाथ में नहीं ले जा सकते हैं.

साथ ही, पाया गया कि यह भी प्रतिवादी का दायित्व है कि वह उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग लाने के लिए सूचित करे. आयोग द्वारा जारी नोटिस के जवाब में प्रतिवादी आयोग के समक्ष उपस्थित होने या मामले को चुनौती देने मे विफल रहा.

पीठ ने अपने आदेश में दर्ज किया कि इन परिस्थितियों में शिकायतकर्ता ने स्पष्ट तौर पर विरोधी पक्ष की ओर से अनुचित व्यापार या दोषपूर्ण अभ्यास किया जाना स्थापित किया.

उपभोक्ता अदालत द्वारा पारित आदेश में 5,000 रुपये मुआवजा, कैरी बैग के लिए चुकाए गए 24.90 रुपये वापस लौटाने और मुकदमे की लागत के लिए शिकायतकर्ता को 2,000 रुपये जुर्माना चुकाने का निर्देश दिया है. 60 दिनों की भीतर इस आदेश का पालन करना होगा, अन्यथा 7024.90 रुपये पर 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना होगा.