पटना हाईकोर्ट की पुलिस को फटकार- तमाशा बना दिया है, किसी का भी घर बुलडोज़र से तोड़ देंगे

पटना हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया था कि बिहार पुलिस ने भूमाफिया के इशारे पर ज़मीन ख़ाली कराने का दबाव बनाने के लिए झूठा मुक़दमा दर्ज करके बुलडोज़र से याचिकाकर्ता का मकान तोड़ दिया था. अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस और सीओ घूस लेकर घर तुड़वा रहे हैं. पटना में भूमाफिया के ज़मीन क़ब्ज़े में, आप उनके एजेंट बने हुए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पटना हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया था कि बिहार पुलिस ने भूमाफिया के इशारे पर ज़मीन ख़ाली कराने का दबाव बनाने के लिए झूठा मुक़दमा दर्ज करके बुलडोज़र से याचिकाकर्ता का मकान तोड़ दिया था. अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस और सीओ घूस लेकर घर तुड़वा रहे हैं. पटना में भूमाफिया के ज़मीन क़ब्ज़े में, आप उनके एजेंट बने हुए हैं.

पटना हाईकोर्ट (फोटोः पीटीआई)

पटना: कथित तौर पर भूमाफिया के इशारे पर एक महिला का घर बुलडोजर चलाकर गिराने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने बिहार पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है.

लाइव लॉ के मुताबिक, हाईकोर्ट ने बिहार पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा, ‘क्या यहां भी बुलडोजर चलने लगा? आप किसका प्रतिनिधित्व करते हैं, राज्य का या किसी निजी व्यक्ति का? तमाशा बना दिया है कि किसी का भी घर बुलडोजर से तोड़ देंगे.’

मामले में थाना प्रभारी के जवाबी हलफनामे को देखते हुए अदालत ने प्रथमदृष्टया पाया कि राज्य की पुलिस द्वारा उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घर को अवैध तौर पर तोड़ा गया था. जस्टिस संदीप कुमार की पीठ ने यह भी पाया कि सभी अधिकारियों की कुछ भूमाफियों के साथ सांठगांठ है.

अदालत की शक्तियों को खारिज करते हुए जिस तरह विचाराधीन घर को गिराया गया, पीठ ने इस पर मौखिक रूप से अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘भूमि विवादों को चिह्नित कर थाने को ही कार्रवाई की शक्तियां दे दी हैं? आपको समस्या है तो चले जाइए थाना, पैसा दीजिए और किसी का भी घर तुड़वा दीजिए. कोर्ट को बंद कर दीजिए, सिविल कोर्ट को.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पटना टाउन से एक ऑफिसर इंचार्ज जेल जाएगा. इसके पहले अगमकुआं का ही मामला था न वो डॉक्टर की प्रॉपर्टी पर कब्जा हुआ था. सुनिए मिस्टर अगमकुआ वाला वो जजमेंट पढ़कर आइएगा मेरा वाला. अगमकुआ में क्या हो रहा है देख लीजिए.’

जस्टिस संदीप कुमार ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘पुलिस में आप जैसा अफसर पैदा नहीं हुआ. पटना में सीओ का कहानी आ रहा है न रोज. इंस्टॉलमेंट में अखबार में आ रहा है न कि पटना का सीओ पैरेलल अपना ऑफिस चला रहा था. और आप लोगों का ये सब सीओ अपने ऑफिस में नाजायज लोगों का रखकर ऑफिस चलाता है. आइए आठ तारीख को सब तैयारी के साथ आइए. चलिए और दीजिए क्रिमिनल्स को वोट.’

इसके अलावा जब अदालत को पीड़ित के वकील द्वारा बताया गया कि मामले में कुछ भूमाफिया भी संलिप्त हैं, याचिका में जिन्हें प्रतिवादी संख्या 8 से 12 के बीच शामिल किया गया है, तो कोर्ट ने उन सभी को नोटिस जारी किया और उन्हें अगली तारीख (8 दिसंबर) को अपने वकील के माध्यम से कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होने का निर्देश दिया.

आगे, आगमकुआं के थाना प्रभारी को निर्देशित किया गया कि वे प्रतिवादी संख्या 8 से 12 की आपराधिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत करें.

मामले में महत्वपूर्ण यह रहा कि जब याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भूमाफिया के इशारे पर जमीन खाली कराने का दबाव बनाने के लिए झूठा मामला दर्ज कराया गया है, तो पीठ ने याचिकाकर्ता को आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ता को संरक्षण प्रदान करने के लिए वह मौजूद है और याचिकाकर्ता को परेशान न किया जाए.

इसके बाद अदालत ने एफआईआर पर रोक लगा दी और मामले में याचिकाकर्ता व उनके परिवार को गिरफ्तार करने से पुलिस को रोक दिया.

आगे जस्टिस संदीप कुमार ने प्रतिवादी के वकील को अपनी भावनाओं से अवगत कराते हुए कहा, ‘पांच-पांच लाख रुपये दिलवाएंगे हम सबसे इनको (याचिकाकर्ता), घर तोड़ने का मुआवजा, पर्सनल पॉकेट से. अब पुलिस और सीओ मिलकर घर तुड़वा रहे हैं घूस लेकर… पटना में भूमाफिया के जमीन कब्जे में आप उनके एजेंट बने हुए हैं… इसे रोका जाना चाहिए.’

अदालत ने पटना पूर्व के पुलिस अधीक्षक (एसपी), पटना शहर के सर्किल ऑफिसर (सीओ) और आगमकुआं पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को 8 दिसंबर को अदालत में निजी तौर पर प्रस्तुत होने का निर्देश दिया है.