गुजरात चुनाव: 1,621 उम्मीदवारों में से 330 के ख़िलाफ़ दर्ज हैं आपराधिक मामले

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के हलफ़नामों का हवाला देते हुए बताया गया है कि आम आदमी पार्टी के 61, कांग्रेस के 60 और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 32 प्रत्याशियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

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बांए से दांए - भाजपा के मुख्य प्रचारक नरेंद्र मोदी, आप के मुख्य प्रचारक अरविंद केजरीवाल और गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर. (फोटो: पीटीआई और फेसबुक)

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के हलफ़नामों का हवाला देते हुए बताया गया है कि आम आदमी पार्टी के 61, कांग्रेस के 60 और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 32 प्रत्याशियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

बांए से दांए – भाजपा के नरेंद्र मोदी, आप के अरविंद केजरीवाल और गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर. (फोटो: पीटीआई और फेसबुक)

अहमदाबाद: अगले महीने होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव में 1,621 उम्मीदवारों में से 330 या करीब 20 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सोमवार को यह जानकारी दी.

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सूची में 61 उम्मीदवारों के साथ आम आदमी पार्टी सबसे ऊपर है.

2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या 238 थी.

राज्य में विधानसभा चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं. दोनों चरणों के उम्मीदवारों के सर्वेक्षण के बाद एडीआर द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के 60 और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 32 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

एडीआर ने गुजरात में एक और पांच दिसंबर को होने वाले दो चरणों के चुनाव के लिए सभी 1,621 उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा कि हत्या, बलात्कार और हत्या के प्रयास से संबंधित गंभीर अपराधों के लिए कुल 192 उम्मीदवारों पर मामले दर्ज हैं, जिसमें कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के 96 उम्मीदवार शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, गंभीर अपराधों वाले उम्मीदवारों के मामले में ‘आप’ 43 उम्मीदवारों के साथ सूची में सबसे ऊपर है जबकि कांग्रेस के 28 और भाजपा के 25 ऐसे उम्मीदवार मैदान में हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एडीआर विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों वाले 330 उम्मीदवारों में पहले चरण की 89 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 788 उम्मीदवारों में से 167 और दूसरे चरण की 93 सीटों पर कुल 822 उम्मीदवारों में से 163 शामिल हैं.

राज्य के कुल 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव में आप, कांग्रेस और भाजपा के क्रमशः 181, 179 और 182 उम्मीदवार हैं.

एडीआर ने कहा कि यह ‘गंभीर अपराधों’ को गैर-जमानती अपराधों के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें अधिकतम पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है. इनमें मारपीट, हत्या, अपहरण और बलात्कार के साथ-साथ महिलाओं के खिलाफ अपराध और भ्रष्टाचार के मामले शामिल हैं.

महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में 18 उम्मीदवारों का नाम है, जबकि एक उम्मीदवार पर बलात्कार का आरोप है. पांच के खिलाफ हत्या का आरोप है और 20 पर हत्या के प्रयास का आरोप है.

अहमदाबाद जिले की दसक्रोई सीट से आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं किरण पटेल के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज है. पाटन सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार किरीट पटेल पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है, जबकि पंचमहल जिले की शेहरा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के जेठा भारवाड़ पर बलात्कार, अपहरण, जबरन वसूली, महिला का शील भंग करने और अन्य आरोप हैं.

एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उम्मीदवारों के चयन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का राजनीतिक दलों पर कोई असर नहीं पड़ा है.

ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने 13 फरवरी, 2020 को विशेष रूप से राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे इस तरह के चयन के कारण बताएं और बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवारों के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है. इन अनिवार्य दिशानिर्देशों के अनुसार, इस तरह के चयन का कारण संबंधित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता के संदर्भ में होना चाहिए.

एडीआर ने कहा, ‘2022 में छह राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान यह देखा गया कि राजनीतिक दलों ने व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य, मामले राजनीति से प्रेरित होने आदि जैसे निराधार कारण दिए.’

एडीआर ने कहा, ‘दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के ये ठोस कारण नहीं हैं. यह डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि राजनीतिक दलों को चुनावी प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमारा लोकतंत्र कानून तोड़ने वालों के हाथों पीड़ित रहेगा, जो कानून निर्माता बन जाते हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)