माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने शिकायत में कहा है कि अभिनेता परेश रावल ऐसा भाषण दे रहे हैं, जो बंगाली समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत की भावना को भड़का सकता है. इस बीच रावल ने अपने बयान के लिए माफ़ी मांग ली है.
कोलकाता: कोलकाता पुलिस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम की शिकायत पर अभिनेता और भाजपा के पूर्व सांसद परेश रावल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
माकपा नेता ने आरोप लगाया है कि रावल ने गुजरात में भाजपा की एक चुनावी रैली में बंगाली समुदाय के खिलाफ ‘नफरती भाषण’ दिया था.
माकपा नेता ने तलतला पुलिस थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया के अलग-अलग मंचों पर एक वीडियो देखा है, जिसमें अभिनेता ऐसा भाषण दे रहे हैं, जो बंगाली समुदाय के खिलाफ नफरत की भावना को भड़का सकता है.
सलीम ने आशंका जताई कि रावल की टिप्पणियों की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले बंगाल के लोग प्रभावित हो सकते हैं.
सलीम को पुलिस ने बताया कि रावल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगे की मंशा से उकसाना), धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), धारा 153बी (भाषाई या नस्लीय समूहों के अधिकारों का खंडन करना) और धारा 504 (शांति भंग करने की मंशा से जान-बूझकर अपमान करना) समेत अन्य धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं.
Police complaint filed against actor #PareshRawal over his hatespeech by @cpimspeak leader @salimdotcomrade
Complaint with #Kolkata police states that the remarks were made to "provoke riots and destroy harmony" between #Bengalis & members of other communities in the country pic.twitter.com/usA0hSJyIX
— Indrajit Kundu | ইন্দ্রজিৎ (@iindrojit) December 2, 2022
माकपा नेता ने दावा किया, ‘सार्वजनिक तौर पर इस तरह के भाषण दंगे भड़काने और देश भर में बंगाली समुदाय और अन्य समुदायों के बीच सद्भाव को नष्ट करने तथा सार्वजनिक उपद्रव पैदा करने के लिए दिए गए हैं.’
सलीम ने दावा किया कि परेश रावल ने बांग्लादेशियों, रोहिंग्या, बंगाली और मछली से गैस सिलेंडर को जोड़कर बंगालियों का अप्रिय संदर्भ दिया था.
बाद में परेश रावल ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है. सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी पर बंगाली समुदाय और कुछ अन्य तबकों से भारी प्रतिक्रिया के बाद उन्होंने माफी मांगी.
पूर्व भाजपा सांसद व अभिनेता ने ट्विटर पर लिखा, ‘स्वाभाविक रूप से मछली मुद्दा नहीं है, क्योंकि गुजराती मछली पकाते भी हैं और खाते भी हैं. लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि बंगाली से मेरा आशय अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या से था, लेकिन इसके बावजूद अगर मैंने आपकी भावनाओं व संवेदनाओं को आहत किया हो तो मैं माफी मांगता हूं.’
of course the fish is not the issue AS GUJARATIS DO COOK AND EAT FISH . BUT LET ME CLARIFY BY BENGALI I MEANT ILLEGAL BANGLA DESHI N ROHINGYA. BUT STILL IF I HAVE HURT YOUR FEELINGS AND SENTIMENTS I DO APOLOGISE. 🙏 https://t.co/MQZ674wTzq
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) December 2, 2022
हालांकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा इस माफी से बहुत प्रभावित होती नहीं दिखीं.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘असल में केमछो हंसी मजाक करने वाले व्यक्ति को माफी मांगने की आवश्यकता नहीं है. बंगालियों की तरह मछली पकाने का दूसरा हिस्सा है, बंगालियों की तरह दिमाग रखना. किसी भी दूसरे भारतीय राज्य के मुकाबले कहीं अधिक नोबेल पुरस्कार विजेता, मित्र…’
Actually Kemchho Slapstickman need not have apologised.
The 2nd part of Cook Fish like Bengalis is “Have Brains like Bengalis”Most nobel laureates than any other Indian state, buddy boy….
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) December 2, 2022
रावल ने बीते मंगलवार (29 नवंबर) को गुजरात के वलसाड जिले में भाजपा की एक रैली में गैस सिलेंडर के दामों का भावनात्मक चुनावी मुद्दा उठाया था. भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार करते हुए रावल ने बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी दर को लेकर टिप्पणी की.
एनडीटीवी के मुताबिक, रावल ने कहा था, ‘गैस सिलेंडर महंगे हैं, इनकी कीमत में कमी आएगी. लोगों को रोजगार भी मिलेगा, लेकिन क्या होगा अगर रोहिंग्या प्रवासी और बांग्लादेशी दिल्ली की तरह आपके आसपास रहने लगें? गैस सिलिंडर का क्या करोगे? बंगालियों के लिए मछली पकाओगे?’
https://twitter.com/DeshGujarat/status/1597540932647235584
गुजरात में 182 सीटों के लिए दो चरणों में हो रहे विधानसभा चुनावों के पहले चरण में बृहस्पतिवार को 89 सीटों के लिए वोट डाले गए, जबकि शेष सीटों के लिए दूसरे चरण में पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. मतगणना आठ दिसंबर को होगी.
रोहिंग्या म्यांमार से भागा हुआ एक उत्पीड़ित समूह हैं. वे मुख्य रूप से दिल्ली सहित पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. गुजरात पूरे भारत और उपमहाद्वीप के कई प्रवासी श्रमिकों का घर है.
गुजरात में भाजपा सरकार फिर से सत्ता में आना चाहती है. महंगाई और बेरोजगारी इस बार प्रमुख मुद्दों में से एक हैं. वह सत्ता विरोधी लहर को मात देने की उम्मीद करती है.
परेश रावल यह भी कहते दिखाई दिए कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोग या बंगाली अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं और गुजरात के लोगों के साथ अपने मतभेदों को गहरा करने की कोशिश करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘गुजरात के लोग महंगाई बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन यह नहीं… जिस तरह से वे गालियां देते हैं. उनमें से एक व्यक्ति को अपने मुंह पर डायपर पहनने की जरूरत है.’
बंगालियों के आह्वान के साथ रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के उल्लेख के कारण परेश रावल की इस टिप्पणी की तमाम लोगों ने आलोचना की है. यह जानना चाहा कि क्या पूर्व भाजपा सांसद रावल का मतलब विदेशी निवासियों के साथ भारत के बंगालियों को जोड़ना था तो अन्य लोगों ने कहा कि उनकी मंशा के बावजूद उनकी टिप्पणियां ज़ेनोफोबिक (अन्य देशों के लोगों के प्रति अरुचि या पूर्वाग्रह रखना या दिखाना) थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)