अर्थशास्त्रियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने दिसंबर 2017 और 2018 में इसी तरह के प्रस्तावों के साथ उनके पूर्ववर्ती अरुण जेटली को दो समान पत्र भेजे थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया था.
नई दिल्ली: कई अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर अगले बजट में सामाजित सुरक्षा पेंशन बढ़ाने और पर्याप्त मातृत्व लाभ प्रदान करने के लिए उनकी सिफारिशों पर विचार करें.
राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (एनओएपीएस) के तहत वृद्धावस्था पेंशन में वर्ष 2006 से केंद्र सरकार का योगदान केवल 200 रुपये प्रति माह पर रुका हुआ है. इसे तुरंत बढ़ाकर 500 रुपये (अगर ज्यादा नहीं कर सकते) किया जाना चाहिए. इसके लिए 2.1 करोड़ पेंशनभोगियों के लिए अतिरिक्त 7,560 करोड़ रुपये के आवंटन की जरूरत होगी.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के तहत प्रति बच्चे 6,000 रुपये का मातृत्व लाभ सभी भारतीय महिलाओं का कानूनी अधिकार है. कई सालों तक केंद्र सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. 2017 में इस उद्देश्य के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) शुरू की गई थी. हालांकि, केंद्रीय बजट में इसके लिए किया गया प्रावधान कभी भी 2,500 रुपये से अधिक नहीं था, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) मानदंडों के आधार पर आवश्यक मानक से एक तिहाई से भी कम है.
उन्होंने कहा है, ‘केंद्रीय बजट 2023-24 में एनएफएसए मानदंडों के अनुसार मातृत्व लाभ के पूर्ण कार्यान्वयन का प्रावधान होना चाहिए. इसके लिए कम से कम 8,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है (यह मानते हुए कि जन्म दर प्रति हजार पर 19 है). इसके साथ ही प्रति महिला एक बच्चे को मातृत्व लाभ देने की अवैध पाबंदी को हटाया जाना चाहिए.’
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि उन्होंने दिसंबर 2017 और 2018 में इसी तरह के प्रस्तावों के साथ सीतारमण के पूर्ववर्ती अरुण जेटली को दो समान पत्र भेजे थे, जिनमें से दोनों को नजरअंदाज कर दिया गया था.
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में अश्विनी देशपांडे, ज्यां द्रेज, पुलाप्रे बालकृष्णन, सुखदेव थोराट, विजय जोशी, फरजाना अफरीदी और नरेश सक्सेना समेत 51 अर्थशास्त्री शामिल हैं.
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