चेन्नई: सहमति से अंतरजातीय विवाह के बाद ससुर की शिकायत पर दलित पीएचडी स्कॉलर गिरफ़्तार

मामला तमिलनाडु के चेन्नई का है. मद्रास विश्वविद्यालय के एक दलित पीएचडी स्कॉलर को यहीं पढ़ने वाली छात्रा से प्रेम हो गया, जो कि ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. छात्रा ने अपने परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ शादी कर ली तो उनके पिता ने युवक पर केस दर्ज करा दिया. फिलहाल उन्हें रिहा कर दिया गया है.

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(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

मामला तमिलनाडु के चेन्नई का है. मद्रास विश्वविद्यालय के एक दलित पीएचडी स्कॉलर को यहीं पढ़ने वाली छात्रा से प्रेम हो गया, जो कि ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. छात्रा ने अपने परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ शादी कर ली तो उनके पिता ने युवक पर केस दर्ज करा दिया. फिलहाल उन्हें रिहा कर दिया गया है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती)

नई दिल्ली: तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई की पुलिस ने शनिवार (26 नवंबर) को दलित पीएचडी स्कॉलर गुरुस्वामी को गिरफ्तार कर लिया और 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा. उन्हें उनके ससुर गोविंदन द्वारा दर्ज कराई बेटी के लापता होने की शिकायत और चोरी के आरोपों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.

हालांकि अब उन्हें रिहा कर दिया गया है.

13 अक्टूबर को गुरुस्वामी ने 23 वर्षीय सुदोरोली से शादी की थी, जो उस रेड्डियार जाति से हैं, जिसे पिछड़ा वर्ग समुदाय के रूप में वर्गीकृत किया गया है. रेड्डियार जाति रेड्डी जाति का हिस्सा है, जिसके सदस्यों ने आंध्र प्रदेश से तमिलनाडु पलायन किया था.  हालांकि, यह जाति आंध्र प्रदेश में वर्चस्व रखती है, लेकिन तमिलनाडु में पलायन करने पर यह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल हो गई है.

सुदोरोली के पिता उनकी शादी के विरोध में थे, क्योंकि गुरुस्वामी दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.

द न्यूज मिनट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब से सुदोरोली ने अपने पिता को इस बारे में बताया कि वह एक रिश्ते में है, तब से दंपति को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

लेकिन पिता के आरोपों के विपरीत, सुदोरोली इस बात पर अड़ी हुई हैं कि उन्होंने गुरुस्वामी से अपनी मर्जी से शादी की है.

मामले की पृष्ठभूमि

तमिलनाडु के पोलाची में मजिस्ट्रेट अदालत में पेश एक याचिका में सुदोरोली ने विस्तार से बताया है कि कैसे उन्हें और गुरुस्वामी को एक साल पहले मद्रास विश्वविद्यालय में तब प्यार हो गया, जब वह अंग्रेजी साहित्य में मास्टर की पढ़ाई कर रही थीं और गुरुस्वामी अपनी पीएचडी पूरी कर रहे थे.

सुदोरोली ने कहा कि जब से माता-पिता को गुरुस्वामी के बारे में पता चला, उन्होंने उन्हें ‘घर में नजरबंद’ रखने की कोशिश की और किसी और व्यक्ति से शादी करने का दबाव डाला.

हालांकि, 13 अक्टूबर को सुदोरोली घर छोड़कर जाने में सफल रहीं और गुरुस्वामी के साथ चेन्नई में पेरियार थिडल चली गईं, जहां उन्होंने सुयामारिथाई (आत्मसम्मान) विवाह का विकल्प चुना.

शादी करने की इस पद्धति का 1967 के संशोधन के माध्यम से हिंदू विवाह अधिनियम में उल्लेख मिलता है और इसमें विवाह की कार्यवाही के दौरान एक ब्राह्मण पुजारी की उपस्थिति की आवश्यकता को हटा दिया गया है. इसके बजाय, इन शादियों में केवल वचनों के एक साधारण आदान-प्रदान की जरूरत होती है.

तमिलनाडु देश का एकमात्र राज्य है, जहां इस तरह के विवाह होते हैं.

इसके बाद युवक-युवती ने अपनी शादी को तमिलनाडु विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत करवाया और 18 अक्टूबर को इसके लिए एक प्रमाण-पत्र प्राप्त किया. सुदोरोली के परिवार नजरों में आने से बचने के लिए वे पोलाची में बस गए.

उनकी शादी के बाद गोविंदन ने राजमंगलम पुलिस में यह दावा करते हुए शिकायत दर्ज कराई कि उनकी बेटी लापता है और दंपति पर 11 लाख रुपये से अधिक के हीरे के आभूषण, 64 तोला (512 ग्राम) सोना और चार लाख रुपये की नकदी चुराने का आरोप लगाया, इस दावे को सुदोरोली ने खारिज किया है.

एफआईआर दर्ज होने के बाद सुदोरोली ने कोयंबटूर के पुलिस अधीक्षक (एसपी), राजमंगलम पुलिस स्टेशन के एक इंस्पेक्टर को लिखित अभ्यावेदन देने के साथ-साथ पोलाची मजिस्ट्रेट की अदालत में उपरोक्त याचिका लगाकर यह बताया कि वह व्यस्क हैं और कानूनी तौर पर अपनी मर्जी से शादी कर ली है.

उनके मुताबिक, 20 अक्टूबर को उन्होंने अपनी जान को खतरा होने का हवाला देते हुए पोलाची महिला थाने से सुरक्षा भी मांगी थी.

इसके अलावा कोयंबटूर एसपी को लिखे अपने पत्र में सुदोरोली ने लिखा कि उनके माता-पिता दो दिन बाद राजमंगलम पुलिस के साथ महिला थाने पहुंचे और उनका अपमान किया.

दंपति की वकील सुधा गांधी ने द न्यूज मिनट को बताया कि इस हफ्ते की शुरुआत में गुरुस्वामी को काम के सिलसिले में चेन्नई जाना पड़ा और सादे कपड़ों में तीन पुलिसकर्मियों ने पेरंबूर में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया.

बहरहाल, गुरुस्वामी को अंतरजातीय विवाह करने वाले लोगों की मदद करने वाले संगठन, थमिझम मनवुरीमाई संगम की उपाध्यक्ष कौशल्या जैसे जाति-विरोधी कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के बाद छोड़ा गया.

कौशल्या खुद भी अपनी जाति से बाहर शादी करने का फैसला करने के बाद अपने ही परिवार की हिंसा का शिकार हुई थीं. मार्च 2016 में उनके पति शंकर की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई और उन पर हमला किया गया, उन्हें चोटें आईं लेकिन वे बच गईं.

दंपति की वकील सुधा गांधी ने भी कहा कि पुलिस अक्सर ऐसे मामलों में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करती, क्योंकि इस मामले में कोई कानून नहीं है.

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