केंद्र ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री की 24वीं किस्त को मंज़ूरी दी

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि चुनावी बॉन्ड की बिक्री 5 दिसंबर से शुरू होगी. भारतीय स्टेट बैंक की 29 अधिकृत शाखाओं से इनकी ख़रीद 12 दिसंबर तक की जा सकेगी.

(फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि चुनावी बॉन्ड की बिक्री 5 दिसंबर से शुरू होगी. भारतीय स्टेट बैंक की 29 अधिकृत शाखाओं से इनकी ख़रीद 12 दिसंबर तक की जा सकेगी.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सरकार ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए इस्तेमाल होने वाले चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) की 24वीं किस्त जारी करने की शनिवार को अनुमति दे दी. इनकी बिक्री पांच दिसंबर से होगी. इसी दिन गुजरात में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान भी होने हैं.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चुनावी बॉन्ड की बिक्री 5 दिसंबर से शुरू होगी. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की 29 अधिकृत शाखाओं से इन बॉन्ड की खरीद 12 दिसंबर तक की जा सकेगी. चुनावी बॉन्ड की 23वीं किस्त 9 से 15 नवंबर तक खुली थी.

राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए नकदी के विकल्प के तौर पर चुनावी बॉन्ड जारी करने की व्यवस्था लागू की गई है. बॉन्ड को कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित कंपनी खरीद सकती है. आमतौर पर चुनावी बॉन्ड की बिक्री निर्धारित महीने की 1-10 तारीख के बीच होती है.

चुनावी बॉन्ड की पहली किस्त की बिक्री 1-10 मार्च, 2018 में की गई थी.

चुनावी बॉन्ड को एसबीआई की लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर एवं मुंबई समेत 29 शाखाओं से खरीदा और भुनाया जा सकेगा.

एसबीआई चुनावी बॉन्ड जारी करने वाला इकलौता अधिकृत बैंक है।

एक चुनावी बॉन्ड की वैधता जारी किए जाने की तारीख से 15 दिनों तक होगी. वैधता अवधि बीतने के बाद अधिकृत शाखाओं में बॉन्ड जमा किए जाने पर राजनीतिक दलों को कोई भी भुगतान नहीं मिल पाएगा.

चुनावी बॉन्ड भारतीय नागरिकों या देश में शामिल या स्थापित संस्थाओं द्वारा खरीदे जा सकते हैं.

पिछले लोकसभा चुनाव या राज्य के विधानसभा चुनाव में न्यूनतम एक प्रतिशत मत पाने वाले पंजीकृत दल चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा लेने के लिए पात्र हैं.

गौरतलब है कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 में एक संशोधन करते हुए प्रावधान किया था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के चुनावों के वर्ष में बॉन्ड की बिक्री 15 अतिरिक्त दिन और होगी. कई राज्यों में चुनाव से ठीक पहले सरकार के इस क़दम को लेकर सवाल भी उठाए गए थे.

बाद में सामने आया कि सरकार ने इस संशोधन को करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग की भी राय नहीं ली थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)